कृषि संसाधनों के ऊंचे मूल्य व कोल्ड स्टोरेज की कमी की दोहरी मार झेल रहे बहरागोड़ा के किसान

घाटशिला

कृषि संसाधनों के ऊंचे मूल्य व कोल्ड स्टोरेज की कमी की दोहरी मार झेल रहे बहरागोड़ा के किसान, महंगी उपज को सस्ते में बेचना बहरागोड़ा क्षेत्र के किसानों की मजबूरी बन गयी है, बीज व खाद की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि एवं गांव में सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण बहरागोड़ा क्षेत्र के किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. छेत्र के किसान किसी तरह मेहनत कर खेती तो कर रहे हैं लेकिन क्षेत्र में कोल्ड स्टोरेज नहीं होने के कारण इन किसानों को अपनी मेहनत के अनुरूप आमदनी नहीं हो पा रही है.मजबूरी में किसान औने-पौने दाम पर अपनी सब्जियां बेचने को मजबूर हो रहे हैं. वहीं किसानों का कहना है कि निजी स्तर पर सिंचाई की व्यवस्था कर सब्जी की खेती की गयी है, जिसमें बीज और खाद की कीमतें बढ़ने से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. किसानो का कहना है कि इन दिनों किसानों की मेहनत के अनुरूप सब्जियों का दाम नहीं मिल पा रहा है. वही, किसानों का मानना है कि अगर क्षेत्र में कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था हो जाती है, तो किसान अपनी उपज को कोल्ड स्टोरेज में रखकर उन्हें ऑफ सीजन में बाजारों में बेचकर दोगुना मुनाफा कमा सकते थे, परंतु क्षेत्र में कोल्ड स्टोरेज नही होने के कारण वे सभी अपनी उपज को औने-पौने दामों पर बेचने को विवश हैं. 
क्षेत्र के किसानों ने मांग की है कि सरकार क्षेत्र में एक कोल्ड स्टोरेज का निर्माण कराये, ताकि किसान अपनी फसल को कोल्ड स्टोरेज में रखकर दोगुना आमदनी कर सकें. किसानों ने कहा कि खेती की लागत दोगुनी होने से किसान अब खेती से मुंह मोड़ रहे हैं. किसानों के अनुसार, दो साल में खेती की लागत काफी बढ़ी है. खरीफ हो या रबी, किसानों का कहना है कि लागत के बराबर भी आय नहीं हो रही है. हालांकि किसानों के लिए कई योजनाएं चल रही हैं, पर ज्यादातर किसान उनके लाभ से आज भी वंचित ही हैं. पिछले पांच साल, खासकर कोरोना काल के बाद बीज, खाद व तमाम कृषि उपकरणों एवं अन्य कृषि सामग्रियों के दामों में बेतहाशा वृद्धि हुई है.बहरागोड़ा की पाथरी पंचायत के मधुआबेड़ा के किसानों का कहना है कि सब्जियों का उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण उनको समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. बीज व खाद महंगे होने से आमदनी कम हो गई है. किसानों ने कहा कि वे अपनी फसल का उचित मूल्य लेने के लिए दूसरे राज्यों, जैसे पश्चिम बंगाल एवं ओड़िशा ले जाकर बेचते हैं.

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