ऐतिहासिक टुसू पर्व में झुमर संगीत, मानभूम शैली छऊ नृत्य व अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम के संगम ने जमाया रंग

बिशु मुंडा द्वारा खड़िया कॉलोनी में टुसू मेला का आयोजन

जमशेदपुर : झारखंड के प्राचीन संस्कृति है टुसू पर्व। इस मेला को प्रोत्साहित करने व जीवित रखने के लिए डांगा गांव निवासी समाजसेवी बिशु मुंडा ने गालूडीह के खड़िया कॉलोनी में प्राचीन सांस्कृतिक टुसू मेला का आयोजन किया। मेला में गालुडीह, घाटशिला, जमशेदपुर आदि स्थानों से संस्कृति प्रेमियों की सैलाब उमड़ा। मेला में आकर्षक टुसू, झारखंड , पश्चिम बंगाल व ओड़िशा के लोकप्रिय झूमर सम्राट संतोष महतो का झूमर संगीत व नृत्य तथा पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त अंतराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त नेपाल महतो के पुत्र के छऊ नृत्य दल का मनमोहक प्रस्तुति ने दर्शकों का दिल जीत लिया। मौके पर मेला के आयोजक समजसेवी बिशु मुंडा ने कहा कि पौस व माघ मास तक टूसू मेला का आयोजन पूरे हर्षोल्लास के साथ किया जाता है। इस तरह के मेलों का आयोजन किसी अन्य पर्व – त्यौहारों में कभी नहीं होती। भारत की प्रसिद्ध कुंभ मेला के अलावे टूसू पर्व ही एक ऐसा पर्व है जो पूरे दो महीने तक लगातार अलग-अलग जगहों पर विशेष रुप से नदी के किनारों, टुंगरी, पहाड़ो, धार्मिक स्थलों पर टूसू पर्व का आयोजन होता है। इससे प्रमाणित होता है कि टुसू मेला का कितना महत्व है। आज यह पर्व पुरे झारखंड का प्रमुख त्यौहार है। जिसको मानने वाले झारखंडी के सभी जातियों विशेषकर कुड़मी, साहु, बनिया, तेली, गोवार, कुम्हार, अहिर, मुंडा, संस्थाल, उरांव, हो, कोइरी, गोसाईं, सूढ़ी, मानकि, मांझी आदि अनेक जातियों के समुदाय सभी आपस में मिलजुलकर पुरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। यह पर्व झारखंड की संस्कृति के पोषक स्वरूप है।

मेला में टुसू प्रतिमा को लाखों रुपए का दिया गया नगद पुरस्कार

मेला में उपस्थित टुसू को प्रथम पुरस्कार नगद 31 हजार रूपए, द्वितीय पुरस्कार 25 हजार रुपए, तृतीय पुरस्कार 21 हजार रुपए, चतुर्थ पुरस्कार 15 हजार रुपए, पांचवा पुरस्कार 11 हजार रुपए व मेला में उपस्थित सभी टुसुओं को आकर्षक नगद राशि पुरस्कार दिया गया। मेला में देर शाम जमकर आतिशबाजी की गई। जिससे आसमान सतरंगी छटाओं से सज गया।

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