Exclusive : सामाजिक रंग : एक गांव ऐसा जहां 200 सालों से होली नहीं खेली गयी: Bokaro

Bokaro, 29 March : देशभर में आज धूमधाम के साथ होली मनाई गई लेकिन झारखंड के बोकारो जिले में एक गांव है, जहां पिछले 200 सालों से होली नहीं खेली गई. दुर्गापुर नाम के इस गांव के लोग मानते हैं कि यहां रंगों का महापर्व खुशियों का पैगाम नहीं, बल्कि मौत का पैगाम लेकर आता है. गांव में रंग और गुलाल उड़ते ही मौतें होने लगती हैं. सदियों से दुर्गापुर में होली नहीं खेली गई. ये परंपरा आज तक जारी है.

जहां आज पूरा देश होली के रंगों से सराबोर हुआ, वहीं बोकारो के दुर्गापुर गांव मे सन्नाटा पसरा है. इस पंचायत के लोग इस दिन दहशत मे जीते हैं और प्रार्थना करते हैं कि कोई अनजाने में भी आकार इस गांव में होली खेलकर न चला जाए. यहां के ग्रामीण पूरे दिन इसकी निगरानी करते रहते हैं. होली नहीं खेलने की परंपरा को आज भी दुर्गापुर के ग्रामीण कायम रखे हुए हैं. दुर्गापुर के ग्रामीण होली मे रंग-गुलाल नहीं खेलते, लेकिन होली के दिन सारे ग्रामीण पूरे सौहार्द के साथ बाकी सारी परंपरा निभाते हैं.

बता दें कि बोकारो जिला के कसमार प्रखंड के अंतर्गत दुर्गापुर एक पंचायत है. इस पंचायत के तहत 11 टोला आते हैं. जिसमें ललमटिया, हरलाडीह, बूटीटांड़, कमारहीर, चडरिया, परचाटोला, तिलसतरिया, डुण्डाडीह, कुसुमटांड़, बरवाटोला और करुजारा टोला शामिल हैं. सबकी जनसंख्या दस हजार के आस-पास है, जहां सभी जाति-धर्म के लोग आपसी भाई चारे के साथ रहते हैं. लेकिन इस गांव में सदियों से होली के त्योहार पर रंग-गुलाल नहीं खेलने की परंपरा चली आ रही है, जो आज भी जारी है.

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