इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स एसोसिएशन की 88 वीं वार्षिक सभा :लिंकेज कोटा खत्म होने से हार्ड कोक उद्योग तबाह:बी एन सिंह

कोयले का इम्पोर्ट करें उद्यमी, बीसीसीएल तुगलकी नीति खुद बदलेगी : एसके सिन्हा

लिंकेज को ऑक्शन का नाम दिया ; असामाजिक तत्व हुए हावी

दबे कुचले लोगों की जीविका चलाती है कोक इंडस्ट्री

Dhanbad,29 Sept: हार्ड कोक उद्योग अनिश्चितता के भंवर में फंसा हुआ है। भारत सरकार को इसे बचाने की दिशा में तत्काल कदम उठाने चाहिए जिससे देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में पूर्व की भांति इस उद्योग का योगदान कायम रहे। कोल इंडिया, बीसीसीएल की आपूर्ति नीति और नजरिया भी इस उद्योग के अनुकूल नहीं है। यदि कोयला वितरण नीति थोड़ी सी भी उपयुक्त होती को यह उद्योग बेहतर प्रदर्शन करता।
ये उद्गार आज इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स एसोसिएशन की 88 वीं वार्षिक आम सभा में एसोसिएशन के अध्यक्ष बीएन सिंह ने व्यक्त किये। श्री सिंह ने कहा यह उद्योग झारखंड का एक बड़ा रोजगार प्रदाता उद्योग है। इसके कारण बड़ी संख्या में गरीब, आदिवासी और दबे कुचले लोगों की जीविका चलती है। सरकार ने बारंबार नीतियों में बदलाव लाकर उद्योग को काफी कमजोर कर दिया है। लिंकेज कोटा खत्म होने से उद्योग की परेशानी शुरू हुई है। लिंकेज को ऑक्शन का नाम देकर असामाजिक और अवांछित तत्वों को इस पर हावी होने का अवसर मिला है।
वरीय उपाध्यक्ष एसके सिन्हा (पलटन) ने कहा कि इस उद्योग को बचाने का एकमात्र रास्ता है इंपोर्टेड कोल। इंपोर्टेड कोयला 8000 से 22000 रूपए प्रति टन तक उपलब्ध है। इसकी गुणवत्ता भी बीसीसीएल के कोयले से कई गुना अधिक है। बड़ी मात्रा में इसको इंपोर्ट करने के लिए एसोसिएशन के सभी सदस्यों का सहयोग चाहिए। ऐसा करने के बाद ही कोल इंडिया और बीसीसीएल अपनी तुगलकी नीति बदलने के लिए बाध्य होंगी। उन्होंने कहा 1975 में बीसीसीएल के पदाधिकारी विभिन्न हार्ड कोक प्लांट में जाकर अलग-अलग कोलियरी का कोयला लेने के लिए मिन्नतें करते थे। आज वही बीसीसीएल इस उद्योग को परेशान करने के लिए अप्रासंगिक नीतियां लागू कर रही है।
कार्यक्रम में एसोसिएशन के कनीय उपाध्यक्ष रतन लाल अग्रवाल, आईआईटी-आईएसएम के पूर्व प्राध्यापक डॉ प्रमोद पाठक, रमेश गुटगुटिया, इंदर मोहन मेनन, केदारनाथ मित्तल, योगेन्द्र नाथ नरूला, प्रदीप चटर्जी, एसके दत्ता, चिनमय महाथा सहित बड़ी संख्या में एसोसिएशन के सदस्य उपस्थित थे।

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