दिल्ली को नहीं दी पर्याप्त ऑक्सीजन तो करेंगे अवमानना की कार्रवाई, हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगाई लताड़


देशभर में जारी कोरोना वायरस की दूसरी खतरनाक लहर के बीच दिल्ली हाई कोर्ट ने ऑक्सीजन की कमी के मामले में केंद्र सरकार को एक बार फिर से शनिवार को फटकार लगाई है। हाई कोर्ट ने केंद्र को दिल्ली के हिस्से की 490 मैट्रिक टन ऑक्सीजन आज सप्लाई करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि अगर केंद्र सरकार आज दिल्ली को 490 मैट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं करती है तो इसे अवमानना की कार्रवाई करेंगे। हाई कोर्ट ने छुट्टी वाले दिन कोरोना वायरस संबंधी मामलों और ऑक्सीजन की कमी को लेकर सुनवाई की। हाई कोर्ट पिछले कई दिनों से लगातार ऑक्सीजन की किल्लत पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार को कई बार फटकार भी लग चुकी है।

दिल्ली के अस्पतालों को आज ही दें 490 मैट्रिक टन ऑक्सीजन
दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिल्ली के हिस्से की 490 मैट्रिक टन ऑक्सीजन आज ही देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि पानी सिर के ऊपर पहुंच गया है। केंद्र को इसकी व्यवस्था करनी होगी। मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी। कोर्ट ने ऑर्डर पढ़ते हुए कहा कि यह सभी को मालूम है कि जो भी कोरोना वायरस से संक्रमित होता है, उसे 14 दिन ठीक होने में लगते हैं। ज्यादातर लोगों को घर पर ही दवाओं की जरूरत होती है। दस फीसदी लोगों को अस्पताल में ऑक्सीजन सपोर्ट के लिए जाना पड़ता है। वहीं, संभवत: एक फीसदी मरीज आईसीयू तक जाते हैं। कोर्ट ने कहा कि अस्पतालों में बेड्स की कमी है। सभी अस्पतालों को निर्देश देते हुए कोर्ट ने कहा कि जो भी मरीज दस दिनों से ज्यादा समय तक एडमिट रहा है और रोजाना भर्ती व डिस्चार्ज होने वाले मरीजों की पूरी जानकारी दी जाए।
‘अस्पतालों को लगाना चाहिए ऑक्सीजन प्लांट्स’
हाई कोर्ट ने कहा कि अस्पतालों को कोविड-19 के बढ़ते मामलों की वजह से ऑक्सीजन की हुई कमी से सीख लेकर इस जीवन रक्षक गैस का प्रोडक्शन करने वाले प्लांट्स लगाने चाहिए। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि कुछ अस्पताल व्यावसायिक पहलुओं पर गौर करते हुए ऑक्सीजन संयंत्र जैसी चीजों पर पूंजीगत निवेश घटा देते हैं जबकि अस्पतालों के लिए खासतौर पर बड़े अस्पतालों के लिए यह आवश्यक है। पीठ ने कहा, ” ऑक्सीजन संयंत्र आवश्यक है और उनके पास यह नहीं होना गैर जिम्मेदाराना है।” अदालत ने कहा, ”आपको (अस्पतालों को) अपने अनुभवों से भी सीखना चाहिए और संयंत्र स्थापित करने चाहिए।”

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