फिर फंसा मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट बिल, प्रवर समिति के हवाले

विपक्ष सरकार पर हमलावर, बोला-सुनियोजित तरीके से यहां हो रहा भ्रष्टाचार
रांची,22 मार्च (ईएमएस): झारखंड में चिकित्सकों एवं पारा मेडिकल कर्मियों को सुरक्षा प्रदान करनेवाला मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट बिल एक बार फिर विधानसभा से पास नहीं सका. ऐसा तीसरी बार है, जब बिल लौटाया गया है. अब इस बिल को प्रवर समिति को भेजा जाएगा. बीते दिनों हेमंत सोरेन कैबिनेट में झारखंड चिकित्सा सेवा से संबद्धव्यक्तियों, चिकित्सा सेवा संस्था ( हिंसा और संपत्ति नुकसान निवारण) विधेयक को सदन पर रखे जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति मिली थी. विधानसभा में बुधवार को जब इस विधेयक को रखा गया, तब विपक्ष ने इस पर आपत्ति जतायी.
विपक्ष का कहना था कि इसमें केवल मेडिकल कर्मियों के हितों की बात की गयी है, जबकि मरीजों की नहीं. मौके पर उपस्थित मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, विधेयक में अब तक 30 से अधिक बार संशोधन डाला गया है. इस पर विचार करने की जरूरत है. इसलिए विधेयक को प्रवर समिति को भेजा जाएगा.
आंदोलन के अलावा कोई विकल्प नहीं: आईएमएस
आईएमए जमशेदपुर के सचिव डा. सौरभ चौधरी का कहना है कि विधान सभा से मेडिकल प्रोटेक्शन बिल पास नहीं होना और प्रवर समिति में भेजा जाना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। एक बहुत ही संतुलित बिल था. इसमें डॉक्टर और मरीज दोनों का खयाल रखा गया था। लेकिन कुछ माननीय तो डॉक्टर के पीछे ही पड़े हुए हैं। अपने क्षेत्र की समस्या को छोड़ कर दूसरे जिलों के चिकित्सक के पीछे पड़े रहते हैं। ऐसे में हम इनसे और क्या उम्मीद कर सकते है? हमारे नेताओ का नजरिया डॉक्टर विरोधी है और हमारे पास एक लंबे आंदोलन के अलावा और कोई विकल्प नहीं है
पंचायत समिति और वार्ड सदस्यों का बढ़ेगा मानदेय
विधानसभा में बुधवार को भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही के एक तारांकित प्रश्न के जवाब में मंत्री आलमगीर आलम ने सदन को आश्वस्त किया कि राज्य के त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों, पंचायत समिति सदस्यों व वार्ड सदस्यों का मानदेय बढ़ेगा। उन्होंने इसपर संज्ञान लेते हुए कहा कि वे दूसरे राज्यों की नियमावली भी मंगवाकर देखेंगे कि मानदेय में कितने की वृद्धि की जा सकती है।
विधायक भानू प्रताप शाही ने उठाया मामला: विधायक भानु प्रताप शाही ने सवाल उठाया था कि पंचायत समिति सदस्य को 750 रुपये प्रतिमाह और वार्ड सदस्य को 200 रुपये प्रतिमाह मिलता है। इसपर मंत्री ने कहा कि अधिसूचना के प्रथम वर्ष के मानदेय पर होने वाली व्यय राशि का 100 प्रतिशत दायित्व राज्य सरकार की होगी।
दूसरे वर्ष के मानदेय पर होने वाली व्यय राशि का 80 प्रतिशत राज्य सरकार व 20 प्रतिशत संबंधित पंचायती राज संस्थाओं से खर्च होती है। वहीं, तृतीय वर्श में होने वाली व्यय का 50 प्रतिशत राज्य सरकार व 50 प्रतिशत संबंधित संस्थाएं अपने स्व. संसाधन से वहन करती है।
सीपी सिंह ने सरकार को बताया भ्रष्ट
दो बजे के बाद शुरू हुए सदन में रांची विधायक सीपी सिंह ने कटौती प्रस्ताव पर अपनी बात रखते हुए सरकार को भ्रष्ट बताया। उन्होंने कहा कि इस सरकार में प्रायोजित तरीके से भ्रष्टाचार हो रहा है। यहां अपराध सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है। उन्होंने राज्य में अपराध की स्थिति पर कहा कि मेरे पास जनवरी 2022 से दिसंबर 2022 तक का आंकड़ा है। यह आंकड़ा बताता है कि राज्य में अपराध की स्थिति क्या है। राज्य में 10714 चोरी, 1663 अपहरण, 1769 हत्या, 1611 बलात्कार सहित कुल 64 हजार से अधिक अपराध दर्ज किए गए हैं।
राज्य का मुखिया कहता है गौ तस्करी के वाहन नहीं पकड़ें: सदन में उन्होंने अंबा प्रसाद के मामले को उठाते हुए कहा कि राज्य का विधायक इस बात को बोलता है कि किस अधिकारी को किस काम के लिए लगाया गया है। उन्होंने संध्या टोपनो की हत्या पर कहा कि यह सरकार गौ हत्या करने वाली है। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पलामू में सीएम ने कहा था कि गौ तस्करी वाले वाहनों को नहीं रोकना है। उन्होंने कहा कि अगर राज्य का मुखिया ही ऐसी बात करेगा तो न जाने कितनी संध्या टोपनो की मौत होगी।
रांची हिंसा में महज 38 की हुई गिरफ्तारी: रांची हिंसा पर सीपी सिंह ने कहा कि 10 जून 2022 को सुनियोजित तरीके से रांची में हिंसा हुई। गोली चलने से दो लोग घायल हुए। हंगामा करने वाले लोगों के चेहरे सामने थे। इसके बाद भी सरकार ने महज 38 लोगों को गिरफ्तार किया। स्थिति को यह है कि अपराधी को एयर एंबुलेंस से इलाज के लिए भेजा। मैं इसे गलत भी नहीं मानता, लेकिन ऐसी व्यवस्था आम लोगों के लिए भी होनी चाहिए।

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