संपादकीय-स्वास्थ ढांचे में आमूलचूल परिवर्तन आवश्यक

देश की स्वास्थ व्यवस्था की पोल कोरोना काल में पूरी तरह खुल गई थी। उसके बाद दोषारोपण का दौर शुरु हो गया। इस बात की ओर किसी का ध्यान नहीं रहा कि हकीकत में हमने स्वास्थ को प्राथमिकता की सूची में कहां रखा है? मंत्रालय बंटवारे की बात आती है तो स्वास्थ काफी पीछे छूट जाता है। कद्दावर नेता गृह, रक्षा, रेल, वित्त जैसे मंत्रालयों के लिये मारामारी करते नजर आते है। इनके बाद भी कई मलाईदार मंत्रालय माने जाते है जिसमें स्वास्थ गिनती में नहीं आता। गांवों में तो हालात इतने भयावह है कि हल्की बीमारी भी जान लेवा हो जाती है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पीएम आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन की जो शुरुआत की है वह स्वास्थ के क्षेत्र में आने वाले दिनों में बड़ा बदलाव ला सकता है। पिछले बजट में इस योजना को रखा गया था और प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी से इसका शुभारंभ किया। इस योजना के लिये केन्द्र की ओर से 68 हजार करोड़ रुपये आवंटित किये गये है। योजना है कि 5 साल में पूरे देश में बड़ा स्वास्थ ढांचा तैयार हो जाएगा। अच्छी बात यह है कि गांव एवं छोटे कस्बो को लक्ष्य मानकर इसकी शुरुआत की जा रही है। इसके तहत 17,788 ग्रामीण और 11,034 शहरी हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर स्थापित किये जाने है। सभी जिलों में एकीकृत सरकारी स्वास्थ प्रयोगशालाओं की स्थापना होनी है। इसका लाभ यह होगा कि बीमारी का पता लगाने और इलाज की सुविधा ग्रामीण स्तर पर ही मिलनी शुरु हो जाएगी। इन सेंटर के खुलने से बीमारियों का पता शुरुआत में ही लग सकेगा। अभी छोटी-छोटी जांच के लिये गांव के लोगों को बड़े शहरों की ओर नहीं जाना होगा।
अब देखना यह होगा कि ये हेल्थ सेंटर सही तरीके से काम करे। अभी जो व्यवस्था है उसमें गांवों में प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र तो जरुर खोल गये है लेकिन वे केवल कागजों तक ही सीमित नजर आते हैं वहां महंगे उपकरण यदि है भी तो रख रखाव के अभाव में बेकार पड़े है। प्रथमिक स्वास्थ केन्द्रों की बात कौन कहे सदर अस्पतालों की भी वही हालत रहती है। डाक्टोरं की कमी का रोना बंद होने का नाम नहीं लेता। ये सारी खामियां कोरोना काल में साफ तौर पर देखने को मिली। प्रधानमंत्री ने जिस योजना का शुभारंभ किया है इसका उद्ेश्य तो बड़ा है लेकिन उसे जमीन पर उतारना बड़ी चुनौती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि अब तक जो गलतियां हुई हैं, वे आगे न दुहराई जायें। योजनायें समय पर धरातल पर उतरें।

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