अर्जुन मुंडा के जनजातीय मंत्रालय को मिला ओवरआल श्रेष्ठ अवार्ड

जमशेदपुर स्थिति आवास में किया आनलाइन ग्रहण
जमशेदपुर 16 जनवरी संवाददाता
केंद्रीय जनजातीय को आज ओवरआल श्रेष्ठ मंत्रालय का स्कॉच चेलेंजर अवार्ड प्राप्त हुआ। केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने घोड़ाबांदा स्थिति आवास पर आज शाम आन लाइन यह अवार्ड ग्रहण किया। इस मंत्रालय को ओवरआल प्रदर्शन के लिये यह अवार्ड मिला है। पूर्णत: सूचना और प्रौद्योगिकी (आइटी) के माध्यम से जनजातीय समुदाय के छात्र-छात्राओं के लिए काम करने के लिए यह अवार्ड दिया गया है. इस मौके पर श्री मुंडा ने कहा कि
वे बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैंँ क्योकि यह अवार्ड एक परिणीति है मेरे मंत्रालय के एक विशुद्ध प्रयास की , मेहनत की , लगन की । मैं स्कॉच अवार्ड कमिटी का धन्यवाद करूँगा और साथ ही मंत्रालय के सभी साथियों को बधाई दूंगा और उनसे आग्रह करूँगा कि वे प्रयास की इस राह पर रुके नहीं और आगे चलते रहे । यह अवार्ड उन्हें प्रेरणा देता रहेगा । इस अवार्ड के जरिये जनजातीय मामलों के मंत्रालय की पहचान एक ऐसे प्रशासन के रूप में हुयी है जो भारत को एक बेहतर राष्ट्र बनाने के लिए एक अतिरिक्त प्रयास कर रहा हैं । सरकारी कार्यक्रमों के माध्यम से नीतिगत पहलों के कार्यान्वयन में मंत्रालय शीर्ष पर रहा है . मंत्रालय में सभी प्रक्रियाओं को डिजिटल कर दिया गया है जिसके परिणामस्वरूप कार्यालय एक पेपरलेस कार्यालय बन चुका हैं । मॉनिटरिंग सिस्टम भी डेटा चालित है । आज राज्यों के बीच की संचार प्रणाली भी ऑनलाइन हैं । रिपोर्ट प्रणाली भी एनालिटिक्स- पर आधारित हैं ।
श्री मुंडा ने कहा कि ‘ डिजिटल इंडिया ‘ को पूर्णत: आत्मसात करने और ई – शासन के लक्ष्य को साकार करने के लिए , मंत्रालय ने डीबीटी मिशन के मार्गदर्शन में डीबीटी पोर्टल के साथ सभी 5 छात्रवृत्ति योजनाओं को एकीकृत किया है । सभी लाभार्थियो का डेटा ऑनलाइन उपलब्ध है और 19 राज्य / संघ राज्य क्षेत्र वेब सेवाओं का उपयोग कर और 12 राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल पर डेटा भेजते हैं । सभी 5 छात्रवृत्ति योजनाओं को डीबीटी मिशन जनादेश के अनुसार डिजिटल किया गया है । 13 योजनाएँ मंत्रालय के डैशबोर्ड पर हैं ; 6 योजनाए प्रयास -पीएमओ डैशबोर्ड पर हैं । छात्रवृत्ति जारी करने की पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन करने से 64- लाख लाभार्थियों को डीबीटी के माध्यम से सीधे उनके खातों में छात्रवृति प्राप्त करने में सक्षम बनाया गया है । जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा स्थापित उत्कृष्टता केंद्र ( सीओई ) के मातहत चलाये जाने वाले स्वास्थ मिशन में स्वास्थ्य और पोषण विषयक ज्ञान प्रबंधन किया जाता हैं । भारत की जनजातीय आबादी के स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति को प्रस्तुत करने वाला यह एकमेव समाधान है । यह साक्ष्य , विशेषज्ञता और अनुभवों के आदान – प्रदान को सुविधाजनक बनाने के लिए भारत के विभिन्न हिस्सों से एकत्र की गई सूचनाओं और आंकड़ों के साथ – साथ नवीन शोध , केस अध्ययनों और सर्वोत्तम प्रोसेस को उपलब्ध करता है । श्री मुंडा ने बर्फ के स्तूप परियोजना की चर्चा करते हुए कहा कि यह एक ऐसी अनूठी परियोजना है – जिससे लद्दाख क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के कारण हुइ पानी की समस्या को हल करने के लिए चलाया जा रहा हैं । यह सर्दियों में जमे हुए पानी को स्टोर करने का एक तरीका है जिसका उपयोग बुवाई के मौसम के दौरान किया जा सकता है । यह संरचना स्थानीय रूप से पाए जाने वाले सामग्रियों से युक्त है , जिसमें बड़ी जल धारण क्षमता है , जो स्तूप की तरह दिखता है । 2019-20 में 26 ऐसे आइस स्तूप स्थापित किए गए थे , जिनमें लगभग 60 मिलियन लीटर पानी एकत्रित किया गया था । 35 से अधिक गाँव इससे पहले ही लाभान्वित हो चुके हैं । परियोजना समुदाय के स्वामित्व में है तथा इसमें और 25 स्तूपों को शामिल करने के प्रयास जारी है ।
श्री मुंडा ने स्कॉच ग्रुप के अध्यक्ष सतीश कोचर एवं स्कॉच चैलेंजर अवाईस से जुड़े हुए प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने मंत्रालय के सभी सहयोगियों को बधाई देते हुए उनसे आग्रह किया कि वे प्रयास की इस राह पर रुके नहीं और आगे चलते रहे । यह अवार्ड उन्हें प्रेरणा देता रहेगा । इस अवार्ड के जरिये जनजातीय मामलों के मंत्रालय की पहचान एक ऐसे प्रशासन के रूप में हुई है जो भारत को एक बेहतर राष्ट्र बनाने के लिए एक अतिरिक्त प्रयास कर रहा हैं । सरकारी कार्यक्रमों के माध्यम से नीतिगत पहलों के कार्यान्वयन में मंत्रालय शीर्ष पर रहा है . मंत्रालय में सभी प्रक्रियाओं को डिजिटल कर दिया गया है जिसके परिणामस्वरूप कार्यालय एकश्री मुंडा ने बताया कि जब वे झारखंड के मुख्यमंत्री थे तब भी डिजिटल के माध्यम से काम करने की कोशिश की थी जिसका लाभ हुआ. उन दिनों आर एस शर्मा आईटी सचिव थे और झारखंड में डीबीटी के माध्यम से योजनाओं को सुचारु रुप प्रदान करने का उन्होंने प्रयास किया था। उनका मानना था कि एक समोकित डाटा से योजनाओं को लाभ पहुंचाया जा सकता था। बाद में आर एस शर्मा यूडीआई के सेक्रेट्री जेनरल बने . श्री मुंडा ने कहा कि यूडीआई को लागू करने में कहीं न कहीं झारखंड की भी कहीं न कहीं कुछ भूमिका रही.आज यूडीआई की महत्वपूर्ण भूमिका हर क्षेत्र मेंं है जिसे आज आधार कहा जाता है।
श्री मुंडा ने कहा कि जनजातीय क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ के साथ साथ जागरुकता का प्रयास किया जा रहा है। झारखंड में मुख्यमंत्री के नाते उन्होंने साल 2003 में टोटल डीजिटल का प्रयास किया था।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जिस आत्मनिर्भर भारत का सपना देखा है, उसे पूरा करने में उनका मंत्रालय पूरी तरह तत्पर है।
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने बताया कि जनजातियों को समझने वाला आदमी देश मे कम है. इसको समझते हुए किस तरह से लोगों को लाभ पहुंचाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सही तरीके से किस तरह से काम करना है उसका अगर तरीका सही नही हो तो लाभ नही मिल सकता है. ऐसे में जनजातीय मंत्रालय चाहता है कि सही तरीके से लाभ लाभान्वित को पहुंचाने का काम किया है. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जनजातीय लोग पयार्वरण की रक्षा करने वाले पेड़ को बचाते है. हमारे पूर्वज कहते हैं कि धर्म और अध्यात्म को अगर पाना है तो जंगल की ओर जाए लेकिन लोग शहरी इलाकों में बैठकर सिर्फ चिंता जताते है. श्री मुंडा ने कहा कि कहीं न कहीं आजादी के बाद 70 सालों में आदिवासी समुदाय को उपेक्षित रखा गया। मैं यह नहीं कहा कि इस दिशा में प्रयास नहीं किये गये, लेकिन जो प्रयास हुए वे लोगों तक लाभ पहुंचा पाये, इसे नहीं देखा गया। मेरा मानना है कि केवल पैसा खर्च करने से नहीं होता , जो पैसा खर्च किया गया. उसका कितना लाभ आदिवासियों को मिले यह देखना चाहिये।

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