झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति की विशाल जनसभा , झारखंडियों के अधिकार का यह अंतिम विद्रोह है : जयराम महतो

चांडिल : नीमडीह प्रखंड के रघुनाथपुर डाकबंगला के पास झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति द्वारा रविवार को 1932 की खतियान आधारित स्थानीय नीति के समर्थन में विशाल जनसभा का आयोजन किया गया। जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि टाइगर जयराम महतो ने कहा कि सरकार द्वारा झारखंडियों को कोयला खदान, डैम, कंपनी, प्लांट लगाने के नाम पर विस्थापन के आग में धकेल दिया जा रहा है और उन विस्थापितों को अधिकार से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि झारखंड में जितने भी नियुक्तियां की गई बाहरी राज्यों के लोग हावी है। बिहार में नियुक्ति होती है तो आवेदन पत्र में लिखा रहता है जो बिहार का है उसे ही नियुक्ति मिलेगी। बंगाल में बंगला, पंजाब में पंजाबी, गुजरात में गुजराती, महाराष्ट्र में मराठी भाषा जानने वाले को ही नियुक्ति की जाती है। लेकिन झारखंड में सभी भाषियों को नौकरी मिलेगा, सरकार का झारखंडियों के साथ ऐसा सौतेली व्यवहार क्यों ? अलग झारखंड हम इसलिए लड़ के लिया कि यहां हमें अपना अधिकार मिला। उन्होंने कहा कि 150 साल पहले इंडियन सक्सेसन एक्ट लागु किया, लेकिन छोटानागपुर में यह कानून लागू नहीं हुआ क्योंकि यहां के रहन सहन पूरे भारत से अलग है। सीएनटी एसपीटी कानून यहां के मूल निवासियों की अधिकार के लिए बनाया गया। लेकिन आज यहां के निवासियों का अधिकार लुटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार द्वारा 2021 जमीन अधिग्रहण कानून लाया, इस नियम के तहत शहर या उद्योग के 20 किलोमीटर परिधि में सरकार मनमानी ढंग से जमीन अधिग्रहण कर सकती है। यह सब नीति झारखंडियों को पलायन करने या गुलाम बनाने के लिए लागू किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि विकास के लिए फ्रांस, जर्मनी, अमेरिका आदि विकसित देशों ने भी जमीन अधिग्रहण करता है लेकिन उसके बदले जमीन मालिक को उचित मुआवजा, पुनर्वास, नौकरी आदि सभी सुविधाएं देता है। लेकिन झारखंड में जमीन अधिग्रहण झारखंडियों को पलायन करने के लिए और पूंजीपतियों को सुविधाएं देने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चांडिल डैम निर्माण के लिए सरकार द्वारा 116 गांव को विस्थापन किया गया लेकिन प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा, पुनर्वास, नौकरी आदि नहीं मिला है आज तक अनेक विस्थापित परिवार दर दर भटक रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब आंदोलन के रूप में युद्ध की जरूरत है नहीं तो फिर हमें गुलाम बनाया जायेगा। नेता, मंत्री, पदाधिकारी आदि द्वारा यहां के आदिवासी-मूलवासियों को परेशान किया जा रहा हैं। इसलिए सरकार के जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध विद्रोह की आवश्यकता है और यह अधिकार का अंतिम विद्रोह होगा। उन्होंने कहा कि यदि हम जनविरोधी नीतियों का विरोध नहीं करेंगे तो झारखंडियों का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा और हमारे भाषा, संस्कृति, परंपरा एक इतिहास बनकर रह जायेगी। इसके पूर्व जयराम महतो ने सभी शहीदों को माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित की। आयोजन समिति ने जयराम महतो को स्मृतिचिन्ह देकर स्वागत किया।

Share this News...