दिल्ली सरकार में मंत्री राजकुमार आनंद ने इस्तीफ़ा दिया, AAP पर उठाए सवाल

दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें थम नहीं रही हैं. एक तरफ जहां शीर्ष नेतृत्व सलाखों के पीछे है तो वहीं अब उनके साथी भी हाथ छुड़ाने लगे हैं. सामने आया है कि, पटेल नगर से विधायक राजकुमार आनंद ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने पार्टी से भी इस्तीफा देते हुए पार्टी पर भ्रष्टाचार को लेकर सवाल उठाए हैं. राजकुमार आनंद ने कहा कि, भ्रष्टाचार को लेकर पार्टी की जो नीति है, उससे वह सहमत नहीं है.
राजकुमार आनंद ने लगाए कई आरोप
बाबा साहेब अंबेडकर ने पे बैक टू सोसाइटी का मंत्र दिया था, उसी की वजह से व्यापारी होते हुए भी मैं पहले एनजीओ में आया, फिर ना जन प्रतिनिधि बना फिर मंत्री बना ताकि लोगों की सेवा हो. मैं आया था कि सोसाइटी को अपनी तरफ़ से कुछ दे सकूं. इसी वजह से मैं आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के साथ खड़ा हुआ, जो बाबा साहब के आदर्शों पर चलने की बात करते हैं, बाबा साहब की फ़ोटो हर प्रेस कॉन्फ़्रेन्स, हर सरकारी दफ़्तर पर लगाते हैं लेकिन केवल बात ही होती है.
आनंद दिल्ली सरकार के पहले मंत्री हैं जिन्होंने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और शराब घोटाले मामले में लगे आरोपों के कारण अपने पद से इस्तीफा दिया है.

राजकुमार आनंद के इस्तीफे पर AAP ने क्या कहा?
राजकुमार आनंद के इस्तीफे के बाद आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद संजय सिंह और दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज से प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान संजय सिंह ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. संजय सिंह ने कहा, “हमने पहले दिन से एक ही बात कही कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के पीछे आम आदमी पार्टी को तोड़ने की मंशा है. कोई भ्रष्टाचार को उजागर करने का मकसद नहीं है. सिर्फ और सिर्फ आम आदमी पार्टी को तोड़ने का मकसद है.”
संजय सिंह ने कहा, “इसलिए मैं दोहरा रहा हूं कि भारतीय जनता पार्टी इस देश की वह आपराधिक पार्टी है, जो इस देश में गुंडागर्दी का आचरण कर रही है. ED-CBI का इस्तेमाल करो. पार्टियों को तोड़ो सरकार को तोड़ो. यही काम इन्होंने दूसरे राज्यों में किया.”

उन्होंने कहा, “आम आदमी पार्टी की एक-एक मंत्री विधायक की परीक्षा है. यह भी याद रखा जाए. यह देखा जाएगा कि इस दौर में अपने भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला किस तरह किया. राजकुमार आनंद के यहां 23 घंटे तक ED का छापा पड़ा था.”

सौरभ भारद्वाज ने कहा, “हम जानते हैं कुछ लोग इस लड़ाई में पीछे हटेंगे. कुछ का मनोबल कमजोर होगा. कुछ टूटेंगे, लेकिन बड़ी तादाद उन लोगों की है, जो इन परिस्थितियों का मुकाबला करेंगे.”

राजेंद्र पाल गौतम के इस्तीफे के बाद बनाया गया था मंत्री
राजेंद्र पाल गौतम के इस्तीफे के बाद साल 2022 में राज कुमार आनंद को केजरीवाल सरकार में मंत्री बनाया गया था. उस दौरान समाज कल्याण विभाग संभाल रहे राजेंद्र पाल गौतम ने कथित तौर पर धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोपों के बीच अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

ईडी की तरफ से हुई थी छापेमारी
गौरतलब है कि केजरीवाल सरकार के मंत्री राजकुमार आनंद के ठिकानों पर पिछले साल नवंबर में प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से 22 घंटे तक छापेमारी की गयी थी. उस दौरान राजकुमार आनंद ने कहा था कि ये हमें तंग करने के लिए आए थे. पूरे घर की तलाशी ली, जिसमें उन्हें कुछ नहीं मिला. ये लोग ऐसा कहते रहे कि ऊपर से आदेश है. राजकुमार आनंद ने बताया कि इस देश में सच बोलना, दलितों की राजनीति करना, काम की राजनीति करना गुनाह बन गया है. ED जो कस्टम का मामला बता रही है, वो बीस साल पुराना है और उसमें सुप्रीम कोर्ट तक का फ़ैसला आ चुका है. ये लोग आम आदमी पार्टी को ख़त्म करना चाहते हैं, ये चाहते हैं कि काम की राजनीति न हो, इसलिए ऐसे परेशान किया जा रहा है.

नवंबर 2023 में ईडी ने मारा था छापा
बता दें कि बीते साल नवंबर में जब ईडी ने सीएम केजरीवाल को जब शराब घोटाले में पूछताछ के लिए बुलाया था तो इससे ठीक पहले ईडी ने मंत्री राजकुमार आनंद के आवास पर छापा मारा था. प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली सरकार मंत्री राजकुमार आनंद के घर पर छापेमारी के पहुंची थी. ईडी की टीम मंत्री के सिविल लाइंस स्थित आधिकारिक आवास समेत 9 जगहों पर छानबीन की थी. सामने आया था कि, ईडी की टीम ने राजकुमार आनंद के बिजनेस से जुड़े मामले में छापेमारी की थी. राजकुमार आनंद पर हवाला लेनदेन में शामिल होने का भी शक था. इस छापेमारी को सीमा शुल्क मामले से भी जोड़कर देखा जा रहा था.

कौन हैं राजकुमार आनंद?
राजकुमार आनंद साल 2020 में पहली बार पटेल नगर सीट से विधायक बने थे. इससे पहले उनकी पत्नी वीना आनंद भी इसी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुकी हैं. दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम की जगह राजकुमार आनंद को कैबिनेट में शामिल किया गया था. बता दें बौद्ध सम्मेलन के एक कार्यक्रम में हिंदू देवी-देवताओं पर अभद्र टिप्पणी की गई थी, जहां राजेंद्र पाल गौतम भी मौजूद थे, जिसके बाद काफी बवाल हुआ था और राजेंद्र गौतम को कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा था.

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