पिता अत्रि एवं माता अनुसूया के पुत्र भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनी

जमशेदपुर, 29 दिसंबर (रिपोर्टर) : आंध्र भक्त श्री राम मन्दिरम, बिस्टुपुर में मार्ग शीर्ष महीने के पूर्णिमा में पिता अत्रि एवं माता अनुसूया के पुत्र भगवान दत्तात्रेय की जयंती वेद पंडित संतोष कुमार एवं वेद पंडित शेषाद्रि द्वारा सहस्रनाम पूजा एवं अस्तोस्त्रनाम पूजा की गई। भगवान दत्तात्रेय को ब्रम्हा, विष्णु एवं महेश का संयुक्त अवतार माना जाता है। इनकी पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। एक बार सप्तऋषि मंडल समूह के महर्षि अत्रि की पत्नी पतिव्रता अनुसूया ने ब्रम्हा, विष्णु एवं महेश जैसे पुत्र पाने के लिये कठोर तप किया, जिसे देखकर तीनो देवो की पत्नियों( सरस्वती,लक्ष्मी एवम पार्वती) को जलन होने लगी। उन्होंने तीनो देवो को अनुसुया की परीक्षा लेने हेतु भूलोक भेजा । तीनो देवों ने साधु का भेष धारण कर भिक्षाटन के लिए गए। अनुसुया जब भिक्षा देने गई तो इन्होंने एक शर्त रख दी कि वे भिक्षा पूर्णत: नग्नावस्था में दे तो ही स्वीकार करेंगे। माता अनुसुया पहले तो घबरा गई लेकिन बाद में हाथों में जल लेकर कुछ मंत्र प?कर जल उन तीनों पर छि?क दिया। देखते ही वे अपने असली रूप में आ गए किन्तु तुरंत ही तीनो नन्हे शिशु के रूप में बदल गये। माता ने तीनों शिशुओं को एक शिशु में बदलकर (जिनके तीन सर और छ भुजाएं थी) अपना स्तनपान कराया। जब तीनो देव वापस नहीं लौटे तो उनकी पत्नियों ने भूलोक आकर माता अनुसुया से उन्हें वापस भेजने का अनुग्रह किया। तब तीनो देवों को उनके असली स्वरुप में लाकर उन्हें वापस स्वर्गलोक में भेजा। तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने प्रसन्न होकर अपनी शक्तियों के साथ तीन सिर एवम छ भुजाओ वाले एक पुत्र दिया जो दत्तात्रेय कहलाए। दत्तात्रेय के एक भाई चंद्र जिन्हें ब्रह्मा और एक भाई दुर्वाशा मुनि जिन्हें शंकर का रूप माना जाता है। दत्तात्रेय को ज्ञान का रूप माना जाता है। उनकी पूजा से हमे सम्पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति होती है।

 

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