पत्रकारिता के नर्सरी स्कूल के तौर पर भी देखा जाता रहा है चमकता आईना को

जय प्रकाश राय

चमकता आईना को पत्रकारों की नर्सरी स्कूल के तौर पर भी देखा जाता है। चमकता आईना से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत करने वाले अनगिनत पत्रकार प्रदेश एवं देश के विभिन्न कोने में अपनी भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं। करीब 3 दशक पूर्व जब गुरुजी स्वर्गीय ब्रह्मदेव सिंह शर्मा की अगुवाई में जमशेदपुर से अखबार का प्रकाशन शुरू हुआ तो उस समय बड़ी चुनौती पत्रकारों की कुशल टीम तैयार करने की थी । जमशेदपुर में उन दिनों दो दैनिक समाचार पत्रों का प्रकाशन होता था. इस कारण सीमित संख्या में पत्रकार शहर में थे। लेकिन चमकता आईना की टीम काफी जल्द तैयार कर ली गयी। उस दौर में मास कम्युनिकेशन के जरिए पत्रकार तैयार नहीं किए जाते थे पत्रकारों को तैयार करने की जिम्मेदारी लघु समाचार पत्रों की मानी जाती थी. जमशेदपुर में चमकता आर्ईना घराना इस भूमिका का निर्वाह पिछले करीब 3 दशकों से निभाता आ रहा है . जमशेदपुर में 1 मई 1991 को गुरुजी की अगुवाई में यहां प्रकाशन शुरु हुआ था और टाटा स्टील के तत्कालीन चेयरमैन रुसी मोदी एवं कंपनी के नंबर दो रैंक के अधिकारी डा जे जे ईरानी ने अखबार का शुभारंभ किया था। केबुल वेलफेयर हाल में उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
उन दिनों चमकता आईना में जो युवा पत्रकार हमारे पास आ रहे थे उनके पास भले पत्रकारिता का अनुभव नहीं था. भले उनके पास किसी मास कम्युनिकेशन की डिग्री नही ंथी लेकिन वे उनमें पत्रकारिता की समझ और ललक थी। आज जमशेदपुर से प्रकाशित विभिन्न समाचार पत्रों में चमकता आईना की टीम की बहुतायत साफ तौर पर देखी जा सकती है। गुरुजी ने एक फार्मूला एक तरह से तय कर रखा था कि जो भी योग्य आये, उसे स्थान देना है। ऐसे किसी आगंतुक को निराश नहीं किया जाता था. जो भी पत्रकारिता के लिये उनके पास आता था, उसे उनकी पत्रकारिता स्कूल में दाखिला मिल जाता था। पिछले ढाई – तीन दशकों में सलमान रावी, विनोद सिंह राणा,विनय मंगलम, कौशल शुक्ला, देवाशीष सरकार, भूपेंद्र सिंह भाटिया, विनोद जान पाल, अरुण कुमार, अश्विनी रघुवंशी, सतीश श्रीवास्तव, कुमार धीरेंद्र, विभूति भूषण सिंह(अब दिवंगत) ब्रज भूषण मिश्र(बुल्लुजी), ईश्वर कृष्ण ओझा, सत्येंद्र कुमार, सिद्धिनाथ दुबे, राकेश कुमार, दिनेश शर्मा, चंद्रशेखर सिंह, अनिल तिवारी, राजेश देशप्रेमी, गुलाब सिंह, मनोज पाण्डेय, जयेश ठक्कर, निरंजन सिंह, राजा भट्टाचार्य, निसार अहमद, रणजीत कुमार, अशोक झा, अरुण अभिज्ञान, सलीम गौसी, असद उज्जमा, शंभू श्रवण, कौशल सिंह्, सतोष पासवान, कुलविंदर सिंह, त्रिलोचन सिंह, चरणजीत सिंह, संतोष चौबे, शैलेश यादव, दीपक सोमवंसी, दीपक कुमार, हेमंत श्रीवास्तव, धरीश चंद्र सिंह (घाटशिला),संजय विनीत, मनसा महतो, तापेश्वर शर्मा, अरुण सिंह, सुनील सिंह, सहित अनगिनत पत्रकारों और मंजर आलम, श्रीनिवास, निलय सेन गुप्ता, मनोज कुमार, जैसे छायाकारों ने या तो अपना पत्रकारिता कैरियर यहां से शुरु किया या यहां से जुड़े रहे . इनमें अधिकांश आज पत्रकारिता के अलावे शिक्षण या दूसरे क्षेत्रों में कामायाबी के शिखर पर हैं।
इनके अलावे ऐसे कर्ई पत्रकार हैं जो इस अखबार के प्रकाशन के आरंभ के दिनों से यहां से जुड़े रहे हैं। जो इस टीम की बड़ी ताकत है।
बेधडक़ लेखन गुरुजी का हमेशा से मूल मंत्र रहा । न काहू से दोस्ती न काहू से वैर उनका मूल मंत्र था। उनकी अगुवाई में चमकता आर्ईना टीम को लिखने की पूरी स्वतंत्रता मिली हमें स्मरण है कि एक बार जमशेदपुर के एक पुराने पत्रकार ने कहा था कि समाचार तो बहुत पत्रकारों के पास होता है, लेकिन जब तक संपादक उसे लिखने की इजाजत न दे, तो फिर पत्रकार कुछ नहीं कर सकता। गुरुजी की यही खासियत रही और वे हमेशा से पत्रकारों के साथ खड़े दिखते थे।
साहित्य या दूसरे क्षेत्र के साथ- साथ खेल में भी गुरुजी की काफी रुचि थी। जब हमारी टीम क्रिकेट के मैदान में होती थी तो गुरुजी उत्साह वर्धन के लिये टीम के साथ मैदान में मौजूद रहते थे। इस टीम ने भी गुरुजी को कभी निराश नहीं किया और लगातार पांच बार जमशेदपुर में आयोजित मीडिया क्रिकेट प्रतियोगिता का खिताब जीता। टीम की जीत के बाद वे जीत के जश्न में बराबर के भागीदार होते थे। चमकता आईना ने इस अवधि मे ंकई उतार चढाव देखे और अब वह वेबसाइट के जरिये लोगों तक अपनी पहुंच बना रहा है।

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