गरीबों के नाम पर सेवा के लिये लिये जा रहे एम्बुलेंस और दवाएं कहां भेजते हैं स्वामीजी!

जमशेदपुर, 14 मार्च : विश्व कल्याण के नाम पर एक सेवा ट्रस्ट का गठन कर उसको चलानेवाले स्वनाम धन्य स्वामीजी देश और खासकर प्रदेश की कई कंपनियों से उनके सीएसआर मद में एक से एक महंगे एम्बुलेंस और गरीबों को दवा एवं उनकी चिकित्सा के लिये अन्य साधन मुहैया कराने के लिये दवा के साथ-साथ नगद धनराशि भी जमकर प्राप्त कर रहे हैं. इसके लिये वे प्राय: झारखंड से जुड़े नेता, मंत्री आदि का नाम भी खूब आगे बढ़ाते हैं और कहीं कहीं तो मंत्री दरबार से खुद फोन भी करवाते हैं. प्रशासन के अधिकारी भी उनके लिये फोन करते हैं. सब यह समझते हैं कि स्वामीजी सेवा कार्य चला रहे हैं, लेकिन पता चलता है कि एम्बुलेंस स्वामीजी के घर के पास या तो खड़ा होकर या तो शोभा बढ़ा रहे हैं या किसी और काम में लगे हुए हैं. इसी तरह कार्टून के कार्टून दवा स्वामीजी की घर पर गोदाम में पड़ी रहती है. एक छानबीन में बड़ाबांकी, कीतनाला आदि क्षेत्रों में स्वामीजी द्वारा ग्रामीणों के बीच चिकित्सा सेवा मुहैया कराने का दावा किया गया, लेकिन गांववासियों और अन्य मुखिया, पूर्व मुखिया आदि ने बताया कि उन्होंने कभी न एम्बुलेंस देखी और न कभी कोई दवा का वितरण हुआ. अभी हाल में बोकारो में एक बड़ी कंपनी से भी स्वामीजी ने एम्बुलेंस लिया और इस मौके पर एक मंत्रीजी को भी गवाह बनाया.हाल ही एक बैंक ने भी स्वामी को सहायता प्रदान की. स्वामी राजनेताओं के साथ सबंधों की प्रगाढ़ता
बताते है. कोल्हान से आने वाले एक मंत्री जी इस स्वामी से कुछ ज्यादा ही प्रभावित दिखते हैं और इनका नाम स्वामी खूब भंजाते हैं. सेवा कार्य के निमित्त लेनदेन और वितरण का हिसाब किताब मुखेर कानून की तरह या एक जमाने में जो कहा जाता था ‘खाता न बही, केसरी जी जो कहें वही सही’ वाली स्थिति भी देखी गई है. स्वामीजी का न्यूनतम डिमांड सेवा कार्य के लिये कम से कम 10 लाख रु. होता है. एम्बुलेंस का दाम इसमें शामिल नहीं होता. जितने बड़े पैमाने पर स्वामीजी को मदद मिलती है, उतना अगर ग्रामीणों के बीच खर्च कर दिया जाए तो शायद पूरे झारखंड में सुविधाविहीन लोगों को इलाज में बहुत सहायता मिल जाती. सेवा का यह बनावटी स्वरुप शहर में चर्चा का विषय बन गया है और अब उनके हिसाब किताब की जांच की मांग भी होने लगी है. उनको मदद देनेवाली कंपनियों के कान भी खड़े होने लगे हैं. मंत्री और प्रशासन के अधिकारियों को भी इस सेवा स्वरुप की जानकारी दी जाने लगी है. सवाल है कि एम्बुलेंस, दवा और मदद की राशि का आखिर होता क्या है

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