ईद मिलादुन्नबी बड़े उत्साह और शांतिपूर्ण माहौल में मनाई गई,लगभग डेढ़ लाख आशिक रसूल(स) हुए शामिल

ज़ेरे अर्श-ए-बरी बसने वालों, अर्श है ज़ेर-ए-पाए मुहम्मद (स): हिदायतुल्लाह ख़ान

 

🔴ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर पंजाब बाढ़ पीड़ितों के लिए खुसूसी दुआ की गई।
🔴धतकीडीह का नाम अरशद नगर किया जाए: हिदायतुल्लाह ख़ान
🔴ईद मिलादुन्नबी को 1500वीं सालगिरह के रूप में मनाया गया।
🔴 झारखण्ड राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जुगसलाई से जुलूस में हुए शामिल।
🔴मानगो के गांधी मैदान से ओल्ड पुरुलिया रोड तक स्वागत द्वार बनाए गए थे।

संवाददाता
जमशेदपुर: जमशेदपुर सहित पूरे कोल्हान में ईद मिलादुन्नबी बड़े उत्साह और शांतिपूर्ण माहौल में मनाई गई। ज्ञात हो कि अरबी कैलेंडर के अनुसार, 12 रबी-उल-अव्वल एक मुबारक महीना है, और 12 रबी-उल-अव्वल को ही पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का जन्म हुआ था, जो पूरी दुनिया के लिए रहमत बनकर आए।पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के जन्म के इस पावन अवसर पर,तंज़ीम अहले सुन्नत वा जमात के बैनर तले मुहम्मदी जुलूस बेहद उत्साह और शांतिपूर्ण माहौल में निकाला गया, जो पूरे लोहानगरी समेत आसपास के इलाकों से होकर गुजरा।पूरे शहर में अकीदत और एहतराम के साथ बड़े ही उत्साह और शांतिपूर्ण माहौल में जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला गया।इस दौरान हर कोई जश्न में डूबा हुआ था और सड़कों पर लोगों की भारी भीड़ देखी जा सकती थी।हर तरफ खुशी और उल्लास का माहौल था। कार, बाइक और ट्रकों पर सवार लोग मानगो के आज़ाद नगर, जौहर नगर, ओल्ड पुरुलिया रोड से धातकी देह तक पैदल चल रहे थे और “सरकार का स्वागत है”, “मालिक का स्वागत है” जैसे नारे लगा रहे थे।
जुलूस में एक लाख से ज़्यादा लोग शामिल हुए। लगभग सात किलोमीटर की दूरी जुलूस में शामिल लोगों ने 4:30 घंटे में तय की।
मानगो से शुरू हुए जुलूस-ए-मोहम्मदी का नेतृत्व आलिम कर रहे थे और जुलूस के आगे-आगे आलिम चल रहे थे।
सुबह करीब 9 बजे छोटे ट्रकों पर झंडे-बैनर लेकर श्रद्धालुओं का काफिला रवाना हुआ, जो करीब 10:30 बजे साकची के आमबगान मैदान पहुँचा।अहले सुन्नत वा जमात के महासचिव और प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान मुफ़्ती ज़िया मुस्तफ़ा कादरी ने कहा पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को इस दुनिया में आए 1500 साल हो गए हैं।इसीलिए इस साल ईद मिलादुन्नबी का जश्न और मुहम्मदी जुलूस बेहद ऐतिहासिक रहा है।
इस अवसर पर झारखण्ड राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष हिदायतुल्ला खान ने कहा इस्लाम शांति का संदेश देता है और लोग इसी संदेश के साथ सड़कों पर उतरे हैं।
आज हमें पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की शिक्षाओं पर अमल करने की ज़रूरत है।हमें इस्लाम के बताए रास्ते पर चलना चाहिए और पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की सुन्नत पर अमल करना चाहिए। श्री खान ने तंज़ीम अहले सुन्नत वा जमात के संस्थापक दिवंगत अल्लामा अरशदुल कादरी(र. अ) के नाम पर धतकीडीह का नाम अरशद नगर करने की मांग रखी। ज्ञात हो कि बिहार, बंगाल, झारखण्ड एवं ओडिशा में तंज़ीम अहले सुन्नत वा जमात की स्थापना अल्लामा अरशदुल कादरी(र. अ) द्वारा की गई थी और उन्होंने इसका मरकज धतकीडीह स्थित मदरसा को बनाया था। राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष हिदायतुल्ला खान ने पंजाब में बाढ़ प्रभावितों के लिए खुलकर सहायता प्रदान करने की अपील की। उन्होंने कहा कि हमारे आका हज़रत मुहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने जरूरतमंदों की मदद की हमें शिक्षा दी है। हम अपने पंजाब के हमवतन भाईयों के लिए हर संभव सहायता दी करेंगे।
तंज़ीम अहले सुन्नत वा जमात के बैनर तले धतकीडीहा केंद्रीय मैदान में एक सभा का आयोजन किया गया।इस अवसर पर तंज़ीम अहले सुन्नत वा जमात के मुफ़्ती ज़िया अल-मुस्तफ़ा ने कहा कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के शब्दों को अपने चरित्र में उतारने की ज़रूरत है।
अपने बच्चों को बेहतर तालीम और शिक्षा दें, उन्हें अच्छे और बुरे का फ़र्क़ सिखाएँ, यह आपकी ज़िम्मेदारी है।
इसमें पूरे समाज और देश का भला है। आज कई समस्याएँ सामने आ रही हैं जहाँ तालीम के अभाव में बच्चे भटक रहे हैं।धतकीडीहा में जुलूस-ए-मोहम्मदी के समापन पर झारखंड अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष और संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष हाजी हिदायतुल्लाह ख़ान ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान में नात शरीफ़ पढ़ी।धतकीडीहा स्थित मक्का मस्जिद में जुम्मे की नमाज़ें हुईं। पहली नमाज़ दोपहर 1 बजे, पहली नमाज़ समाप्त होने के बाद दोपहर 2:15 बजे और तीसरी नमाज़ 2:45 बजे हुई।
सुरक्षा टी-शर्ट और पहचान पत्र पहने सैकड़ों स्वयंसेवक जुलूस के साथ चल रहे थे और जुलूस और यातायात को नियंत्रित कर रहे थे।मानगो से साकची, बिष्टोपुर से धातकी देह तक, सड़क के दोनों ओर टेंट और शामियाने लगाए गए थे, जहाँ शर्बत, शीतल पेय, पानी की बोतलें और नाश्ता वितरित किया जा रहा था। धातकीडीह मैदान में बड़ी संख्या में लंगर का आयोजन किया गया था।

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