दिवालिया घोषित होगी इंकैब आवेदन स्वीकार,24 जनवरी को हुई सुनवाई के बाद एनसीएलटी में था फैसला सुरक्षित 30 दिन के अंदर दिल्ली न्यायाधिकरण में जाने का है निर्देश

जमशेदपुर, 7 जनवरी (रिपोर्टर) : वर्षों से बंद केबुल कंपनी इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड को दिवालिया के कगार पर पहुंच चुकी है। दिवालिया की प्रक्रिया जल्द शुरु होने वाली है। कंपनी को दिवालिया घोषित करने को रिच्यूलेशन प्रोफेशनल (आरपी) आवेदन को नेशनल कंपनी ऑफ लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की कोलकाता बेंच ने स्वीकार कर लिया है। शुक्रवार को एनसीएलटी ने यह फैसला सुनाया। अब एनसीएलटी द्वारा गठित आरपी के निर्देश पर कंपनी की आगे की दिवालिया प्रक्रिया शुरू होगी। एनसीएलटी ने इस फैसले के खिलाफ में 30 दिनों के अंदर अपना पक्ष एनसीएलएटी (नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल) दिल्ली में रखने को कहा है।
जानकारी हो कि इससे पूर्व 24 जनवरी को एनसीएलटी में अंतिम सुनवाई हुई थी। लगातार तीन दिन की सुनवाई के बाद फैसला को सुरक्षित रखा गया था। एनसीएलटी के निर्देश पर आरपी ने कंपनी की स्थिति पर निर्णय लेने को कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स सीओसी का गठन किया है। इस कमेटी में कमला मिल्स, फागसुआ व आरआर केबुल शामिल हैं।
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अंतिम दिन सुनवाई में कमेटी ऑफ क्रेटिडर्स (सीओसी) के माध्यम से विघटन और कंपनी के कर्ज के निरस्तीकरण के लिए दायर सीए नंबर 46/ 2020 पर मैराथन सुनवाई के बाद एनसीएलटी कोलकाता ने आदेश सुरक्षित रख लिया था। संभावना जताई गई थी कि फ रवरी के प्रथम सप्ताह में मामले में फैसला सुनाया जाएगा।
एनसीएलटी के जस्टिस एमबी गोसावी तथा जस्टिस बीके गुप्ता की बेंच में सुनवाई पूरी थी हुई। उसी कोर्ट ने गुरुवार को कंपनी को दिवालिया घोषित करने को आवेदन स्वीकार किया था।
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इंकैब कर्मचारियों के अधिवक्ता अखिलेश कुमार श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट तथा उच्च न्यायालय के आठ फैसलों को संदर्भित करते हुए कमला मिल्स, फागसुआ, आरआर केबुल व टाटा स्टील के डेब्ट के दावों को खारिज किया था।
उन्होंने टाटा स्टील के कंपनी की जमीन उनकी होने के दावे को भी खारिज करते हुए कहा था कि यह सरकार की जमीन है। उन्होंने एनसीएलटी से कहा कि मजदूर कंपनी चलाने में सक्षम हैं इसलिए कंपनी को लिक्विडेट नहीं किया जाए और मजदूरों को कंपनी चलाने का मौका दिया जाना चाहिए। वे देनदारों के पैसे देने को भी तैयार हैं। फागसुवा, कमला मिल्स के अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने 70 प्रतिशत डेब्ट कंपनी का खरीदा है जबकि आरआर केबुल ने 15 फीसद डेब्ट खरीदने का दावा किया। इन लोगों ने 1800 करोड़ से अधिक की संपत्ति का दावा करते हुए पैसा मिलने की दलील दी। आरपी ने कंपनी को लिक्विडेट करने का प्रस्ताव दिया है। अब 30 दिन के भीतर इसके खिलाफ रखे जाने वाले पक्ष की अहमियत रहेगी।

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