सम्पादकीय- जमशेदपुर में अपराध पर बुल्डोजर

पुलिस प्रशासन का हनक कायम रहने से ही समाज में कानून-व्यवस्था नियंत्रित रहती है और समाज में अमन – कायम रहता है। यही कारण है कि अपराधियों एवं दबंगो के लिये बदनाम रहे उत्तर प्रदेश में बुल्डोजर की कार्रवाई इतनी प्रभावी रही कि देश के दूसरे हिस्से में भी इसे अमल में लाया जाने लगा है। जमशेदपुर में भी जब गणेश पूजा विसर्जन के दौरान कुछ बदमाश किस्म के लोगों ने एक युवक पर जानलेवा हमला किया और उस घटना के बाद एक वीडियो जारी किया तो जमशेदपुर पुलिस ने उन बदमाशोौं पर कार्रवाई करते हुए उनके अवैध निर्माण पर बुल्डोजर चला दिया। उसके बाद उन बदमाशों का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वे अपनी करतूतो के लिये माफी मांगते नजर आये। करीब ढाई-तीन दशक पहले जब जमशेदपुर में अपराध सर चढक़र बोल रहा था तो तत्कालीन एस पी डा. अजय कुमार ने बुल्डोजर का उपयोग किया था। कई ऐसे अपराधियों के घर ढाह दिये थे जिनका खौफ रहा करता था। डा. अजय कुमार एवं तत्कालीन ए एस पी नीरज सिन्हा के नेतृत्व में जिला पुलिस ने कई अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया भी था। आज भी वे सारी घटनायें शहरवासियों की जेहन में है।
अभी जिले के वरीय पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार की अगुवाई में की गई बुल्डोजर कार्रवाई इसी कारण फिर से चर्चा में है। अपराध पर पूरी तरह नियंत्रण पाया नहीं जा सकता लेकिन जब उसके बाद भी पुलिस-प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहता है तब आम जन मानस में निराशा फैलती है। लेकिन जब पुलिस एक्शन में दिखती है तो जनता का भरोसा पुलिस के प्रति बढ़ता है और यही होना भी चाहिए। हलांकि जो राजनीतिक व्यवस्था है वह कई बार पुलिसिया कार्रवाई में बाधा भी उत्पन्न करने का प्रयास करती है। जमशेदपुर सहित राज्य के कई प्रमुख जिलों में बेहतर पुलिसिंग को ध्यान में रखते हुए तीन-तीन आई पी एस की पदस्थापन की जरूरत महसूस की गई। जमशेदपुर में करीब डेढ़ दशक पूर्व डा. प्रभात कुमार की हत्या के बाद उत्पन्न हालात को देखते हुए जिले में तीन आई पी एस की नियुक्ति की मांग उठी और उसी के बाद वरीय आरक्षी अधीक्षक, सिटी एस पी और ग्रामीण एसपी के पद सृजित किये गये। अभी जब अपराधी घटनाओं को अंजाम देने के बाद वीडियो जारी करने का दुस्साहस किया तो उनके खिलाफ बुल्डोजर का इस्तेमाल करना पड़ा। उत्तर प्रदेश में त्वरित एक्शन के लिहाज से की जाने वाली बुल्डोजर की कार्रवाइयों का कितना असर हो रहा है यह बताने की जरूरत नहीं। दूसरे प्रदेशों में भी इसका प्रयोग यूं ही नहीं शुरु किया गया।

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