लोस व विस के सदन में गूंजेगा बामनी झड़प का मामला, सामाजिक संगठनों ने शुरू किया अनुसंधान

ग्रामीणों ने केंद्रीय जनजाति मंत्री, सीएम, डीजीपी को लिखा पत्र

चांडिल । गत 23 अप्रैल को नीमडीह थाना के बामनी गांव हुई पुलिस – पब्लिक झड़प मामले को लेकर अब सामाजिक संगठन गोलबंद होकर एक्शन में उतर आई हैं। दलमा क्षेत्र तथा कोल्हान के विभिन्न संगठनों ने आज से घटना का अनुसंधान शुरू कर दिया है। इसमें दलमा आंचलिक सुरक्षा समिति (नक्सल विरोधी संगठन), गांव गणराज्य लोक समिति,  अखिल भारतीय आदिवासी भूमिज मुंडा कल्याण समिति, जनतांत्रिक महासभा, भारतीय आदिवासी भूमिज समाज, संयुक्त ग्रामसभा मंच, आदिवासी भूमिज मुंडा युवा संघ आदि शामिल हैं। इन संगठनों के प्रतिनिधि मंडल द्वारा ग्रामीणों एवं घटना के नामजद आरोपियों से जानकारी इक्क्ठा कर रहे हैं। अनुसंधान कर रही टीम में  सेवानिवृत्त जज, वकील व मीडिया कर्मियों को भी रखा गया है। अखिल भारतीय आदिवासी भूमिज मुंडा कल्याण समिति के केंद्रीय सलाहकार बैद्यनाथ सिंह ने बताया कि 23 अप्रैल की घटना को लेकर ग्रामीणों व आरोपियों से पूछताछ कर जानकारी ली जा रही हैं। दो दिवसीय अनुसंधान के बाद रिपोर्ट तैयार किया जाएगा। उस रिपोर्ट को मुख्यमंत्री, राज्यपाल, एसटी – एससी आयोग, महिला आयोग आदि को सौंपा जाएगा। वहीं, हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर किया जाएगा। 
इधर, बामनी के ग्रामीणों ने भी सैकड़ों हस्ताक्षर युक्त आवेदन लिखा है। ग्रामीणों ने बताया कि राज्यपाल, केंद्रीय जनजाति मंत्री, मुख्यमंत्री, डीजीपी, कोल्हान डीआईजी, मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग, एसटी – एससी आयोग, सरायकेला के डीसी व एसपी को पत्र भेजा गया है। पत्र के माध्यम से उच्चस्तरीय जांच करने, न्याय दिलाने व नीमडीह बीडीओ, नीमडीह थाना प्रभारी व चांडिल थाना प्रभारी पर कार्रवाई करने का मांग किया है। पत्र में लिखा गया है कि बामनी गांव में चड़क पूजा के अवसर पर नीमडीह दंडाधिकारी बीडीओ के आदेश पर पूजा स्थल, प्रमुख असित सिंह पातर, प्रमुख के परिजनों व गांव के महिलाओं, बुजुर्गों, बीमार ग्रस्त लोगों, नाबालिग लड़कियों के साथ अमानवीय बर्बरतापूर्वक पशुवत व्यवहार किया गया है। वहीं, कई ग्रामीणों को अगवा कर ले जाने, वाहनों को क्षतिग्रस्त करने तथा कुछ वाहनों को जप्त कर ले जाया गया है। पत्र में ग्रामीणों ने कहा है कि चांडिल थाना प्रभारी सनोज कुमार चौधरी ने 23 अप्रैल को नीमडीह के प्रमुख असित सिंह पातर को जातिसूचक गाली गलौज किया है और बेरहमी से मारपीट की। ग्रामीणों ने उक्त पत्र में तर्क दिया है कि राज्य सरकार ने बहुत पहले ही धारा 144 लागू कर दिया था, इसके बावजूद कहीं पर भी इसका पालन नहीं कराया गया। धारा 144 लागू होने पर भी कई जगहों पर भीड़ जमा हुआ और भव्य आयोजन हुआ लेकिन उन आयोजनों पर प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।

संगठनों का प्रयास की सदन में उठे मामला : बामनी गांव में अनुसंधान कर रहे सामाजिक संगठनों ने  केंद्रीय जनजाति मंत्री अर्जुन मुंडा, रांची के सांसद संजय सेठ, आजसू सुप्रीमो सह सिल्ली विधायक, पोटका विधायक संजीव सरदार समेत कई जनप्रतिनिधियों को घटना की विस्तृत जानकारी दी है। संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि सभी संसद व विधायक ने आश्वासन दिया है कि सदन शुरू होने पर बामनी घटना का मामला को उठाया जाएगा और न्यायिक जांच की मांग करेंगे। 

गांव की स्थिति अबतक सामान्य नहीं हुई : 23 अप्रैल को हुई झड़प के बाद हुई पुलिसिया कार्रवाई से लोग अबतक डरे हुए हैं। गांव के पुरुष फरार हैं। महिलाएं, बच्चे व बुजुर्ग घरों में खुद को कैद कर लिया है। अनजान लोगों को देखने से महिलाएं भी भाग रही हैं। अब स्थिति यह है कि किसी बीमार को अस्पताल पहुंचाने के लिए भी कोई वाहन गांव नहीं जा रही हैं, दुकानों के बंद होने से लोगों को दैनिक उपयोग के सामान नहीं मिल रही हैं।

बता दें कि गत 23 अप्रैल को बामनी में चड़क पूजा के दौरान भीड़ हटाने के मामले में पुलिस और ग्रामीणों में झड़प हुई थी। जिसमें पुलिस ने 41 लोगों को नामजद आरोपी बताया है और 25 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जिसमें से 8 लोगों को जेल भेज दिया है। 41 आरोपियों में आजसू के हरेलाल महतो को भी आरोपी बनाया गया है। 

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