*# SUCCESS STORY* *▪️महिला समूह के सफलता की कहानी* *▪️खेती-पशुपालन को बनाया जीवकोपार्जन का साधन* *▪️आर्थिक रूप से खुद अपने पैरो पर खड़ी हुई, परिवार को भी दिया संबल*

जमशेदपुर सदर प्रखंड अंतर्गत ग्राम मध्य हलुदबनी, पंचायत हलुदबनी की 10 महिलाओं का समूह ईशिता उर्जा महिला समूह खेती-किसानी व पशुपालन को स्वरोजगार का माध्यम बनाकर काफी सशक्तता से आज अपने पैरों पर खड़ी हैं । ईशिता उर्जा महिला समूह का गठन सुकमती सोय और सुमित्रा गागराई के प्रयास से काल किया गया । समूह से जुड़ी अधिकतर महिलाएं दैनिक मजदूरी कर अपना परिवार चलाती थीं । लेकिन ग्रामीण परिवेश में रहते हुए खेती-किसानी में अपने रूझानों को देखकर सभी ने इसे स्वरोजगार का साधन चुना जिसमें आज वे काफी सफल भी हैं ।

*▪️सब्जी की खेती से किया शुरूआत, मुर्गी पालन में भी बनाई पहचान*

ईशिता उर्जा महिला समूह की महिलाओं ने सबसे पहले फुलगोभी एवं सरसों की खेती लगभग आधे एकड़ खेत में किया । सभी महिला सदस्य समय निकालकर बारी-बारी से खेती कार्य में सहयोग करती रहीं जिसका परिणाम भी सुखद आया । करनडीह, परसुडीह एवं अपने गांव हलुदबनी में लगने वाले दैनिक बाजार में साग-सब्जी बेच कर 50-60 हजार रूपये की इनकी पहली आमदनी हुई जो इनके लिए काफी उत्साहजनक रहा । सुकमती सोय और सुमित्रा गागराई को कृषि से होने वाली आमदनी दैनिक मजदूरी करने से बेहतर लगा । इन दोनों महिला ने अपने समूह को खेती के आलावा पशुपालन करने का सुझाव दिया तब समूह ने मुर्गी पालन शुरू किया । थोक बाजार में मुर्गीपालन का व्यावसाय कर समूह ने 1,70,000/- रूपये मुनाफा कमाया ।

*▪️आत्मा सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन योजना के द्वारा क्षमता विकास का दिया गया प्रशिक्षण, मशरूम की खेती से लगभग दो लाख रूपए की हुई आमदनी*

*जिला कृषि पदाधिकारी मिथिलेश कुमार कालिंदी* बताते हैं कि सुकमती सोय और सुमित्रा गागराई काफी मेहनती महिला किसान हैं । इनके प्रयास से वर्ष 2019 में इनके समूह की महिलाओं को आत्मा सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन योजना के द्वारा क्षमता विकास का प्रशिक्षण दिया गया जिसका विषय था मशरूम की उन्नत तकनीक से व्यावसायिक खेती । इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में समूह की सभी महिलाओं ने भाग लिया जिसके बाद उन्होने सामूहिक रूप से मशरूम का उत्पादन करना शुरू किया । मशरूम का उत्पादन करके इस समूह को 1,80,000/- रूपये लाभ प्राप्त हुआ । समूह को होने वाले शुद्ध लाभ को ये महिलाएं आपस में बराबर बांट लेती हैं । मशरूम की खेती, सब्जी की खेती एवं मुर्गी पालन करने से समूह से जुड़ी सभी महिलाओं का पारिवारिक स्थिति पहले की अपेक्षा काफी बेहतर हुआ है । आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होने से अब इन महिलाओं को अन्यत्र ठेकेदारी में दैनिक मजदूरी भी नहीं करना पड़ रहा है ।

*▪️महिला किसानों का संदेश- सरकार कई जनकल्याणकारी योजनाएं चला रही, आवश्यकता है कि जागरूक होकर सभी लोग उसका लाभ उठायें*

ईशिता उर्जा महिला समूह की महिलायें बताती हैं कि अन्य लोगों की तरह उनके सामने भी परिवार और बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतायें रहती थी । ऐसे में जिला कृषि पदाधिकारी से मिलकर खेती-किसानी की अपनी योजना से अवगत कराया जिसमें उनका काफी प्रोत्साहन मिला । पहले प्रशिक्षण फिर नियमित क्षेत्र भ्रमण पर आते रहे पदाधिकारियों से तकनीकी जानकारी लेते हुए खेती-किसानी को मुनाफे का रोजगार बनाया जिससे आज सभी महिलाओं के परिवार की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है । वे कहती हैं कि सरकार द्वारा लोगों के लिए कई जनकल्याणकारी योजनायें संचालित की जा रही हैं, आवश्यकता है कि इच्छानुसार योजना का लाभ लेने के लिए संबंधित विभाग से संपर्क करें, पदाधिकारियों का भी व्यवहार काफी सहयोगात्मक रहता है । स्वरोजगार के लिए कुछ करने की ललक हो तो जिला प्रशासन का भी भरपूर सहयोग मिलता है जो काफी उत्साहजनक है ।

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