अब केवल बिल बनाने के लिए क्या बनाये जा रहे हैं कंटेटमेंट जोन

जमशेदपुर, 23 जुलाई संवाददाता : कोरोना वायरस की रोकथाम के नाम पर हो रही व्यवस्था में भारी गड़बड़ी और लापरवाही देखने को मिल रही है. कोरोना संक्रमित मरीज मिलने के बाद क्षेत्र को सील तो कर दिया जा रहा है, कंटेटमेंट बना दिये जा रहे हैं. टेंट लगाये जा रहे हैं, कुर्सियां बिछाई जा रही है लेकिन कर्मी नदारद है. ऐसा ही एक मामला विजया ग्रीन अर्थ डिमना रोड मानगो में देखने को मिल रहा है. यहां 19 जुलाई को एक कोरोना पॉजीटिव पाया गया. उसके 24 घंटे के बाद उक्त कालोनी के संबंधित अपार्टमेंट के एक फ्लोर के चार फ्लैट को सील कर दिया गया. अगले दिन अपार्टमेंट के नीचे सामियाना लगा दिया गया, पांच कुर्सियां बिछा दी गयी मगर पिछले 48 घंटे से वहां कोई नहीं आया. लोग इस बात को लेकर हैरान है कि जब किसी को यहां आना ही नहीं था तो फिर सामियाना कुर्सी लगाकर पैसे की बर्बादी क्यों की जा रही है. यह जनता की गाढ़ी कमाई का दुरूपयोग ही कहा जाएगा. इस बारे में जब एडीसी सौरभ सिन्हा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस बारे में स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेवारी बनती है. जिला सर्विलांस विभाग का कहना है कि एमएनएसी को सब तय करना है. कुल मिलाकर जिम्मेदारी की फेंकाफेंकी की जा रही है. बड़ा सवाल यह है कि शहर में इस तरह के और भी 106 कांटेटमेंट जोन हैं. कुल 154 कांटेटमेंट जोन बनाये गये थे जिनमें से 48 डी नोटिफाइड कर दिये गये हैं.
शहर का पहला कांटेटमेंट जोन बिरसानगर 21 मई को बनाया गया था उस वक्त वहां के 49 मकान सील किये गये थे. वहां 24 घंटे दंडाधिकारी की तैनाती रहती थी. पुलिस बल एवं वोलेंटियर प्रभावित लोगों की सहायता के लिये 24 घंटे मौजूद रहते थे. मगर जैसे-जैसे मामले बढ़ते जा रहे हैं वैसे-वैसे यह व्यवस्था कमजोर पड़ती जा रही है. जिस मरीज को विजया ग्रीन अर्थ से ले जाया गया है उनकी पत्नी एवं एक छोटा बेटा घर में बंद है. उनको जरूरी सामान कैसे पहुंचाया जाएगा. इसकी व्यवस्था अब केवल कागजों तक ही नजर आ रही है. कालोनी के लोगों के सहयोग से उन्हें जरूरी सामान जरूर मुहैया कराया जा रहा मगर लोगों में इस बात को लेकर दहशत है कि कोरोना संक्रमण को लेकर उनके पास जरूरी किट मौजूद नहीं है इसलिए बार-बार सील किये गये फ्लैट के पास सामान पहुंचाने जाना कोरोना को आमंत्रण दे सकता है. विजया ग्रीन अर्थ फ्लैट आनर्स वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव गोपाल चंद्र तिवारी ने इस व्यवस्था पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि यदि कोई सुविधा नहीं दी जानी है तो फिर इस सामियाने कुर्सी की यहां क्या जरूरत है इसे हटा लिया जाए जिससे सरकार का पैसा भी बचेगा.

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