झारखंड आकर ऐसा लगा मानो अपने घर आई: राष्ट्रपति, राजभवन के विजिटर बुक में दर्ज कर गईं कई मधुर स्मृतियां

रांची,26 मई: झारखंड आईं महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राजभवन में अपना अनुभव लिखकर गई हैं. राष्ट्रपति ने लिखा कि उन्हें यहां आकर बहुत खुशी हुई. राजभवन के विजिटर बुक में उन्होंने उपनी पुरानी यादों का जिक्र किया. झारखंड और झारखंड के लोगों को धन्यवाद दिया. साथ ही सभी के उज्जवल भविष्य की भी कामना की.
राजभवन के विजिटर बुक में राष्ट्रपति ने क्या-क्या लिखा: राष्ट्रपति ने लिखा -राजभवन रांची के सुंदर परिसर में आकर मुझे बहुत प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है. यहां प्रवेश करते ही इस भवन में बिताए 6 सालों की मधुर स्मृतियां फिर से जीवंत हो गईं. मैं झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन और यहां के लोगों को मेरे स्नेहपूर्ण आतिथ्य के लिए हृदय से धन्यवाद देती हूं. यहां की टीम के सभी सदस्यों और कर्मचारियों की सराहना करती हूं, जिनसे मिलकर मुझे ऐसे लगा कि मैं अपने घर वापस आई. उन सभी के उज्जवल भविष्य के लिए मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं.
कहा- आप लोगों केप्यार ने भाव विभोर कर दिया: इसके अलावा राष्ट्रपति ने ट्वीट करके भी कहा कि झारखंड के लोगों के प्यार ने उन्हें भाव विभोर कर दिया. अपनी खुशी जाहिर करते हुए महामहिम लिखतीं हैं कि झारखंड की इस धरती को मैं प्रणाम करती हूं. आप सबके स्नेहपूर्ण स्वागत ने मुझे भाव-विभोर कर दिया है. मुझे झारखंड आकर विशेष प्रसन्नता होती है. आप सब लोगों के बीच यहां आना, मुझे अपने घर आने जैसा ही लगता है.
बताया झारखंड पर श्लोक: उन्होंने यह भी लिखा कि वर्तमान झारखंड राज्य का अस्तित्व भले ही ज्यादा पुराना नहीं हो, लेकिन प्राचीन काल से ही, इस क्षेत्र की अलग पहचान रही है. भारतीय परंपरा में एक श्लोक है-
अयस्क-पात्रे पय: पानम्, शाल-पत्रे च भोजनम्
शयनम् खर्जूरी पत्रे, झारखण्डे विधीयते।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने ट्वीट में इस श्लोक का मतलब भी समझाया है. उन्होंने लिखा कि इस श्लोक का मतलब है कि झारखंड क्षेत्र में रहने वाले लोग, लोहे के बर्तन में पानी पीते हैं, साल के पत्ते पर भोजन करते हैं और खजूर के पत्तों पर सोते हैं.

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