नहीं रहे ‘रावण’ , शोक में डूबे’राम’ कहा, “सबसे अच्छा दोस्त चला गया”

‘रामायण’ में रावण का किरदार निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी का मंगलवार रात को निधन हो गया। उन्होंने 82 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। अरविंद त्रिवेदी ने अपने अभिनय के दम पर ‘रामायण’ में रावण के किरदार को अमर कर दिया। अरविंद लंबे समय से बीमार चल रहे थे, मंगलवार को रात को अचानक हार्ट अटैक आ गया, जिसके बाद उनका इस दुनिया को अलविदा कह दिया। अरविंद त्रिवेदी के निधन पर ‘रामायण’ के राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल ने शोक व्यक्त किया है।अरविंद त्रिवेदी के निधन से दुखी अरुण गोविल ने कहा, “सबसे अच्छा दोस्त चला गया।”
टीवी पर रावण के किरदार से चर्चित हुए अभिनेता अरविंद त्रिवेदी के निधन पर राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल दुखी हैं। पर्दे पर भले ये दोनों किरदार विरोधी थे, मगर असल जिंदगी में दोनों बेहतरीन मित्र थे।
दुखी हूं, 10 दिन पहले ही बात हुई थी
अरुण गोविल बोले, “सुबह उनके जाने की खबर मिली, बहुत दुखी हूं। 10 दिन पहले हमारी फोन पर बात हुई थी। तब उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। मैंने उनका हालचाल पूछा। थोड़ा बोल रहे थे। उस दिन उनकी बात से मुझे ऐसा लगा कि उन्हें शायद अपने अंतिम क्षणों का आभास हो चुका था। आज ये दुख की खबर आ गई।”
वो रावण की नकारात्मकता से कोसों दूर थे
अरुण कहते हैं, “अरविंद जी भले रावण के किरदार में रहे, मगर जीवन सादा और सच्चा और धार्मिक ही रहा। उनके जितना अच्छा और पॉजिटिव इंसान हो ही नहीं सकता। अगर हम किसी इंसान में कमी निकालने की बात करें तो अरविंद त्रिवेदी वो व्यक्ति थे जिसमें कोई कमी निकाल नहीं सकते। शो की शूटिंग के दौरान हमने देखा उन्हें रामायण के काफी प्रसंग याद थे।”
मुझे प्रभु बुलाते थे अरविंद
गोविल ने कहा- “उनके साथ काम करने का अनुभव ग्रेट रहा। राम और रावण दोनों रामायण के मुख्य किरदार हैं। ऐसे में दो मुख्य अभिनेताओं में अक्सर कांफ्लिक्ट्स हो जाते हैं। मगर हमारे बीच ऐसा कभी नहीं रहा। गेटअप में भी रहते तो मुझे प्रभु ही बुलाते। वो अभिनय के महारथी थे। हम बहुत अच्छे दोस्त थे, दोस्तों की तरह काम करते थे। कभी हमारे बीच अभिनय या काम को लेकर प्रतिस्पर्धा नहीं रही।”

सेट या आयोजन जहां मिलते नमन करते
“अरविंद जी इतने विद्वान और धार्मिक थे जिसका अंदाजा लगाना मुश्किल था। हम शूटिंग पर होते या बाहर किसी आयोजन में मिलते, जब भी मिलते मुझे प्रभु कहकर बुलाते थे। उस दिन भी फोन पर बात हुई तो प्रभु कहकर संबोधन किया। कहीं भी मिलते तो सबसे पहले हाथ जोड़ते, मेरे पैर छूते। सेट पर शूटिंग से पहले मेरे पैर छूते उसके बाद शूटिंग शुरू करते।”
अपने प्रोजेक्ट का शुभारंभ मुझसे कराया
“भारती विद्या भवन में उन्होंने एक डॉक्युमेंट्री लांच प्रोग्राम किया था। वहां उन्होंने मुझे बुलाया और आयोजन का शुभारंभ कराया। बोले यह शुभ काम मैं अरुणजी से ही कराना चाहता हूं। इसके बाद भी हम मिलते। अभी कोरोना के कारण मिलना नहीं हुआ, केवल फोन पर बात होती। वो रावण के किरदार में अमर हो गए।”
कहते थे आप मेरी ससुराल से हैं, जीजा का वध करोगे
“रामायण के सेट पर हमारी मुलाकात हुई, धीरे-धीरे परिचय बढ़ा, बातें होने लगी तो एक दिन मैंने उन्हें बताया मैं मेरठ से हूं। तो कहने लगे आप तो मेरी ससुराल से हैं। इस हिसाब से मैं आपका जीजा हुआ। मैंने उन्हें संदेह से देखा तो बोले धर्म ग्रंथों और मेरठ के इतिहास को देखिए उसमें जिक्र है कि रावण की पत्नी मंदोदरी मेरठ से थीं। मयदानव ने मेरठ को अपनी राजधानी बनाया था। आप मेरठ से हैं तो इस अनुसार मैं आपका जीजा हुआ। अब सीरियल में आप अपने जीजा का वध करेंगे। हम अक्सर इस बात पर हंसते थे।”

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