झारखंड के जामुन सिंह सोय को राष्ट्रपति ने दी पद्मश्री

नई दिल्ली,22 मार्च : नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को 106 लोगों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया। राष्ट्रपति ने पहला सम्मान आर्किटेक्ट बालकृष्ण दोषी को दिया। उनकी बेटी ने पिता को मिला पद्म विभूषण सम्मान ग्रहण किया। इसके बाद बिजनेसमैन कुमार मंगलम बिड़ला को व्यापार और उद्योग क्षेत्र में योगदान के लिए 22 मार्च को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। पद्म सम्मान पाने वालों में पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा स्थित मडक़महातू गांव निवासी डॉ. जानुम सिंह सोय का नाम भी शामिल है.
बिड़ला परिवार में पद्म पुरस्कार पाने वाले कुमार मंगलम चौथे व्यक्ति बन गए हैं। इससे पहले उनकी मां राजश्री बिड़ला को पद्म भूषण, दादा बसंत कुमार बिड़ला को पद्म भूषण और उनके परदादा घनश्याम दास बिड़ला को पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। पंडवानी गायिका उषा को पद्म श्री से नवाजा गया। उन्होंने सम्मान लेने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रणाम किया। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति के पैर छूकर सम्मान ग्रहण किया। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, विदश मंत्री एस. जयशंकर, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव सहित कई लोग मौजूद रहे।
कौन हैं डा. जानुम सिंह सोय, किस लिए मिला पुरस्कार
डॉ. जानुम को झारखंड की जनजाति की ‘हो भाषा’ के संरक्षण व संवर्धन के लिए पद्म श्री से नवाजे गए. वह पिछले 3 दशक से भी अधिक समय से इस भाषा पर काम कर रहे हैं. 72 वर्षीय जामुन सिंह ने हो भाषा पर 6 किताबें भी लिखी है. डॉ. जामुन सिंह सोय पिछले तीन दशक से से अधिक समय से हो भाषा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में जुटे हैं. उन्होंने हो जनजाति की संस्कृति पर आधुनिक हो शिष्ट काव्य सहित कई पुस्तकें लिखी हैं. प्रो सोय कोल्हान यूनिवर्सिटी (झारखंड) से रिटायर करने के बाद हो भाषा को पीजी के औपचारिक पाठ्यक्रम में शामिल करने में लगे हुए हैं.
मातृ भाषा को अपनाने की जरूरत
डॉ. जमुन सिंह जोय का कहना है कि मैंने किसी प्रकार के राष्ट्रीय पुरस्कार की कल्पना नहीं की थी. हो समाज के विकास व उत्थान के साथ-साथ हो भाषा और साहित्य के लिए जो काम किया हूं. यह मेरी जिवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है. इसी उपलब्धि के कारण उन्हें पद्म श्री दिया गया है. वर्तमान युवा पीढि़ जो अपनी मातृ भाषा से विमुख हो रहे हैं. उन्हें इसके महत्व को समझना चाहिए व इसे सहर्ष अपनाना चाहिए. साथ ही मातृ भाषा के मान सम्मान को आगे बढ़ाना चाहिए.

Share this News...