14 हज़ार गौवंशों की 20 एकड़ में देखभाल करती हैं मुम्बई की डॉ शालिनी, झारखण्ड के सबसे बड़े गौशाला होने का है खिताब

घाटशिला

पूरे झारखण्ड में पूर्वी सिंहभूम ज़िला के चाकुलिया क्षेत्र का नाम गौवंश रक्षा के लिए जाना जाता है, पहला गौशाला कोलकाता पिंजरापोल सोसाइटी औऱ दूसरी ध्यान फाउंडेशन की चाकुलिया गौशाला,100 वर्षों से ज्यादा हो गए कोलकाता पिंजरापोल सोसाइटी की गौशाला के चाकुलिया में स्थापित हुए वहीं वर्ष 2019 में स्थापित ध्यान फाउंडेशन चाकुलिया गौशाला निरन्तर गौवंशो की रक्षा व देखभाल कर रही है। इस बार गोपाष्टमी पर्व के अवसर पर दोनों गौशालाओं में कार्यक्रम रखे गए,
हाल ही में झारखंड की बहुचर्चित गौवंशो की पेट्रोल टैंकर द्वारा तस्करी में बरामद हुए लगभग 40 गौवंशो को भी ध्यान फाउंडेशन की गौशाला में ही रखा गया है, इस फाउंडेशन से जुड़ी मुख्य कर्ताधर्ताओं में से एक डॉ शालिनी मिश्रा ने बताया कि वे वर्ष 2019 से यहां गौवंशो की सेवा करती आ रहीं है।उन्होंने बताया कि इस गोपाष्टमी के दिन गौवंशो की गिनती की गई जो कि 14 हज़ार 200 पायी गईं।उन्होंने बताया कि उनके गौशाला में अधिकतर बीमार,लाचार, बूढ़े बैलों को भी रखा जाता है, जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है,अधिकतर गौशाला में लाभ के लिए गौ को रखा जाता है, पर उनके गौशाला में सभी लाचार बीमार गौवंशो का इलाज कर रखा जाता है, ध्यान फाउंडेशन की यह गौशाला लगभग 20 एकड़ में फैली हुई है,जिसमे से 10 एकड़ भूमि कोलकाता पिंजरापोल सोसाइटी द्वारा दी गयी है,डॉ शालिनी ने बताया कि उनके गौशाला में 350 मजदूर कार्य करते हैं,उन्होंने यह भी बताया कि अब तक उनके गौशाला में भारत के वर्तमान राष्ट्रपति महामहिम द्रौपदी मुर्मू से लेकर कई हस्तियां आ चुकी है।
उन्होंने लोगों से अपील भी की कि लोग अपने बच्चों या फिर अपना जन्मदिन गौशाला में आकर मनाएं, उनके गौशाला में गौवंशो के लिए आयुर्वेदिक औषधियों को मिलाकर दलिया बनाया जाता है,लोग इस दलिया का मूल्य देकर एक नेक कार्य कर सकते हैं।

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