मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट की सशर्त मंजूरी

नई संसद सेंट्रल विस्टा विवाद:
नई दिल्ली: शर्त रखी: कंस्ट्रक्शन शुरू करने से पहले हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी (पुरातत्व संरक्षण समिति) की मंजूरी ली जाए।
सलाह दी: सभी कंस्ट्रक्शन साइट्स पर स्मॉग टावर लगाए जाएं और एंटी-स्मॉग गन इस्तेमाल की जाए।
पिटीशनर्स के 3 दावे थे प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरण मंजूरी गलत तरीके से दी गई।
कंसल्टेंट चुनने में भेदभाव किया गया।
लैंड यूज में बदलाव की मंजूरी गलत तरीके से दी गई।
क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट?
इस प्रोजेक्ट का ऐलान सितंबर 2019 में हुआ था। इसमें संसद की नई तिकोनी इमारत होगी, जिसमें एक साथ लोकसभा और राज्यसभा के 900 से 1200 सांसद बैठ सकेंगे। नए संसद भवन का निर्माण 75वें स्वतंत्रता दिवस पर अगस्त 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा।
सेंट्रल सेक्रेटरिएट 2024 तक पूरा करने की तैयारी है। राष्ट्रपति भवन, मौजूदा संसद भवन, इंडिया गेट और राष्ट्रीय अभिलेखागार को वैसे ही रखा जाएगा।
मास्टर प्लान के मुताबिक पुराने गोलाकार संसद भवन के सामने गांधीजी की प्रतिमा के पीछे 13 एकड़ जमीन पर तिकोना संसद भवन बनेगा।
नए भवन में लोकसभा और राज्यसभा के लिए एक-एक इमारत होगी, लेकिन सेंट्रल हॉल नहीं बनेगा।

(गुजरात के आर्किटेक्ट की डिजाइन पर बनेगी नई संसद, इंडिया गेट के आसपास 10 इमारतों में 51 मंत्रालयों के दफ्तर होंगे)
नई संसद की जरूरत क्यों?
मार्च 2020 में सरकार ने संसद में कहा था-
पुरानी बिल्डिंग ओवर यूटिलाइज्ड हो चुकी है और खराब हो रही है।
2026 में लोकसभा सीटों का नए सिरे से परिसीमन का काम शेड्यूल है। इसके बाद सदन में सांसदों की संख्या बढ़ सकती है।
बढ़े हुए सांसदों के बैठने के लिए पुरानी बिल्डिंग में पर्याप्त जगह नहीं है।
मौजूदा भवन का क्या होगा?
मौजूदा संसद भवन का इस्तेमाल भी जारी रहेगा। इसका उपयोग संसदीय आयोजनों के लिए किया जाएगा। साथ ही इसका इस्तेमाल एक म्यूजियम के तौर पर भी किए जाने का विचार है, ताकि युवा पीढ़ी को लोकतांत्रिक यात्रा के बारे में जानकारी मिल सके।

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