सृजन साहित्य सम्मान ,शहर के 15 साहित्यकार सम्मानित

तुलसी भवन में सृजन एजुकेशन ट्रस्ट, वडोदरा एवं मरुधर साहित्य ट्रस्ट के द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित साहित्यिक सम्मान एवं काव्य गोष्ठी में उपस्थित मुख्य अतिथि राधेश्याम अग्रवाल ने कहा कि यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर से कम का नहीं है। वे स्थानीय साहित्यकारों की रचना सुनकर चकित थे। उन्होंने कहा इन साहित्यकारों की रचनाओं के कारण लोगों का अंग्रेजी के प्रति मोह भंग हो जाएगा।
कार्यक्रम का आरंभ माधवी उपाध्याय की मधुर सरस्वती वंदना के रूप में हुआ। इसके बाद शहर के प्रतिष्ठित 15 साहित्यकारों को मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि मुरलीधर केडिया के हाथों मोमेंटो, प्रशस्ति पत्र, पुष्प, पगड़ी एवं शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। साथ ही नरेश अग्रवाल द्वारा लिखी गई 7 पुस्तकें भी भेंट की गयी।
जिन लोगों को सम्मानित किया गया उनके नाम;
श्रीमती माधवी उपाध्याय, विजय नारायण सिंह बेरुका, डाॉ संध्या सिन्हा, श्रीमती सुधा गोयल, श्रीमती लता मानकर प्रियदर्शिनी, लखन प्रसाद, श्रीमती सोनी सुगंधा, शैलेन्द्र पाण्डेय शैल, दीपक वर्मा , श्रीमती अंजू पी केशव, नवीन कुमार अग्रवाल, वसंत जमशेदपुरी, श्रीमती शोभा किरण, श्यामल सुमन, एवं श्रीमती पद्मा मिश्रा।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में काव्य गोष्ठी के दौरान सभी साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं से सभी का दिल जीत लिया। इनमें से उल्लेखनीय पंक्तियां हैं-
कौन कहता है मेरे हौसले में उड़ान नहीं
मेरे सफर को बस थोड़ी सी पहचान नहीं
-रश्मि रंजन
मेरी जिंदगी में पत्नी की अहमियत बड़ी है
कविता अगर 15 अगस्त है तो
पत्नी 26 जनवरी है
-दीपक वर्मा

कैसे मुमकिन है सच बोलूं और कोई इल्जाम न आए
शायद वो राधा संग होंगे
मीरा के तो श्याम न आए।
-लता प्रदर्शनी

पलक भी झपको तो एक पल बीत जाता है,
मैं चाहता नहीं कि निकले,
पर वक्त हाथों से निकल जाता है।
-नवीन कुमार अग्रवाल

ठहरे हुए दर्या थे रवानी में नहीं थे
इस बार भी बारिश की कहानी में नहीं थे
-शैलेन्द्र पाण्डेय शैल

कैसे झंझावातों में एक दीप जलाया जाता है
सागर की लहरों पर कैसे सेतु बनाया जाता है
-वसंत जमशेदपुरी

नमामि मातु शारदे, नमो सरस्वती परा।
समस्त ज्ञान, मंत्र, वेद, शास्त्र आपसे मिला ।।
– विजय नारायण सिंह बेरुका

फूली बगिया फूले तरुवर छाई
खुशियाँ जब चंहु अनंत
मैंने कहा तेरा बसंत ३…….
-सुधा गोयल नवीन
बेजबानी जुबाँ से कम तो नहीं।
चुप भी रहना बयाँ से कम तो नहीं।
-डा. संध्या सूफी
अपने अपने तर्क सभी के, किसी की कोई खता नहीं है।
लेकिन अबतक सचमुच यारो, मुझको, मेरा पता नहीं है।।
-श्यामल सुमन
नवीन अग्रवाल ने मंच का संचालन किया . मुरलीधर जी ने भी अपने हास्य व्यंग की कविता से सभी को प्रभावित किया। स्वागत भाषण सृजन एजुकेशन ट्रस्ट की ट्रस्टी रश्मि रंजन ने दिया एवं धन्यवाद ज्ञापन मरुधर साहित्य ट्रस्ट के नरेश अग्रवाल एवं महेश अग्रवाल ने दिया। कार्यक्रम में अनेक साहित्यकार मौजूद थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में सपना अग्रवाल, ललित अग्रवाल एवं नीता अग्रवाल ने भी सहयोग दिया।
अंत में मरुधर साहित्य ट्रस्ट ने दो साझा संकलन प्रकाशित करने की घोषणा की जिसका खर्च भी संस्था उठाएगी। इसमें केवल स्थानीय साहित्यकारों की रचनाएं ही शामिल की जाएंगी। साथ ही संस्था के द्वारा भविष्य में राष्ट्रीय स्तर के एक साहित्यिक सम्मेलन करने की योजना के बारे में बताया जिसमें 100 के लगभग साहित्यकार आयेंगे।

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