अमानवीय : सैकड़ों विस्थापितों की झुग्गी – झोपड़ी में रातों रात घुस आया पानी, किसे सुनाएं दर्द की गाथा: Chandil Dam

सुवर्णरेखा उफान पर, डैम का जलस्तर 183.20 मीटर पहुंचा

Chandil,31 July :जब झमाझम बारिश में रात के समय आप अपने घर में सो रहे हों और चारों ओर से आपके घर में अचानक पानी घुस आए तो उस परिस्थिति में आप क्या करेंगे? घर के बिस्तर, कपड़े, अनाज, बर्तन, अनमोल कागजात, मवेशी इत्यादि पानी में डूबकर बर्बाद हो जाए और मदद करने वाला कोई न हो ? रात के अंधेरे में घर के बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग पानी से घिर जाए, उस मंजर की कल्पना करें। यकीन मानिए आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। ऐसी ही घटना शुक्रवार रात को चांडिल डैम के विस्थापितों के साथ घटी . एक या दो नहीं ,बल्कि चांडिल डैम के सैकड़ों घरों में रात के अंधेरे में पानी घुस आया । चारों ओर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई हैं। लोग कहाँ शरण लें ? क्या खाएं, क्या पहनें, कहां सोएं? लोग अपने ही जमीन और घर में शरणार्थी महसूस कर रहे हैं।
लगातार हो रही बारिश के कारण सरायकेला- खरसावां जिले के चांडिल डैम का जलस्तर 183.10 मीटर तक पहुंच गया जिसके कारण ईचागढ़, मैसड़ा, बाबूडीह, दयापुर, उधाटांड़, बुरुहातू, लेप्सोडीह, गाढ़ाडीह, दुलमी, कुमारी, झापागोड़ा, कालीचामदा,बाबू चामदा, बाक्साइ, बान्दू, लावा, सीमा आदि गांव जलमग्न हो गये है। लोग अपने बचे खुचे सामानों की गठरी बांधकर घरों से निकल पड़े हैं। लेकिन उन्हें पता नहीं अब आगे क्या होगा और कहां जाएंगे? विस्थापितों का कहना है कि सरकार ने अपने वायदे के मुताबिक अबतक विस्थापित परिवारों को पूर्ण मुआवजा, नौकरी, स्वरोजगार, पुनर्वास सुविधा नहीं दी है, तो हम कहां जाएं? यहां पुरखों की जमीन पर खेती कर अपना पेट भर रहे हैं। हाल में आपदा प्रबंधन की बैठक में विधायक सविता महतो ने अधिकारियों से स्पष्ट रूप से कहा था कि डैम का जलस्तर 180 मीटर से ज्यादा नहीं हो, क्योंकि 180 मीटर से ज्यादा जलस्तर होने से ही विस्थापित गांवों में पानी घुस जाता हैं। सुवर्णरेखा परियोजना के वरीय अधिकारियों ने भी विस्थापितों से आश्वस्त किया था कि डैम के जलस्तर को नियंत्रित रखा जाएगा, विस्थापितों को मुआवजा राशि भुगतान करने के बाद जलस्तर बढ़ाया जाएगा। चावलीबासा निवासी विस्थापित सह पंसस गुरुचरण साव ने कहा कि विस्थापितों के घरों में पानी घुसने पीछे सुवर्णरेखा परियोजना के अधिकारी जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन ने विस्थापितों के साथ अमानवीय व्यवहार किया है। जब मौसम विभाग ने पूर्व में ही भारी बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया था तो सुवर्णरेखा प्रशासन को चांडिल डैम के जलस्तर पर पहले से नियंत्रण रखना चाहिए था। उन्होंने कहा कि यदि बारिश से पहले ही डैम के जलस्तर को कम करके रखा जाता तो आज यह नौबत नहीं आती।

दोपहर को चांडिल डैम के नौ फाटक को ढाई- ढाई मीटर तक खोला गया है। डैम के फाटक से ढाई हजार क्युमेक्स पानी स्वर्णरेखा नदी में छोड़ा जा रहा है जिसके बाद स्वर्णरेखा नदी उफान में है। चांडिल डैम के इतिहास में पहली बार डैम का जलस्तर इस वर्ष पहली बार 183 मीटर के पार पहुंचा है। इसके पहले वर्ष 2017 में डैम का जलस्तर अधिकतम 181.65 मीटर पर पहुंचा था। चांडिल डैम का रिकॉर्ड जलस्तर 183.10 मीटर पर पहुंचने के बाद ही विस्थापित गांवों में पानी घुस आया है। डैम के जलस्तर बढ़ने की सूचना पर विधायक सविता महतो, जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता अशोक कुमार दास, अधीक्षण अभियंता गोपाल जी, एसडीओ रंजीत लोहरा, कार्यपालक अभियंता संजीव कुमार, एसडीपीओ संजय कुमार सिंह, सीओ प्रणव अम्बष्ठ चांडिल डैम पहुंचे तथा स्थिति की जानकारी ली। डैम के जलस्तर बढ़ने तथा विस्थापित गांव में पानी के घुसने से विस्थापितों ने मुख्य अभियंता के समक्ष अपनी नाराजगी जाहिर की। स्वर्णरेखा नदी के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के लिहाज से स्वर्णरेखा नदी (डैम के नीचे) पर बने पुल पर आवागमन तत्काल रोक दिया है।

Share this News...