अलविदा वर्ष 2020

जो आता है वह एक दिन जाता ही है। आने वाले का हम खूब स्वागत करते हैं, खुशियाँ मनाते हैं। जब वर्ष 2020 आया तब हमने खूब खुशियाँ मनायी थी। लेकिन ये वर्ष 2020 हमें बहुत कुछ सीखा गया, कुछ नया दे गया और बहुत कुछ छीन कर ले गया।

मेरे बीते हुये साल के हसीन लम्हों को याद कर मन थोड़ा सिहर जाता है। गत वर्ष मेरा अकल्पनीय, अद्भुत, अविश्वसनीय रूप में बीता। सब कुछ अच्छा चल रहा था,अचानक एक वायरस ने पूरे ब्रह्माण्ड को हिला कर रख दिया। चारों ओर त्राहि त्राहि मच गई।

अभी नये साल की खुमारी उतरी भी न थी कि एक नया जानलेवा वायरस कोविड19 ने पूरे विश्व को अपने चपेट में ले लिया। यह संक्रमण इतनी तेजी से बढ़ा कि लोग इसके शिकार होने लगे और मृत्यु के आगोश में जाने लगे। दुर्भाग्य की बात यह थी कि इसकी कोई दवा भी न थी।
अपने आपको सुरक्षित रखने के लिये कुछ एहतियात बरतना आवश्यक हो गया। लोगों से दूरी, मुँह पर मास्क, हाथों को सैनेटाइज करना जरुरी हो गया। कोरोना ने हमें फिर से पूरी तरह स्वच्छ रहने का पाठ पढ़ा गया। भारतीय संस्कृति में तो स्वच्छता हमारे रोजमर्रा की बात है पर कोरोना ने बड़ी कड़ाई के साथ इसका पालन करवाया।

स्थिति यहाँ तक आ गई कि सब कुछ बन्द,शहर बन्द,दुकानें बन्द,स्कूल-कॉलेज बन्द,ऑफ़िस बन्द,यातायात बन्द,बस-रेल सब बब्द,,,,,सब अपने-अपने घरों में बन्द हो गये। लॉक डाउन की वजह से सभी परेशान हो गये। लोग अपने घर के लिये पलायन करने लगे। ऐसी स्थिति में खुद को सम्भालना मुश्किल हो गया। पर लॉक डाउन ने पूरे परिवार को एक साथ रहने का मौका दिया। सब एक दूसरे के करीब आ गये। बच्चों को माँ पिता का प्यार वृद्ध माता पिता को बच्चों का साथ मिला। एक साथ रहना, खाना खाना, खाना बनाना, घर से ही काम करना। परिवार में खुशियाँ भर गई। इसलिये यह वर्ष साधुवाद का पात्र हैं। इन दिनों घर के पुरुषों ने भी घर का काम करना सीखा। इस काल में एक नया ट्रेंड चला- वर्क फ्रॉम होम। ऑफ़िस के काम घर से हो रहे हैं। बच्चे ऑन लाईन पढ़ाई कर रहे हैं। अगर इसकी अच्छाई की ओर ध्यान दें,,, तो पायेंगे कि ऑफ़िस और स्कूल जाने की आपाधापी नहीं रही। सभी बड़ी सहजता के साथ घर से काम भी कर रहे हैं और शिक्षा-शिक्षण का कार्य भी हो रहा है।

वर्ष 2020 ने लोगों को अपनी छुपी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया। जिनकी दबी इच्छाएं थीं उन्होंने अपने हॉबी को पूरा किया- गाना, डान्स, कुकिंग, साहित्य, सिलाई, बागबानी, पेन्टिंग आदि के शौक को पूरा किया है। सबसे ज्यादा तो लोगों ने अपनी लिखने की प्रतिभा को निखारा है। मैने स्वयं अपने इस शौक को पूरा करने की कोशिश की। अपनी लेखनी को निखारने और धारदार बनाने का प्रयास किया है। कई साहित्यिक समूहों से मुझे सम्मान पत्र प्राप्त हुए हैं। मेरी पुस्तक का लोकार्पण भी हुआ। वर्ष 2020 और लॉक डाउन और कोरोना काल की यह मेरी उपलब्धि है।
बीते साल ने सिखाया हमें कि कैसे कम चीजों में जीवन जीया जाता है। जीवन की चुनौतियां का सामना कैसे किया जाता है। एक बहुत सुन्दर संदेश हम सभी को दिया कि जीवन में सारी खुशियाँ अपनों से, अपने घर में ही मिलती है। जिंदगी की खुशियाँ बाहर नहीं हमारे दिल में, हमारे अपनों में, हमारे परिवार से मिलती है। खुश रहो, घर में रहो, स्वस्थ रहो यही तो पूरे साल की कामना रही थी।आर्थिक तंगी में भी अपनों के साथ से हमारे में ऊर्जा का प्रवाह होता रहा।

अंत में मेरे बीते हुये साल को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूँगी कि इस साल ने हमें जीवन में एक नई राह दिखाई, जिससे सभी में आत्मविश्वास बढा, सहयोग, मैत्री भाव का अहसास कराया। ये बहुत बड़ी हमारे लिए उपलब्धि है।

प्रकृति का क्रम है उदय होना ,अस्त होना,आना और जाना, मिलना और बिछड़ना। पर जिन्दगी को एक नयी सीख दे गया बीता साल। कठिन परिस्थितियों में जीने की कला सीखा गया 2020 का साल।

पर इसका दूसरा रुप भयावह था। दूर दराज में काम कर रहे मजदूरों की आफत आ गई । इस कोरोना काल में वे सभी अपने घर गाँव जाने को मचल उठे लेकिन कोई सुविधा नहीं थी। वे पैदल ही अपने गाँव को चल पड़े। उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कितनों को अपनी जान तक गँवानी पड़ी।

इस रोग से कितनों ने अपनों को खोया। उनके लिये यह वर्ष काल (मौत) का वर्ष था। अपनों को खोना कितना मर्मांतक है,,,जिनपर बीती वही जानते हैं। स्थिति ऐसी थी कि अपनों को छू भी नहीं सकते थे। यूँ सामाजिक दूरी आयी पर भावनात्मक रुप से जुड़ाव बना रहा। हालाँकि इस काम में डॉक्टर,स्वास्थ्यकर्मी आदि मुस्तैदी से लगे थे। सड़कों पर केवल पुलिस थी जो अपनी ड्यूटी बखूबी निभा रही थी।

वर्ष 2020 कोरोना का काल था और है। अभी कोरोना का खौफ नहीं गया है। पर इसने हमें सीखा दिया कि जीने के लिये बहुत चीजों की जरुरत नहीं होती। हम कम से कम में भी अपनी जिन्दगी बसर कर सकते हैं। हम मनुष्य बेकार ही संग्रह की आपाधापी में मशगूल हैं और वास्तविक जीवन के आनन्द को भूला बैठे हैं।

पर्यावरण शुद्ध और स्वच्छ बना। प्रकृति फिर से हँसने और खिलखिलाने लगी। पंछियों की आवाज और कलरव कानों में मधु रस घोलने लगी है।
अब वर्ष 2020 बीत रहा है,,,विपत्ति गई नहीं है। हमें अभी भी सुरक्षित ढंग से रहना है। “दो गज़ की दूरी,मास्क है जरुरी” को अपनाते हुए साल 2020 को अलविदा कहना है और ईश्वर से प्रार्थना करना है कि साल 2020 ने जो अच्छी बातों का सौगात दिया है वह 2021 में और आगे भी रहे और विपत्ति (कोरोना) को 2021 में न भेजे।
अलविदा वर्ष 2020…!!

जमशेदपुर, झारखंड

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