संपादकीय,झारखण्ड की बेटियों का दर्द

झारखण्ड की राजधानी रांची में एक अवकाश प्राप्त आई ए एस की पत्नी द्वारा एक 29 साल की आदिवासी नौकरानी के साथ किया गया अत्याचार रोंगटे खड़े करने वाला है। आई ए एस की पत्नी भारतीय जनता पार्टी से जुड़ी रही है और वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बेटी पढ़ाओं बेटी बचाओ अभियान की झारखण्ड प्रदेश संयोजक थी। भाजपा ने इस मामले के सामने आने के बाद सीमा पात्रा को पार्टी से निलम्बित कर दिया है। लेकिन इस एक घटना ने हमारे समाज की असलियत को उजागर कर दी है। बड़े पदों पर आसीन होने या सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने के बाद भी व्यक्ति का असल चरित्र नहीं बदलता। झारखण्ड का दुर्भाग्य रहा है कि यहां की आदिवासी बेटियां देश के अलग-अलग हिस्सों में इसी तरह का जुल्म सहती रहती है। कुछ माह पहले दिल्ली में भी इसी तरह के एक मामले का खुलासा हुआ था जिसमें एक झारखण्ड की बेटी को मुक्त कराया गया था। नौकरी दिलाने के नाम पर झारखण्ड की लाखों बेटियां कम उम्र में ही नौकरानी बनने को विवश हो जाती है या करा दी जाती है। ऑकड़े बताते है कि इस छोटे से प्रदेश की करीब 5 लाख बेटियां देश के अलग-अलग हिस्सों में नौकरानी बनी हुई है। इनके अलावे काम दिलाने के नाम पर इन पर होने वाले अत्याचार की खबरे भी आती रहती है। 14 से 18 साल की बच्चियों के साथ यौन अत्याचार तक के रोंगटे खड़ा करने वाले मामले सामने आते है। कुछ दिन पहले ही पूर्वी सिंहभूम जिले के डुमरिया की करीब आधा दर्जन लड़कियों को ऐसे ही मामले में मुक्त कराया गया था।
झारखण्ड के विभिन्न हिस्सों में दलाल सक्रिय रहते है और नौकरी दिलाने के नाम पर यहां की लड़कियों को थोक भाव में बाहर ले जाते है वहां उनसे 12 से 14 घंटे तक काम करायेे जाते है। पगार भी नहीं के बराबर दिया जाता है। खाने पीने की भी अच्छी व्यवस्था नहीं रहती। हर दूसरे -तीसरे दिन झारखण्ड के किसी न किसी हिस्से से ऐसी खबरे सामने आती रहती है कि वहां की बच्चियां देश के किसी हिस्से में ऐसे दरिंदो के पास फंसी हुई हैं। इनको बचाकर लाया भी जाता है। यह स्थिति आखिर क्यों है? देश के अलग-अलग हिस्सो से पलायन की खबरे आती है लेकिन आबादी के अनुपात में जिस बड़ी संख्या में झारखण्ड से खासकर लड़कियों का पलायन काम के लिये होता है, उतना कही और देखने को नहीं मिलता। यह एक बड़ी और विकट समस्या है झारखण्ड की। रांची के वी आई पी कालोनी से उस 29 साल की दिव्यांग आदिवासी महिला को 8 साल की प्रताडऩा से मुक्ति तो मिल गई, लेकिन आगे उसके सामने पहाड़ सी जिंदगी है। ऐसी अनगिनत लड़कियां हैं जो इसी तरह की भयावह स्थिति से अभी भी गुजर रही होंगी। यह बड़ी चिंताजनक स्थिति है।

Share this News...