तीन दिवसीय ऐतिहासिक आदिवासी लोक सांस्कृतिक मेला के अंतिम दिन उमड़ा जनसैलाब

आदिवासी – मूलवासियों की प्राचीन संस्कृति का दिखा झलक

मेला हमारे प्राचीन संस्कृति और सभ्यता को दर्शाती है : हरेलाल महतो

चांडिल : सरायकेला खरसावां जिला के नीमडीह प्रखंड मुख्यालय रघुनाथपुर में 20 जनवरी से आयोजित तीन दिवसीय आदिवासी लोकसंस्कृतिक मेला के अंतिम दिन झारखंड व पश्चिम बंगाल से जनसैलाब उमड़ा। मेला के प्रथम दिन दोपहर 12 बजे से पश्चिम बंगाल के मशहुर राईला रास्का महल गावंता दल के 50 महिला – पुरुष द्वारा पांता नाच की प्रस्तुति की गई। आदिवासियों की प्राचीन संस्कृति पांता नाच देखने जनसैलाब उमड़े। द्वितीय दिन विभिन्न भाषा के गीतों के लोकगायिका कल्पना हांसदा ने महफिल में समां बांधा। अंतिम दिन टुसू मेला में मेला प्रेमियों की सैलाब उमड़ा। 50 हजार से अधिक दर्शकों ने मेला का आंनद उठाया।

मौके पर उपस्थित मुख्य अतिथि आजसू पार्टी के केंद्रीय सचिव हरेलाल महतो ने कहा कि मेला हमारे प्राचीन संस्कृति और सभ्यता को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय के युवा पीढ़ी प्राचीन भारतीय परंपरा को छोड़ कर पाश्चात्य संस्कृति की ओर अग्रसर हो रहे हैं। मेला में पांता नाच, झूमर संगीत के आयोजन से यूवा वर्ग को प्राचीन भारतीय परंपरा की ओर ले जायेगा। उन्होंने कहा कि टुसू पर्व झारखंड के कुड़मी और आदिवासियों का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व शीत ऋतु में फसल कटने के बाद माघ के महीने में मनाया जाता है। टूसू का शाब्दिक अर्थ कुँवारी है। इस पर्व के इतिहास का कुछ खास लिखित स्त्रोत नहीं है। लेकिन इस पर्व में बहुत से कर्मकांड होते हैं और यह अत्यंत ही रंगीन और जीवन से परिपूर्ण त्यौहार है। मकर संक्राति व उसके बाद एक माह तक मनाये जाने वाले इस त्यौहार के दिन पूरे कूड़मी व आदिवासी समुदाय द्वारा अपने संस्कृति के नृत्य गीत करते हैं। मकरसंक्रांति के पावन दिन पर सुबह नदी में स्नान कर उगते सूरज की अर्घ्य प्रार्थना करके टुसू की पूजा की जाती है तथा नववर्ष की समृद्धि और खुशहाली की कामना की जाती है इस प्रकार यह आस्था का पर्व श्रद्धा,भक्ति और आनंद से परिपूर्ण कर देती हैं। इस अवसर पर ग्राम प्रधान महासंघ झारखंड प्रदेश उपाध्यक्ष वैद्यनाथ महतो, झामुमो के वरिष्ठ नेता लालटू महतो, जिप सदस्य असित सिंह पात्र, लक्ष्मीकांत महतो, मेला कमिटी के आयोजक अमुल्य महतो, अध्यक्ष तपन कुमार महतो, सचिव भगीरथ महतो, सुभाष चंद्र महतो, सुदर्शन गोराई, सुबोध महतो, कैलाश सिंह, सतीश गोप, निताई गोप, रविंद्र नाथ दास, फाल्गुनी महतो, दुर्योधन सिंह, राधागोविंद सिंह आदि उपस्थित थे।

मेला में उपस्थित टुसू व चौड़लो को पुरस्कार दिया गया

आदिवासी लोक सांस्कृतिक सार्वजनिक ऐतिहासिक मेला में झारखंड व पश्चिम बंगाल से टुसू प्रेमी काफी संख्या में टुसू और चौड़ल लेकर उपस्थित हुऐ। टुसू व चौड़ल को प्रथम पुरस्कार नगद 10 हजार रुपए, द्वितीय पुरस्कार 5 हजार रुपए, तृतीय पुरस्कार 3 हजार रुपए नगद पुरस्कार दिया गया तथा मेला में उपस्थित सभी टुसू व चौड़ल को सांत्वना पुरस्कार दिया गया

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