अमित खरे का प्रधानमंत्री का सलाहकार नियुक्त होना

अवकाश प्राप्त आईएएस अधिकारी अमित खरे के जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार नियुक्त किये जाने की खबर आई तो खासकर पूरे झारखंड ने इसका हृदय से स्वागत किया। चाईबासा के उपायुक्त रहते 90 के दशक में अमित खरे द्वारा चारा घोटाला के उद्भेदन की कार्रवाई को कौन भूल सकता है। लालू यादव जैसे मुख्यमंत्री के खिलाफ ऐसी कड़ी कार्रवाई करने का साहस हर कोई नहीं कर सकता। जो लालू यादव डीएम को बड़ा बाबू कहकर एक तरह से अपमानित करने का प्रयास करते थे और डीएम से गांव के बच्चों को नहलाने एवं बालों में सैंपू लगाने को कहते थे,वैसे लालू के खिलाफ इस तरह की कड़ी कार्रवाई कर अमित खरे की छाप पूरे देश में एक बेहद सख्त अधिकारी के तौर पर हुई। चाईबासा में आदिवासी समुदाय के लिए उनके योगदान को भी हमेशा याद रखा जाता है।
चाईबासा के वरीय पत्रकार चमकता आईना के सहयोगी अमरेन्द्र कुमार ज्ञानी बताते हैं कि अमित खरे ने हो भाषा बारंग क्षिति के विकास के लिये बहुत काम किये. जब वे चाईबासा के उपायुक्त थे तो 1997 के दौर में हो भाषा की लिपि बारंग क्षिति पर जोरदार प्रसार-प्रसार चल रहा था, अमित खरे ने जिला के कुछ प्रबुद्ध लोगो से इसपर विचार किया।उनसे कहा गया कि हर लिपि की शुरुआत इसी तरह होती है।. इसके बाद अमित खरे ने हो भाषा का ज्ञान अर्जित करने के लिये यहां के हो भाषा के विद्वान व लेखकों से संपर्क किया औऱ यह लिपि सीख ली।
जब झारखंड में पिछली सरकार ने वरीयता के बाद भी अमित खरे को प्रदेश का मुख्य सचिव नहीं बनाया तो वे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले गये। वहां कम समय में ही विभिन्न मंत्रालयों में उन्होंने अपने कार्य प्रणाली की अमिट छाप छोड़ी। उनके द्वारा तैयार देश की नई शिक्षा नीति की पूरे देश में सराहना हुई और इससे मोदी सरकार को भी एक बड़ा बदलाव करने में कामयाबी मिली। अवकाश ग्रहण करने के 12 दिन बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें अपना सलाहकार नियुक्त कर दिया। यह पद सचिव स्तर का होगा और सबसे बड़ी बात है कि इस पद पर रहकर अमित खरे अपने 34 साल के प्रशासनिक जीवन के अनुभवों का लाभ देश को दे सकेंगे।
यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी तारीफ करनी होगी कि उन्होंने एक ऐसे पदाधिकारी को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है जिसने अपने प्रशासनिक जीवन का लगभग पूरा समय झारखंड जैसे प्रदेश में व्यतीत किया और अंतिम के करीब 5 साल वे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आयें। इतने कम समय में प्रधानमंत्री ने उनकी प्रतिभा को पहचाना। अब तक यह देखा जा रहा था कि पीएम मोदी गुजरात कैडर के पदाधिकारी को अधिक तवज्जो देते रहे हैं लेकिन अमित खरे को यह महत्व देकर पीएम मोदी ने यह दिखाया कि वे प्रतिभा को कितना महत्व देते हैं। झारखंड में लंबे समय तक सेवा देने वाले अमित खरे को जो भी जानते हैं वे उनकी सरलता, ईमानदारी के भी उतने ही कायल रहे हैं। उम्मीद है कि अमित खरे के अनुभवों का लाभ देश को मिलेगा।

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