लूडो के खिलाफ याचिका:बॉम्बे हाईकोर्ट से गुहार- लूडो को कौशल नहीं किस्मत का खेल घोषित किया जाए, अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा


मुंबई
‘लूडो’ को कौशल नहीं किस्मत का खेल घोषित किए जाने की मांग को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। यह याचिका महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के पदाधिकारी केशव मुले की ओर से दायर की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि लूडो सुप्रीम ऐप पर लोग पैसे दांव पर लगा कर खेल रहे हैं। जो गैम्बलिंग प्रतिबंधक कानून की धारा 3, 4, और 5 के तहत आता है। इसलिए ऐप से जुड़े प्रबंधन के लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

याचिकाकर्ता का कहना है कि इस गेम को चार लोग 5-5 रुपए का दांव पर लगा कर खेलते हैं। जीतने वाले को 17 रुपए मिलते हैं, जबकि ऐप चलाने वाले को 3 रुपए मिलते हैं। फिलहाल, इस मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका पर 22 जून 2021 को सुनवाई रखी है। इस मामले को लेकर पहले मजिस्ट्रेट कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने लूडो को कौशल का खेल मानते हुए FIR दर्ज करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया था।
याचिकाकर्ता ने कहा- लूडो के नाम पर जुआ खेला जा रहा है
गुरुवार को हॉलिडे कोर्ट के जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस अभय आहूजा की बेंच के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आई। इस दौरान कोर्ट ने सवाल किया कि इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की क्या जरूरत है? इस पर याचिकाकर्ता के वकील निखिल मेंगड़े ने कहा कि लूडो के नाम पर जुआ सामाजिक बुराई का रूप लेता जा रहा है। युवा इसकी ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं। इसलिए इस पर कोर्ट के तत्काल हस्तक्षेप की अपेक्षा है।
कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा
याचिका के मुताबिक, लूडो का खेल उसके डाइस (पांसा) गिरने के बाद उस पर आने वाले अंकों पर निर्भर करता है। इस तरह से देखा जाए तो लूडो कौशल नहीं किस्मत का खेल है। इस खेल में लोग जब कुछ दांव पर लगाते हैं तो यह जुआ का रूप ले लेता है। बेंच ने फिलहाल इस मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है और याचिका पर 22 जून को सुनवाई रखी है।
निचली अदालत ने माना है कौशल का खेल
याचिकाकर्ता ने इस बारे में वीपी रोड पुलिस स्टेशन में शिकायत की थी, लेकिन पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में निजी शिकायत की थी। निचली अदालत ने लूडो को कौशल का खेल माना है और FIR दर्ज करने का आदेश नहीं दिया। अब याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से अपील की है कि मजिस्ट्रेट कोर्ट के 12 फरवरी 2021 के आदेश को रद्द किया जाए और पुलिस को कार्रवाई का निर्देश दिया जाए।

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