ट्रकों को रोकने का मामला सरायकेला-खरसावां पुलिस की स्थिति असहज

जमशेदपुर, 20 मई (रिपोर्टर): खरसावां जिला के चौका थाना क्षेत्र में कोयला ट्रकों के रोकने और छोडऩे के कथित मामले में डीएसपी की जांच रिपोर्ट को कोल्हान डीआईजी ने मुख्यालय अग्रसारित कर दिया है. सूत्रों ने यह जानकारी दी.
विदित हो कि चौका क्षेत्र में एनएच 33 के किनारे कुछ पेट्रोल पंपों और ढाबा में माल लदी कई ट्रकों को पुलिस ने रोक रखा था. फिर उन्हें छोड दिया गया था. अपुष्ट खबरों में बताया गया कि ट्रकों पर कोयला लदा था जिन्हें पुलिस ने रोका और छोड़ा.
इस प्रकरण में आरक्षी अधीक्षक सरायकेला-खरसावां ने स्पष्ट किया है कि रायजामा में पुलिस कैम्प का निर्माण कार्य चल रहा है. यह नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. उसके निमित्त निर्माण सामग्रियां, जैसे छड़, सीमेंट, बालू, ईंट आदि से लदी गाडिय़ां आई थीं. यह गाडिय़ां 16 मई की रात से 17 मई के दिन तक यहां खड़ी थीं. सभी गाडिय़ां तिरपाल से ढंकी थीं. इन गाडिय़ों का एक कारवां बनाकर आपरेशन प्लान के तहत रवाना किया गया जो रडग़ांव होते हुए रायजामा गयीं. उन्होंने बताया ऐसा अमूमन होता है.
इस बीच पुलिस महानिदेशक ने कल सभी एसएसपी, एसपी, डीआईजी तथा आईजी को विशेष तौर पर एक निर्देश जारी किया कि चेक नाकों और गश्ती दलों द्वारा निर्माण सामग्रियों को रोके जाने की शिकायतें मिली हैं जो अपराध की किसी विशिष्ट सूचना पर ही रोका जाना चाहिए और यह रोक टोक तथा इस संबंध में जांच-पड़ताल डीएसपी स्तर के अधिकारी द्वारा ही की जानी चाहिए. डीजीपी ने स्पष्ट कहा है कि भविष्य में इस निर्देश के बावजूद कोई अनावश्यक और अनधिकृत ढंग से रोकटोक की गयी तब संबंधित एसएसपी, एसपी जवाबदेह होंगे.
डीजीपी के इस खास निर्देश के जारी होने के बाद सरायकेला-खरसावां जिला पुलिस की असहज स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है. अगर नक्सली क्षेत्र में सुरक्षा के लिए निर्धारित किसी एसओपी के तहत इस तरह निर्माण सामग्रियों को 24 से 36 घंटे तक रोका गया तब डीजीपी को यह विशेष निर्देश क्यों जारी करना पड़ा?
जिला एसपी द्वारा संवाददाताओं को दिए गए स्पष्टीकरण के बाद और कुछ सवाल और उठ गए. मसलन डीएसपी की जांच रिपोर्ट में 23 गाडिय़ों में लदी निर्माण सामग्रियों की खरीद-बिक्री संबंधी विपत्र जांच रिपोर्ट में संलग्न किए गए कि नहीं, रायजामा पिकेट निर्माण के लिए जो रही इन सामग्रियों के सप्लायर -परविहनकत्र्ता आदि का विवरण लिया गया कि नहीं, रायजामा कितना बड़ा पिकेट है कि एक साथ 23-23 गाडिय़ां निर्माण सामग्री लेकर जाए. यह सामग्रियां कहां से लायी जा रही थीं, आदि? आम तौर पर इस रूट पर कुछ गिने-चुने प्रतिष्ठिान द्वारा ऐसी सामग्रियों की आपूर्ति की जाती है. ऐसे एक बड़े प्रतिष्ठान का कार्यालय एनएच पर चौका के सन्निकट 10 किलोमीटर के दायरे में ही हैं. वह 24-36 घंटे पहले माल लोड कर गाडिय़ों को डैमरेज क्यों चुकाएगा. रायजामा में एक कोई मिश्रा भी ऐसी सामग्रियां देते हैं लेकिन यह उनका रूट नहीं हो सकता. पुलिस अगर विस्तार से इन सामग्रियों के बाबत बिल, सप्लायर, उठाव स्थल आदि का ब्योरा संलग्न कर रिपोर्ट का हवाला दे तब शायद इस गलतफहमी का निराकरण हो सके. सूत्रों का दावा है कि निर्माण कार्य में उपयोग होने वाली ईंटें सरायकेला व खरसावां में ही उपलब्ध है.
उल्लेखनीय है कि भाया नीमडीह, प. बंगाल और झारखंड के धनबाद कोयला क्षेत्र से कोयला लदी ट्रकों की दिन रात आवाजाही होती है. नीमडीह के सीमावर्ती क्षेत्रों में पूर्व में कोयले के अवैध अड्डे का जमकर संचालन भी होता था | क्या ऐसे अड्डे फिर से चालू हो गए हैं? उक्त विषयगत ट्रकों को जिन्हें पुलिस निर्माण सामग्रियों से लदी बता रही है उस संबंध में पुलिस पर यही संदेह व्यक्त किया जा रहा है कि वह अवैध कोयले से लदी गाडिय़ां थीं.

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