अब Space में मिशन आत्मनिर्भर:पहली बार space में Bhagawat Geeta और PM मोदी की फोटो के साथ जाएंगे 25 हजार लोगों के नाम, 28 फरवरी को ISRO लॉन्च करेगा Satellite

28 फरवरी को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक ऐसे सैटेलाइट को लॉन्च करने वाला है, जो अपने साथ भगवद् गीता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो और 25 हजार लोगों के नाम लेकर अंतरिक्ष (SPACE) में जाएगा। देश के स्पेस मिशन के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा।
इस मिशन की खास बात ये है कि इसे भारतीय स्टार्टअप स्पेसकिड्स इंडिया ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत तैयार किया है। इस नैनो सैटेलाइट को पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) द्वारा छोड़ा जाएगा।
चार सैटेलाइट की होगी लॉन्चिंग, इनमें तीन भारत में बने
महीने के आखिर में ISRO इस नैनो सैटेलाइट के साथ दो अन्य भारतीय सैटेलाइट और ब्राजील के भी एक सैटेलाइट Amazonia-1 को लॉन्च करेगा। इन तीन भारतीय सैटेलाइट के नाम सतीश धवन, आनंद और यूनिटीसैट हैं। इनमें सतीश धवन सैटेलाइट भगवद् गीता, PM नरेंद्र मोदी की तस्वीर के साथ 25 हजार लोगों के नाम लेकर जाएगा। इसे स्पेसकिड्स इंडिया की ओर से विकसित किया गया है। चारों सैटेलाइट को चेन्नई से 100 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा से PSLV C-51 के जरिये सुबह 10:24 बजे लॉन्च किया जाएगा।
सैटैलाइट में ISRO प्रमुख का भी नाम शामिल
स्पेसकिड्स इंडिया की संस्थापक और सीईओ डॉ. श्रीमथी केसन ने बताया कि हमने सैटेलाइट के टॉप पैनल में PM मोदी के नाम और उनकी फोटो को जोड़ दिया है। इसके अलावा ISRO प्रमुख डॉक्टर के. सिवन और वैज्ञानिक सचिव डॉक्टर आर उमा महेश्वरन का नाम नीचे के पैनल पर लिखा गया है। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी लोग बाइबल जैसी पवित्र पुस्तक अंतरिक्ष में ले जा चुके हैं।
चारों सैटेलाइट की पूरी जानकारी
Amazonia-1 पहला अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट है, जो पूरी तरह से ब्राजील द्वारा विकसित किया गया है। इसको इस मिशन का प्राथमिक पेलोड भी कहा जा रहा है।
आनंद को भारतीय स्टार्टअप Pixxel ने तैयार किया है। यह देश का पहला कॉमर्शियल निजी रिमोट-सेंसिंग सैटेलाइट है। बेंगलुरु की यह कंपनी 2023 तक 30 उपग्रहों को अंतरिक्ष में तैनात करने की योजना बना रही है।
सतीश धवन सैटेलाइट को चेन्नई बेस्ड स्पेसकिड्स इंडिया द्वारा बनाया गया है। यह अंतरिक्ष में मौजूद रेडिएशन और मैग्नेटोस्फीयर का अध्ययन करेगा।
यूनिटीसैट असल में तीन सैटेलाइटों से मिलकर बना है। इसे तमिलनाडु की जेप्पीआर इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी (JITsat), जीएच रायसोनी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (GHRCEsat), नागपुर और काेयम्बटूर के श्री शक्ति इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टैक्नोलॉजी (Sri Shakthi Sat) ने मिलकर डिजाइन किया और बनाया है।

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