सीजीपीसी : प्रधान के पिता का शव घर में पड़ा, समर्थक रोमी और जोगी उतरे कैंटीन कब्जा करने, हंगामा

जमशेदपुर, 31 जनवरी : सीजीपीसी द्वारा संचालित अल्पसंख्यक छात्रावास की कैन्टीन को लेकर आज शाम बवाल हुआ. इसकी शुरुआत और कैंटीन पर कब्जा करने की कोशिश पिछले कुछ दिनों से चल रही थी. अभी सीजीपीसी प्रधान का चुनाव हुआ और उनको समर्थन देनेवाले लोग ही इस बवाल को पैदा कर दिये हैं. प्रधान भगवान सिंह ने पूरे बवाल की सूचना जिला पुलिस को दी. पुलिस ने सुरक्षा बल भेजने की बात की और इस मामले में साकची थाने में एफआईआर दर्ज करने की सलाह दी. भगवान सिंह का कहना है कि कुछ लोग जबरन कैंटीन चलाने के लिये उसपर काबिज होना चाहते हैं, जबकि अभी कमिटी का गठन भी नहीं हुआ है और इस संबंध में जबतक कमिटी का कोई फैसला नहीं होता, तबतक कैंटीन पर कब्जा करने की अनुमति किसी को नहीं देंगे. दुर्भाग्य है कि प्रधान के पिता का कल रात ही निधन हुआ और अभी उनकी अर्थी घर में ही रखी हुई थी, बवाल की सूचना मिलने पर उन्होंने उस शोक के माहौल से निकलकर छात्रावास पहुंचना पड़ा.
बताया जाता है कि सैन्ट्रल सिख नौजवान सभा के पूर्व प्रधान सतेन्द्र सिंह रोमी का बेटा व साकची कमिटी के वरीय पदाधिकारी जोगिन्दर सिंह जोगी द्वारा छात्रावास में घुसकर हंगामा व बवाल किया गया. रोमी फोन पर गाली गलौज करते हुए सरेआम सुने गये, जो कहीं बाहर से फोन कर रहे थे. कहा जाता है उनके द्वारा येन केन प्रकारेण कैन्टीन पर कब्जा करने के लिये सीजीपीसी के नवनिवार्चित प्रधान भगवान सिंह पर दबाव बनाया जा रहा है जबकि इन लोगों ने भगवान सिंह को प्रधान चुनाव में निर्वाचित कराने के लिये पूरा काम किया था और समाज की गरिमा और परंपरा को तोडक़र पोस्टरबाजी की भी शुरुआत की थी. तभी सभी को शंका हो रही थी कि प्रधान पद जैसा सेवा कार्यवाले पद में क्या मधु है, जिसके लिये इतनी जोर आजमाइश की जा रही है. अब राज खुल रहा है और सच्चाई सामने आ रही है कि सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधन के प्रधान पद के लिये असली लड़ाई छात्रावास की कमाई को लेकर होती है. पिछले प्रधान साहब भी यही करते थे, उनपर आरोप था कि उन्होंने छात्रावास की आमदनी का कोई हिसाब नहीं दिया. नये प्रधान भगवान सिंह सीधे साधे सज्जन माने जाते हैं. अब उनपर दबाव बनाकर उक्त लोग कैंटीन की आमदनी पर कब्जा बनाने के लिये मैदान में कूद पड़े हैं. तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के कार्यकाल में जनहित के उद्देश्य से सरकारी फंड से बनवाया गया यह छात्रावास कुछ लोगो की कमाई का जरिया और सीजीपीसी की गरिमा को तार-तार करने का कारण बन गया है. रोमी और जोगी स्वनाम धन्य युवक हैं. जोगी का कभी किसी से नहीं पटा. साकची बसंत सिनेमा के सामने टाटा स्टील के क्वार्टर में पहले भाजपा का कार्यालय खोला गया, फिर सरयू राय के भाजमो का कार्यालय खुला, अब आज से वे पुन: भाजपा में लौट गये और वहां फिर से भाजपा का कार्यालय खुलने जा रहा है, जिसके लिये साजसज्जा पूरी हो गई है. इस संबंध में सीजीपीसी राजनीत के सूत्रधार सरदार शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रधान साहब के पिता के निधन के शोककाल के बाद अब इसपर फैसला होगा. आज शाम को वे भी पहुंचे थे. सरदार शैलेन्द्र सिंह ने गुरमुख सिंह मुखे को पहले प्रधान बनवाया और भगवान सिंह को भी आगे कर प्रधान बनवाने में उनकी अहम भूमिका रही. अब देखना है कि भगवान सिंह कैंटीन के मामले में क्या करते हैं. उसके बाद ही शैलेन्द्र सिंह के साथ उनके रिश्ते के चिरंजीवी होने की कामना की जा सकती है.
सूत्रों की माने तो समाज के प्रबुद्ध दवारा भी प्रधान भगवान पर दबाव बनाया गया था. छात्रावास में झारखंड सिख प्रतिनिधि बोर्ड के अध्यक्ष गुरचरण सिंह बिल्ला, साकची गुरुद्वारा के निशान सिंह समेत कई कमिटी के प्रधान, पदाधिकारी भगवान के समर्थन में पहुंचे. उन्होंने कहा कि कैन्टीन अब सीजीपीसी ही संचालित करेगी. किसको भी नही दी जायेगी बताया जाता है की भगवान सिंह के साथ गुरनाम सिंह समेत अन्य पहुंचे थे.
अंग्रेजी में एक कहावत है कि ‘कैट इज आउट ऑफ बैग’ और हिन्दी मेें कहा जाता है गिरगिट बहुत जल्द रंग बदलते हैं. छात्रावास की कमाई को लेकर समाज सेवा का दंभ भरनेवाले भगवान सिंह समर्थकों की कलई इतनी जल्दी खुल जाएगी, यह किसी को अनुमान नहीं था. वह भी ऐसे समय में जब प्रधान के पिता की अर्थी उनके घर पर रखी हुई हो.

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