बड़ी उपलब्धि-भारत का पहला प्राइवेट रॉकेट लॉन्च

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कंपनी बोली- कैब बुक करने जितनी आसान होगी सैटेलाइट लॉन्चिंग
हैदराबाद

भारत का पहला प्राइवेट रॉकेट विक्रम-स् आज श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर से सुबह 11:30 बजे लॉन्च किया गया। सिंगल स्टेज वाले इस रॉकेट को इंडियन स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पेस ने बनाया है। ये एक तरह का डेमोंसट्रेशन मिशन था जिसमें तीन पेलोड को साथ ले जाया गया। रॉकेट ने 5 मिनट से भी कम के फ्लाइट टाइम में 89.5 किमी. के पीक एल्टीट्यूड को अचीव किया फिर समुद्र में स्पैल्शडाउन हुआ।
कॉमर्शियल स्पेस एक्सप्लोरेशन को प्रमोट करने वाली भारत की नोडल एजेंसी इन-स्पेस ने विक्रम-स् सबऑर्बिटल व्हीकल को लॉन्च की मंजूरी दी थी। इस मिशन का नाम प्रारंभ है। कंपनी का दावा है कि विक्रम सीरीज के रॉकेट सैटेलाइट लॉन्चिंग को कैब बुक करने जितना आसान कर देंगे। इतना ही नहीं विक्रम सीरीज के रॉकेट पेलोड सेगमेंट में सबसे कम लागत वाले रॉकेट होंगे।
तीन पेलोड को स्पेस में भेजा गया
चेन्नई बेस्ड स्टार्टअप स्पेसकिड्ज़, आंध्र प्रदेश बेस्ड एन-स्पेसटेक और अर्मेनियन बाजूम-क्त स्पेस रिसर्च लैब के तीन पेलोड को विक्रम-स् रॉकेट के साथ भेजा गया। स्पेसकिड्ज़ का 2.5 किलो का पेलोड ‘फन-सैट’ भारत, अमेरिका, सिंगापुर और इंडोनेशिया के स्टूडेंट्स ने डेवलप किया है।

ढ्ढहृ-स्क्क्रष्टद्ग के चेयरमैन पवन गोयनका ने कहा, ‘यह भारत में निजी अंतरिक्ष क्षेत्र की बड़ी छलांग है। रॉकेट लॉन्च करने के लिए अधिकृत होने वाली पहली भारतीय कंपनी बनने के लिए स्काईरूट को बधाई। रॉकेट ने अपने इस मिशन में 89.5 के पीक एल्टीट्यूड को अचीव किया।
8 मीटर लंबा और 546 किलो वजनी रॉकेट विक्रम स्
विक्रम स् केवल 8 मीटर लंबा सिंगल स्टेज स्पिन स्टेबलाइज्ड सॉलिड प्रोपेलेंट रॉकेट है। इसका वजन 546 किलो और डायामीटर 1.24 फीट है। इसमें 4 स्पिन थ्रस्टर्स हैं। ये कलाम 80 प्रोपेल्शन सिस्टम से पावर्ड है जिसकी टेस्टिंग 15 मार्च 2022 को नागपुर की सोलर इंडस्ट्रीज में की गई थी।
इसकी पेलोड कैपेसिटी 83 किलो को 100 किमी ऊंचाई तक ले जाने की है। पीक विलोसिटी 5 मैक (हाइपरसोनिक)। इस रॉकेट को कंपोजिट मटेरियल से बनाया गया है। 200 इंजीनियरों की टीम ने इसे रिकॉर्ड 2 साल के टाइम में तैयार किया है। फ्लाइट के दौरान स्पिन स्टेबिलिटी के लिए इसे 3ष्ठ प्रिंटेड इंजन से लैस किया गया है।

स्काईरूट के बिजनेस डेवलपमेंट लीड सिरीश पल्लीकोंडा ने कहा कि मिशन का उद्देश्य कस्टमर पेलोड के साथ विक्रम- ढ्ढ के लॉन्च के लिए स्टेज तैयार करना है। विक्रम-1 रॉकेट का पहला लॉन्च 2023 की

दूसरी-तिमाही में लक्षित है और स्टार्टअप के पास कस्टमर भी हैं।
स्काईरूट के विक्रम-स् रॉकेट में 4 स्पिन थ्रस्टर्स दिए गए हैं

विक्रम रॉकेट के 3 वैरिएंट डेवलप कर रहा स्काईरूट
स्काईरूट विक्रम रॉकेट के तीन वैरिएंट डेवलप कर रहा है। विक्रम-11 पृथ्वी की निचली कक्षा (लो इंक्लीनेशन ऑर्बिट) में 480 किलोग्राम पेलोड ले जा सकता है। ये सन सिंक्रोनस पोलर ऑर्बिट में भी 290 किलो पेलोड ले जाने में सक्षम है।
वहीं विक्रम-ढ्ढढ्ढ 595 किलोग्राम कार्गो को पृथ्वी की निचली कक्षा में ले जाने में सक्षम है। ये 400 केजी पेलोड को एसएसपीओ में ले जा सकता है। वहीं विक्रम-ढ्ढढ्ढढ्ढ 815 किलोग्राम पेलोड को पृथ्वी की निचली कक्षा और 560 किलो को एसएसपीओ में ले जा सकता है।
सैटेलाइट लॉन्चिंग कैब बुक करने जितना आसान होगा
विक्रम का नाम इंडियन स्पेस प्रोग्राम के फाउंडर डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। ये खास तौर पर छोटे सैटेलाइट मार्केट के लिए तैयार किए गए मॉड्यूलर स्पेस लॉन्च व्हीकल्स की एक सीरीज है। आने वाले दशक में 20,000 से ज्यादा छोटे सैटेलाइट लॉन्च किए जाने का अनुमान है, और विक्रम सीरीज को इसी मार्केट के लिए डिजाइन किया गया है।
स्काईरूट का दावा है कि सैटेलाइट को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करना जल्द ही कैब बुक करने जितना आसान हो जाएगा। ये पेलोड सेगमेंट में सबसे कम लागत वाला रॉकेट होगा। कंपनी का ये भी दावा है कि विक्रम ढ्ढ को किसी भी लॉन्च साइट से 24 घंटे के भीतर असेंबल और लॉन्च किया जा सकता है। वहीं विक्रम 11 और 111 को किसी भी लॉन्च साइट से 72 घंटों के भीतर असेंबल और लॉन्च किया जा सकता है।

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