हेमंत सरकार का एक साल: भ्रष्टाचार पर लगातार वार

झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार का 29 दिसंबर को एक साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है. इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कल बड़ा जलसा करने वाले हैं. मंगलवार को रांची का मोरहावादी मैदान इसका गवाह बनेगा. इस मौके पर सरकार अपनी उपलब्धियां गिनाएगी और नवीन योजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास होंगे. उनकी लंबी फेहरिस्त है जिनमें 7 योजनाएं कोल्हान में भी आने वाली हैं. इस बीच विपक्ष सरकार के एक साल के कामकाज को फिसड्डी बता रहा है. हमलावर भी है. जहां तक राज्य सरकार के कामकाज का सवाल है तो इसे हाथ खोलने का मौका ही कहां मिला. इसका उदय होते ही कोरोना महामारी टपक पड़ी. इस राज्य के काफी संख्या में लोग दूसरे राज्यों में फंसे थे. उन्हें सकुशल लाना और जीने लायक संसाधन उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती थी. लेकिन इस मोर्चे पर राज्य सरकार ने बढिय़ा काम किया. झारखंड पहला राज्य था जिसने अपने बाहर फंसे लोगों को हवाई जहाज से वापस लाया. बसों से उन्हें उनके गांव तक पहुंचाया. जहांतक कोरोना से निपटने की बात रही, तो इस मोर्चे पर भी राज्य सरकार की सक्रियता दिखी. अपने पास उपलब्ध संसाधन के अलावा निजी क्षेत्र में भी इलाज की व्यवस्था कराई. जिन राज्यों ने अपने नागरिकों के लिए नि:शुल्क कोरोना जांच और इलाज की व्यवस्था शुरू कराई, उनमें झारखंड भी शामिल था. इसके रांची, जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो जैसे मोटे राजस्व देने वाले जिले कोरोना से ज्यादा प्रभावित रहे. बावजूद इसके राज्य सरकार ने महामारी के फैलने पर नियंत्रण बनाए रखा. कोरोना से निपटने के मोर्चे पर इसने कुशलतापूर्वक काम किया.
जैसा कि सरकारी महकमे का दावा था कि उसे राज्य का खजाना खाली मिला और रही-सही कसर कोरोना ने पूरी कर दी, स्वाभाविक रूप से विकास के कार्य प्रभावित हुए. प्रशासनिक आदेश जारी कर बड़ी योजनाएं रोक दी गईं. केवल दैनंदिन के कामकाज संचालित होते रहे. अब जबकि कोरोना से मोटे तौर पर राज्य उबर चुका है तो विकास योजनाएं भी शुरू की जा रही हैं. सरकार अपने वायदे पर भी फोकस कर रही है. किसानों का ऋण माफ किया जा रहा है. साथ ही भ्रष्टाचार पर वार भी जारी है. अपने ओएसडी को भी उन्होंने नहीं बख्शा. उनके विशेष कार्य पदाधिकारी रहे गोपाल जी तिवारी के खिलाफ सीएम के आदेश के बाद एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) ने प्रारंभिक जांच (पीइ) दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी. तिवारी के खिलाफ पद का दुरुपयोग कर पैसा कमाने, 21.55 करोड़ रुपये का निवेश जमीन, फ्लैट आदि में करने व अनधिकृत तरीके से विदेश यात्रा संबंधी शिकायत मिलने के बाद यह कार्रवाई शुरू की गयी. राज्य में किसी मुख्यमंत्री द्वारा अपने ही ओएसडी रहे संयुक्त सचिव स्तर के पदाधिकारी के खिलाफ एसीबी जांच का यह पहला मामला था. सरकार ने जमीन माफिया से सांठगांठ कर वन भूमि की खरीद-बिक्री के आरोपी रेंजर शंभु प्रसाद को निलंबित कर दिया. उनका निलंबन बोकारो और सिमडेगा में उनके द्वारा की गयी गड़बडिय़ों के आरोपों के मद्देनजर किया गया. वन विभाग के प्रधान सचिव एपी सिंह ने रेंजर के खिलाफ मिली शिकायतों की जांच के बाद उसे निलंबित करने और उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही चलाने की सहमति दे दी. इन पर भी काम करने के दौरान जमीन माफिया से मिल वन भूमि को गैर वन भूमि बता कर अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने का आरोप था.
इसके अलावा उद्योग विभाग की अनुशंसा पर मुख्यमंत्री ने झारक्राफ्ट में हुए कंबल घोटाला में एसीबी को पीई दर्ज करने की अनुमति दी. पद के दुरुपयोग के मामले में अनुराग गुप्ता पर कार्रवाई का माामला किसी से छिपा नहीं है. मैनहर्ट का मामला भी खुल चुका है. और भी कई मामले हैं, जिन पर हथौड़ा चला है. हालांकि उम्मीद की जा रही थी थी कि झारखंड में हाथी उड़ाने वाले मामले में मुख्यमंत्री जल्द कोई कार्रवाई करेंगे. लेकिन इसमें हाईकोर्ट के आदेश पर जांच का जिम्मा एसीबी को दिया गया है लेकिन जांच की गति मंथर है. आरोप है कि राज्य में उद्योगों का जाल बिछाने के लिए मोमेंटम झारखंड के नाम पर 100 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया. इसमें कई वरिष्ठ अधिकारियों का भी हाथ रहा. लेकिन वे बचते दिख रहे हैं. इस योजना के तहत उद्योगों की स्थापना के बारे में सिर्फ कोल्हान का हाल बताएं तो लोग हैरत में पड़ जाएंगे. आरटीई के तहत मिली जानकारी के अनुसार कोल्हान में 186 उद्योग लगने थे जिसके लिए 507.03 एकड़ जमीन आवंटित की गई. लेकिन लगे कितने, केवल 9. आपको याद होगा कि 19 अगस्त 2017 को जमशेदपुर के गोपाल मैदान में बड़े तामझाम के साथ 74 उद्योगों की आधारशिला रखी गई थी. इसके तहत सरायकेला-खरसावां जिले में 169 उद्योग लगने थे लेकिन लगे केवल 7. पूर्वी सिंहभूम में करीब दो दर्जन उद्योगों की स्थापना होनी थी लेकिन हुई केवल दो. इस तरह जनता के पैसे का दुरुपयोग पर त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए थी. इसके साथ-साथ विकास की योजनाएं को भी गति देनी चाहिए. एक साल की कसर इस दूसरे साल में पूरी होनी चाहिए. राज्य के खनिज संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल कर पलायन और कुपोषण से लडऩे की योजनाएं बननी चाहिए. महिलाओं और बच्चियों को दूसरे राज्यों में ले जाकर उनका शोषण-उत्पीडऩ रुकना चाहिए. झारखंड की महिलाएं बड़ी मेहनती होती हैं, इनके श्रम का उपयोग अपने राज्य के विकास के लिए किया जाना चाहिए.

Share this News...