ऊंट गाड़ी खींचने वाले मजदूर का बेटा बना आई पी एस

मेहनत के दम पर किस्मत पलट जाती है तभी तो गरीब परिवार के लड़के भी अफसर बनते हैं। जिस लड़के के पिता ऊंटगाड़ी चला कर लोगों का सामान एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का काम करते थे। उसने IPS बनकर पिता का नाम रोशन कर दिया। ये कहानी है राजस्थान से आनेवाले गुजरात के एक आईपीएस ऑफिसर प्रेम सुख डेलू (PremSukh Delu) की । बीकानेर जिले के रासीसर निवासी प्रेम गुजरात कैडर के अमरेली में आईपीएस पद पर कार्यरत हैं। प्रेमसुख डेलू की कहानी बेहद प्रेरणादायी है।

प्रेम डेलू का जन्म 3 अप्रेल 1988 को किसान परिवार में हुआ। उस किसान के पास कुछ खास ज़मीन नहीं थी। पिता ऊंटगाड़ी चलाते थे। प्रेम भी बकरी आदि मवेशी चराकर पिता की मदद करते थे। प्रेम की पीढ़ी से पहले इनके परिवार के किसी सदस्य ने स्कूल नहीं देखा था। लेकिन साधारण परिवार में प्रेम ने पढ़ाई की। वो स्कूल गए। प्रेम बचपन में ही ये बात समझ गए थे कि उनके पास एक शिक्षा ही ऐसा माध्यम है जिसके सहारे वह खुद को और अपने को इस गरीबी से निकाल सकते हैं।

एक समय था जब स्कूल जाने के लिए उनके पास पैंट भी नहीं थी और आठवीं क्लास तक निक्कर पहन कर जाते थे। लेकिन जिंदगी के इन्हीं अभावों ने उन्हें अंदर से मजबूत कर दिया। वे गांव में रहते थे , खेती करते थे , मवेशियों को चराते थे, लेकिन जब भी समय मिला चाहे खेती की रखवाली करते हुए या फिर मवेशियों की चराई के साथ, पढ़ाई करने बैठ जाते थे। वो बताते हैं कि, मेरे लिए खोने के लिए कुछ भी नहीं था । ध्यान हमेशा सिर्फ पढ़ाई में रहा। उन्होंने दसवीं तक की पढ़ाई अपने ही गांव के सरकारी स्कूल से की। गांव में निकली पटवारी की वैकेंसी से उन्होंने नौकरी भी हासिल कर ली। पटवारी की नौकरी के सहारे उन्होंने अपने परिवार तंगहाली से बाहर निकाला। लेकिन प्रेम ने अब बड़े सपने देखना शुरू कर दिया और रुकने की जगह उन्होंने आगे बढ़ने की ठानी।

वह धीरे धीरे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहे थे। प्रेम और उनके घर के जैसे हालत थे उस हिसाब से उन्होंने कभी अपना लक्ष्य बड़ा नहीं रखा। उनके सामने जो भी परीक्षाएं आती गईं वे उन सभी में सफल होते गए। फिलहाल उनके लिए जरूरी था एक अच्छी नौकरी प्राप्त करना जिससे परिवार को आर्थिक सहायता मिल सके।

प्रेम को सरकारी नौकरी का ऐसा चस्का लगा कि वो हर प्रतियोगिता परीक्षा का फार्म भरने लगे। पटवारी की नौकरी करते हुए उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी तथा मास्टर्स की डिग्री प्राप्त कर ली। इसी के साथ परीक्षाएं देने का सिलसिला भी चलता रहा।उन्होंने राजस्थान में ग्राम सेवक के पद हेतु निकली परीक्षा में दूसरा रैंक प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने असिस्टेंट जेलर के पद हेतु परीक्षा दी। इस परीक्षा में वह पूरे राजस्थान में पहले स्थान पर रहे। वह जब तक जेलर की पोस्ट ज्वाइन करते तब तक उनकी सब-इंस्पेक्टर की परीक्षा का परिणाम भी आ गया तथा उन्होंने उस परीक्षा को भी क्लियर कर लिया था।

प्रेम ने बीएड परीक्षा पास की तथा नेट का एग्जाम दिया फिर वो कॉलेज में लेक्चरर बन गए। उन्होंने कुल मिलाकर करीब 12 बार सरकारी नौकरी हासिल कर ली। पर वो इतने में रूकने वाले नहीं थे उन्होंने अब “सिविल सेवा” में करियर बनाने के बारे में सोचा। उनका यह लक्ष्य बन गया कि उन्हें बेहतर से बेहतर पद पाना है। इसी दौरान उनके अंदर सिविल सर्विसेज परीक्षा पास करने का जुनून जागा।
कॉलेज में लेक्चरर लगने के बाद प्रेम ने बच्चों को पढ़ाने के साथ साथ खुद की पढ़ाई भी जारी रखी। लेक्चरर होने के बाद उन्होंने तहसीलदार की परीक्षा दी इसमें भी वह सफल रहे। तहसीलदार के पद पर रहते हुए ही प्रेम ने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी शुरू की। उन्होंने केवल कानून और नैतिकता के विषय के लिए एक महीने क्लास की तथा समान्य ज्ञान के लिए कुछ दिन कोचिंग ली। इसके बाद वह खुद से ही अपनी तैयारी करते रहे। हालांकि नौकरी के साथ साथ इतनी कठिन परीक्षा के लिए खुद से तैयारी करना आसान नहीं था मगर प्रेम ने अपनी एकाग्रता से इसे आसान बना लिया।

कई विभागों में 6 साल की अवधि में अनेक बार सरकारी नौकरी लगने के बाद भी प्रेमसुख ने मेहनत जारी रखी और सिविल सेवा परीक्षा में 170 वां रैंक प्राप्त किया है और हिंदी माध्यम के साथ सफल उम्मीदवार में तीसरे स्थान पर रहे।यूपीएससी इंटरव्यू के दौरान फॉर्मल्स कपड़ों में होना जरूरी है लेकिन प्रेम ने इस बात को गलत साबित किया। वह साधारण कपड़ों में ही इंटरव्यू देने गए।

प्रेम को गुजरात कैडर मिला तथा उनकी पहली पोस्टिंग गुजरात के अमरेली में एसीपी के पद पर हुई।उनकी सच्ची लगन और मेहनत कई युवाओं के लिए प्रेरणा है।

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