रामजी की कृपा रही है कि बात बिगड़ते-बिगड़ते रह गई

कड़वा सच


जमशेदपुर का माहौल रामनवमी विसर्जन को लेकर बिगड़ते-बिगड़ते बच गया। साकची में विसर्जन के लिये सजाये जा रहे एक ट्रेलर को जब्त किये जाने के बाद मामला बिगड़ता चला गया। रामजी की कृपा रही कि बाद में स्थिति को कुछ लोगों की पहल पर सुलझा लिया गया और बीच का मार्ग निकालकर सहमति बना दी गई। अब बाल की खाल निकालने वाले सक्रिय हो गये है। जिला प्रशासन एवं पुलिस के पदाधिकारी रामनवमी के 10 दिन पूर्व से ही विभिन्न अखाड़ा समितियों की बैठकों में विभिन्न गाइडलाइन को लेकर लगातार सख्त निर्देश दे रहे थे। उस दौरान न तो बैठकों में किसी ने विरोध किया और नहीं सार्वजनिक तौर पर ऐसा कुछ देखने को मिला। इक्का दुक्का विरोध जरुर हुए। एक वायरल वीडियो में जिले के वरीय आरक्षी अधीक्षक प्रभात कुमार के बेहद सख्त लहजे में कही गई बातों पर शांति समिति के लोग तालियां बजाते भी देखे सुने गये। जब रामनवमी विसर्जन के दौरान जब कुछ संवादहीनता और गलतफहमी के कारण मामला उलझने लगा तो घंटों किसी भी ओर से कोई पहल नहीं की गई। तब चमकता आईना की पहल पर सांसद विद्युत वरण महतो आगे बढ़े और शाम को प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में सारी गलतफहमियों को दरकिनार करते हुए शहर के माहौल को सर्वोपरि रखकर सहमति बनाई गई। छोटी सी बात को बवंडर बनाने की जो पृष्ठभूमि बनाई जा रही थी, या बन गई थी, इसका पटाक्षेप कर दिया गया।
जिन लोगों को उस समझौता वार्ता में शामिल नहीं किया गया अब उनका अहम जागा है। जब सबकुछ शांत हो गया, तो वे सक्रिय हो गये है। जब तक बात बिगड़ रही थी, कोई सामने नहीं आया।
उपायुक्त विजया जाधव पूरे प्रकरण में निशाने पर हैं। दशमी को दिन भर विभिन्न अखाड़ा समितियां, हिन्दुवादी संगठन एवं भाजपा से जुड़े लोग उपायुक्त से बेहद नाराज रहे। उस समय तक सत्ता पक्ष के दलों की ओर से कोई पहल नहीं की गई। शहर पर इतना बड़ा खतरा मंडरा रहा था लेकिन सुलह के लिये या बीच बचाव के लिये ऐसे लोग आगे नहीं आये । शाम को जब बात को ‘सुलझा’ लिया गया तो सत्ता पक्ष सक्रिय हुआ। स्थानीय विधायक सह मंत्री बन्ना गुप्ता का ट्वीट एवं प्रेस में बयान सामने आया जिसमें जिला प्रशासन को निशाने पर लिया गया। अगले दिन कांग्रेस जिलाध्यक्ष आनंद बिहारी दूबे ने जिला कार्यकारिणी की बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस कर उपायुक्त विजया जाधव को निशाने पर लिया। उनका कहना है कि उपायुक्त भाजपा से मिली हुई है। उन्होंने जिले के छह विधायकों को बैठक में क्यों नहीं बुलाया। जिला कांग्रेस अब उपायुक्त की पिछली कई कार्रवाइयों में अब मीन मेख निकाल रही है। पत्ता मार्केट से अतिक्रमण हटाये जाने का उस वक्त विरोध नहीं किया गया, अब उसे गरीब विरोधी बताया जा रहा है। उसी तरह डिमना रोड डिवाइडर से अतिक्रमण हटाये जाने के करीब एक सप्ताह बाद इसे गरीबों पर जुल्म बताया जा रहा है। उस दौरान भाजपा नेता विकास सिंह विस्थापित हो रहे दुकानदारों के समर्थन में आये थे लेकिन उनपर ही सरकारी काम में बाधा डालने का केेेेस लाद दिया गया। मंत्री बन्ना गुप्ता के भाई गुड्डू गुप्ता भी पहुंचे थे लेकिन उनपर कोई केस नहीं हुआ। ये सारे सवाल जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने उठाये।
रामनमवी विसर्जन जुलूस प्रकरण से निपटने में कहीं प्रशासनिक चूक हुई तो कही राजनीति की रोटी सेंकने की कोशिश। पुलिस अधिकारियों एवं उपायुक्त का कहना है कि छोटे मुद्दे का मिल बैठकर हल निकालने के बजाय कुछ लोगों द्वारा इसे बड़ा मुद्दा बनाकर शांति भंग करने का प्रयास किया गया।
जिसे रोटी सेंकने का मौका नहीं मिला वह अब ‘आहत’ है।
जिस रामनवमी को लेकर जिला प्रशासन एवं पुलिस इतने दिनों से दिन रात तैयारियां कर रहा था, विभिन्न अखाड़ा समितियां भी पूरे जोर-शोर उत्साह के साथ पर्व को मनाने में जुटे थे उन सब पर एक मामूली बात को लेकर इतना बड़ा ग्रहण लगा दिया गया था। उन लोगों का शरहवासी आभार जता रहे है जिन्होंने पहल कर शहर का माहौल बिगडऩे से रोका।
अब इन सवालों का उठना भी लाजिमी है कि ऐसी शांति समितियों का क्या औचित्य, शांति का प्रयास करना जिनके बूते के बाहर की बात हो। ऐसी समितियों को भंग करने की बात इसी कारण उठ रही है। शांति समिति की बैठकों में जिन मुद्दों को उठाया जानाचाहिये, उसपर चर्चा ही नहीं होती। प्रशासनिक अधिकारियों की जी हुजूरी में ही अधिकांश पदाधिकारी और सदस्य लगे रहते हैं।

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