रिहायशी कालोनियों को बनाया जाता है साफ्ट टारगेट

शहर में बढ़ते डेंगू के प्रकोप के बीच विजया गार्डन कॉलोनी,बारीडीह, जमशेदपुर में गंदगी एवं जल जमाव पाए जाने पर जेएनएससी की ओर से बड़ी कार्रवाई करते हुए कॉलोनी प्रबंधन समिति समिति पर 1.20लाख रुपए का जुर्माना ठोक दिया । इस तरह के मामले में यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। यह सही है कि जिस तरीके से डेंगू का प्रकोप बड़ा है उसमें साफ सफाई बहुत ही जरूरी है। डेंगू का लार्वा न पनपे इसके लिए लगातार जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं। बावजूद उसके लोग यदि जगह जगह गंदगी है तो यह चिंताजनक है। सबसे बड़ी समस्या जमा पानी को लेकर हो रही है। घरों में पौॅट में पानी में पौधे लगाने वालों से अनुरोध किया जा रहा है कि वे हर सप्ताह उसका पानी बदलें। छत पर या किसी भी स्थान पर पानी जमा न होने दें। यह सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा होना चाहिये लेकिन अभी चूंकि महामारी ने भयावह रुप धारण किया है तो लोगों को अधिक जागरुक किया जा रहा है। ऐसे में जब विजया गार्डन सोसाइटी में बढ़ते डेंगू के प्रकोप का मुवायना करने के लिए जेएनएसी की टीम वहां पहुंची तो बड़ी मात्रा में जगह-जगह गंदगी पाई गई । इसी कारण कालोनी की प्रबंधन कमिटी के खिलाफ कार्रवाई की गई। ऐसा ही मामला सदर अस्पताल में देखा गया था। वहां भी पानी जमा पाया गया तो केवल फटकार लगाकर छोड़ दिया गया। मानगो के इलाकों में अभी भी काफी गंदगी देखी जा रही है। जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने भी अपने विधान सभा क्षेत्र में गंदगी की ओर ध्यान आकृष्ट कराया है।
यह पाया जाता है कि इस तरह की सोसाइटियों को सॉफ्ट टारगेट बहुत आसानी से बना दिया जाता है। चाहे पुलिस प्रशासन की बात हो या अन्य नागरिक सुविधा मुहैया कराए जाने वाली एजेंसियां। होल्डिंग टैक्स के मामले में भी ऐसा ही देखा जाता है इन क्षेत्रों के लोग अपने स्तर से साफ सफाई भी कराते हैं । नगर निकाय की ओर से ऐसी रिहायशी कालोनियों में किसी भी तरह की सुविधा मुहैया नहीं कराई जाती। बावजूद इसके ऐसी कालोनियों में निवास करने वालों को नगर निकायों के सारे टैक्स अदा करने होते हैं। सडक़, स्ट्र्ीट लाइट, जलापूर्ति से लेकर अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के समय निकायों द्वारा यह कहते हुए हाथ खड़ा कर लिया जाता है कि यह प्राइवेट कालोनी है। लेकिन टैक्स वसूलते समय यह नहीं कहा जाता। आदित्यपुर नगर निगम द्वारा पिछले साल बुलाई गई एक बैठक में ऐसी रिहायशी कालोनियों की ओर से सवाल उठाये गये तो तत्कालीन पदाधिकारियों ने नियम का हवाला देते हुए हाथ खड़े कर लिये थे।
जलापूर्ति के मामले में इस तरह की भी गड़बडिय़ां देखी जाती है । मानगो को जलापूर्ति योजना को अमली जामा पहनाये जाने के समय ऐसी रिहायशी कालोनियों के हर यूनिट से कनेक्शन के नाम परर चार्ज लिया गया। लेकिन जब कनेक्शन देने की बात आई तो तब की मानगो अधिसूचित क्षेत्र समिति ने यह कहते हुए हाथ खड़े कर लिये कि उसके लिये अपार्टमेंट के सभी 200-300 फ्लैट में जलापूर्ति करना संभव नहीं। पूरी कालोनी के लिये एक जगह ही कनेक्शन दिया गया। कालोनी प्रबंधन समितियां अब अपने स्तर से हर फ्लैट में जलापूर्ति करती हैं। जब नोटिफाइड एरिया कमेटी से गुहार लगाई गई कि जब इतने लोगों से कनेक्शन के नाम पर अलग-अलग राशि वसूली गई है तो उन राशि को वापस लौटी जाए तो कहा गया की राशि लौटाए जाने का ऐसा कोई प्रावधान नहीं है । आशय यह कि ऐसे मामलों में हमेशा ही रिहायशी कालोनियों को साफ्ट टारगेट बनाया जाता है। यह अलग बात है कि समय के साथ साथ ऐसी रिहायशी कालोनियों का प्रचलन बढ ही रहा है।

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