राष्ट्रगीत के 150 साल: पीएम मोदी बोले- 1937 में वंदे मातरम् के महत्वपूर्ण छंदों को हटाया गया, विभाजन के बीज बोए गए

 

 

 

 

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शनिवार को राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ के 150 साल पूरे होने के अवसर एक कार्यक्रम में शामिल हुए. बता दें, इस अवसर पर पूरे देश में साल भर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे. पीएम मोदी अब से कुछ देर पहले ही राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में कार्यक्रम में पहुंचे.

पीएम मोदी ने कहा कि आज, 7 नवंबर, एक ऐतिहासिक दिन है. हम वंदे मातरम की रचना के 150 वर्ष पूरे होने का भव्य समारोह मना रहे हैं. यह आयोजन करोड़ों भारतीयों में नई ऊर्जा का संचार करेगा. वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर सभी देशवासियों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं.

वहीं, कांग्रेस पर निशाना साधते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि 1937 में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के महत्वपूर्ण छंद हटा दिए गए थे, जिससे विभाजन के बीज बोए गए. उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसी ‘विभाजनकारी मानसिकता’ आज भी देश के लिए एक चुनौती है. उन्होंने कहा कि वंदे मातरम भारत के स्वतंत्रता संग्राम की आवाज बन गया, इसने हर भारतीय की भावनाओं को व्यक्त किया. दुर्भाग्य से, 1937 में, वंदे मातरम के महत्वपूर्ण छंदों को इसकी आत्मा को हटा दिया गया. वंदे मातरम के विभाजन ने भी विभाजन के बीज बोए. आज की पीढ़ी को यह जानने की जरूरत है कि राष्ट्र निर्माण के इस ‘महामंत्र’ के साथ यह अन्याय क्यों किया गया. यह विभाजनकारी मानसिकता आज भी देश के लिए एक चुनौती है.

यह उल्लेख करते हुए कि वंदे मातरम हर युग में प्रासंगिक है, प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर का स्पष्ट संदर्भ देते हुए कहा कि जब दुश्मन ने आतंकवाद का उपयोग करके हमारी सुरक्षा और सम्मान पर हमला करने का साहस किया, तो दुनिया ने देखा कि भारत दुर्गा का रूप धारण करना जानता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब देश वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे कर रहा है, यह हमें नई प्रेरणा देता है और देश के लोगों को नई ऊर्जा से भर देता है. उन्होंने कहा कि वंदे मातरम एक शब्द है, एक मंत्र है, एक ऊर्जा है, एक स्वप्न है, एक संकल्प है. यह भारत माता के प्रति समर्पण है, भारत माता की आराधना है. यह हमें हमारे इतिहास से जोड़ता है और हमारे भविष्य को नया साहस देता है. हमें एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना है जो ज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के आधार पर सर्वोच्च हो.

पीएम ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आगे कहा कि यह राष्ट्रगीत हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाता है. उन्होंने कहा कि ऐसा कोई संकल्प नहीं, जिसकी सिद्धि ना की जा सके. वंद मातरम् मां सरस्वती की आरधना है. उन्होंने आगे कहा कि वंदे मातरम् भविष्य को हौसला भी देता है. पीएम मोदी ने कहा कि आज 7 नवंबर का दिन बेहद महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रगीत वंदे मातरम् संपूर्ण भारत का चित्र प्रस्तुत करता है.

पीएम मोदी ने कहा कि भारत की संकल्पना ही इसके पीछे की वैचारिक शक्ति है. अपने स्वतंत्र अस्तित्व का बोध. हृदय की गहराइयों और भावनाओं की अनंतता से ही वंदे मातरम जैसी रचना प्रस्फुटित होती है. गुलामी के उस कालखंड में, वंदे मातरम इसी संकल्प का उद्घोष बन गया और वो उद्घोष था भारत की आजादी का. गुलामी की जंजीरें भारत माता के हाथों टूटेंगी और उसकी संतानें अपने भाग्य की निर्माता स्वयं बनेंगी.

राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ऐसा कोई लक्ष्य नहीं, जो हम भारतवासी पा न सकें. उन्होंने कहा कि ‘वंदे मातरम् एक मंत्र है, एक स्वप्न है, एक संकल्प है और एक ऊर्जा है. यह मां भारती से एक प्रार्थना है. यह हमें इतिहास में वापस ले जाता है. यह हमारे भविष्य को साहस देता है.

वहीं, इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी आयोजित एक कार्यक्रम में ‘वंदे मातरम्’ के पूर्ण संस्करण के सामूहिक गायन में शामिल हुए. प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया. यह कार्यक्रम 7 नवंबर 2025 से 7 नवंबर 2026 तक एक वर्ष तक चलने वाले राष्ट्रव्यापी स्मरणोत्सव का औपचारिक शुभारंभ है. इसको लेकर पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी शेयर किया है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश के स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरणा देने वाले इस राष्ट्रीय गीत को नई पीढ़ी तक पहुंचाना है.

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि कल 7 नवंबर का दिन देशवासियों के लिए ऐतिहासिक होने जा रहा है. हम वंदेमातरम् गान के गौरवशाली 150 वर्षों का उत्सव मनाने जा रहे हैं. यह वो प्रेरक आह्वान है, जिसने देश की कई पीढ़ियों को राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत किया है. इस विशेष अवसर पर सुबह करीब 9:30 बजे दिल्ली में एक समारोह में शामिल होने का सौभाग्य मिलेगा. यहां एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया जाएगा. वंदेमातरम् का सामूहिक गायन इस आयोजन का मुख्य आकर्षण होगा!

इस समारोह में मुख्य कार्यक्रम के साथ-साथ, समाज के सभी वर्गों के नागरिकों की भागीदारी के साथ, सार्वजनिक स्थानों पर सुबह लगभग 9:50 बजे ‘वंदे मातरम्’ के पूर्ण संस्करण का सामूहिक गायन होगा.

बता दें, वर्ष 2025 में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे हो जाएंगे. बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा रचित हमारा राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ अक्षय नवमी के पावन अवसर पर, जो 7 नवंबर 1875 को था, लिखा गया था. वंदे मातरम् पहली बार साहित्यिक पत्रिका बंगदर्शन में उनके उपन्यास आनंदमठ के एक अंश के रूप में प्रकाशित हुआ था. मातृभूमि को शक्ति, समृद्धि और दिव्यता का प्रतीक बताते हुए इस गीत ने भारत की एकता और स्वाभिमान की जागृत भावना को काव्यात्मक अभिव्यक्ति प्रदान की. विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह गीत शीघ्र ही राष्ट्र भक्ति का एक स्थायी प्रतीक बन गया.

अगले साल 7 नवंबर 2026 तक चलेगा कार्यक्रम
राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के अवसर पर आज से शुरू होने वाला कार्यक्रम अगले साल 7 नवंबर 2026 तक जारी रहेगा. पूरे देश में तमाम सांस्कृतिक, शैक्षणिक और जनभागिता वाले कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. यह गीत बंकिमचंद्र चटर्जी ने 7 नवंबर 1875 को अक्षय नवमी के दिन लिखा था.

 

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