चिराग पासवान की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में खारिज, स्पीकर के फैसले को दी गई थी चुनौती, पारस के लिए राहत भरी खबर


दिल्ली/पटना
पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में खारिज हो गई। कोर्ट ने कहा कि बिना मेरिट की याचिका है। चिराग की ओर से दायर याचिका में कहा था कि पार्टी विरोधी गतिविधियों और शीर्ष नेतृत्‍व को धेाखा देने की वजह से राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष होने के नाते पशुपति कुमार पारस को पार्टी से निकाला जा चुका है।

चिराग पासवान को झटका
चिराग पासवान की ओर से कहा गया था कि पार्टी से निकले जाने के कारण पशुपति पारस एलजेपी के सदस्‍य नहीं हैं। चिराग ने लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिड़ला के उस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें उनके चाचा केंद्रीय खाद्य प्रसंस्‍करण मंत्री पशुपति कुमार पारस के गुट को मान्‍यता दी है। इसी मामले में आज कोर्ट में सुनवाई हुई। सभी को फैसले का इंतजार था, कोर्ट ने अपने फैसले में याचिका को खारिज कर दिया।
याचिका मेें चिराग ने क्या कहा था?
चिराग पासवन की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया था कि पार्टी विरोधी गतिविधियों और शीर्ष नेतृत्व को धोखा देने की वजह से एलजेपी पहले ही पशुपति पारस को पार्टी से बाहर निकाल चुकी है। वे अब लोक जनशक्ति पार्टी के सदस्य नहीं हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कुल 75 सदस्य हैं और इनमें से 66 सदस्य हमारे (चिराग गुट) साथ हैं। सभी ने इसे लेकर हलफनामा दिया है। जमुई से सांसद चिराग पासवान का कहना है कि उनके चाचा के पास कोई ठोस आधार नहीं है।
याचिका पर कोर्ट में क्या हुआ?
दिल्ली हाईकोर्ट में स्पीकर के वकील ने बताया कि उन्होंने इस मामले में लोकसभा अध्यक्ष से बात की है। उनकी तरफ से जानकारी दी गई है कि इस मामले को वो देख रहे हैं। वकील ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला भी दिया। फिर कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में अभी कोई आदेश नहीं दे सकते क्योंकि स्पीकर इस मामले को देख रहे हैं। स्पीकर के वकील ने कहा कि इस याचिका पर सुनवाई का कोई आधार नहीं है, जब लोकसभा स्पीकर खुद इस मामले को देख रहे हैं। चिराग के वकील ने स्पीकर के इस बात का कोई विरोध नहीं किया। पशुपति पारस की ओर से पेश वकील ने कहा कि जो लेटर पारस ने स्पीकर को दिया था, उस समय पारस पार्टी (LJP) के चीफ व्हिप थे और बाद में पार्टी के लीडर चुने गए। तब कोर्ट ने कहा कि आपको चुनाव आयोग जाना चाहिए। यहां नहीं आना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि ये याचिका यहां पर मेंटिनेबल नहीं है।

चाचा-भतीजे का पूरा विवाद क्या है?
13 जून की शाम से एलजेपी में विवाद शुरू हुआ था। इसके अगले दिन चिराग को छोड़कर बाकी सभी सांसदों ने संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई थी। मीटिंग में हाजीपुर से सांसद पशुपति पारस को संसदीय बोर्ड का नया अध्यक्ष चुना गया था। इसकी सूचना लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिड़ला को दी गई थी। इसके बाद लोकसभा सचिवालय ने पारस को मान्यता दे दी। फिर चिराग ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई और पांचों बागी सांसदों को पार्टी से निकाल दिया।

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