86 बस्तियों को मालिकाना देने की सरयू राय ने मांग , विधान सभा में उठाये पिछली सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल

रांची, 8 जनवरी : विधानसभा सत्र के अंतिम दिन वजट पर चर्चा के दौरान जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने पिछली राज्य सरकार के कार्यकाल में सरकार की कार्य पद्धति पर कई सवाल उठाये जिनमें प्रमुख रूप से विकास का झूठा ढिंढोरा पीटना, सूचना जनसंपर्क विभाग में जनसंवाद, सूचना जनसंपर्क विभाग में एजेंसी को 15 प्रतिशत कमीशन कट , महाधिवक्ता प्रकरण, प्राक्कलन घोटाला, लिम्का बुक में रोजगार के नाम पर झूठा रिकार्ड दर्ज कराना आदि संवेदनशील मुद्दों के साथ-साथ जमशेदपुर की 86 बस्तियों को मालिकाना हक देने, सीतारामडेरा थाना में पत्रकारों की पिटाई और कई ऐसे मामले उठाये जिसमें उनका कहना था कि 5 वर्षों में सरकार और उसके अधिकारियों ने जो गोरखधंधा चलाया उसकी जांच हो. सदन में भाजपा के निष्कासित नेता अमरप्रीत सिंह काले के परिवार की जमीन को लेकर की गयी मनमानियों का भी मुद्दा उठाया. सदन में बजट पर धन्यवाद चर्चा में भाग लेने के उपरांत पत्रकारों से बातचीत में विधायक श्री राय ने कहा कि बजट तो सरकारें पेश करती हैं और कामकाज के खर्च, आय-व्यय का ब्यौरा पेश करती है, लेकिन यह भी सुनिश्चित होने चाहिए कि सरकार और उसके अधिकारी कैसे काम करेंगे और उनकी कार्य पद्धति कैसे चलेगी.
श्री राय ने सन 2016 से 2019 तक के दौरान दो ऐसे दृष्टांत पेश किये जिसमें उन्होंने बताया कि गृह सचिव ने 2016 में जमशेदपुर के उपायुक्त को सीतारामडेरा थाना में पत्रकारों की पिटाई मामले में जांच के लिए सात बार रिमाइंडर दिया, लेकिन उपायुक्त ने जांच नहीं की. इसी तरह मानगो में एक बस जलाई गई थी जिसकी जांच के लिए डीजीपी ने एसएसपी को आदेश दिया लेकिन उसकी जांच नहीं की गयी. मुख्यमंत्री ने तो अलबत्ता यह कर दिया कि पत्रकारों की पिटाई का मामला जिस दलाली के मुद्दे से जुड़ा था उसके आरोपित व्यक्ति को ही अपना विधायक प्रतिनिधि बना दिया, तो क्या ऐसे ही सरकारें चलतीं हैं. उन्होने महाधिवक्ता के विषय में बताया कि उच्च न्यायालय में खनन विभाग से जुड़े तीन मामलों में विभाग से बिना विमर्श किये और निर्देश प्राप्त किये ही बहस कर दी और उस मुकदमें में सरकार की हार हो गयी. जमशेदपुर में अमरप्रीत सिंह काले के परिवार से जुड़े जमीन के एक मामले में महाधिवक्ता ने गलत बयानी कर प्रशासन से जमाबंदी खारिज करा दी. महाधिवक्ता के इस गैर पेशेवर आचरण (मिस कंडक्ट) की जब मैंने बात उठायी तो बार काउंसिल के अध्यक्ष की हैसियत से उन्होंने एक निंदा प्रस्ताव पास करा दिया. श्री राय ने चुनाव में सीएमओ द्वारा अखबार के मालिकों को डराने धमकाने और सरयू राय के संबंध में कोई खबर प्रकाशित नहीं करने संबंधी दी गयी कथित धमकियों का भी जिक्र किया.
श्री राय ने कहा कि अधिकारी संविधान की शपथ लेते है लेकिन वह सत्ताधारियों के यहां घरेलू नौकर बन जाते हैं. श्री राय ने बताया कि ऐसे कई मामले संज्ञान में आये हैं जब अधिकारी विदेश घूम रहे हैं लेकिन हाईकोर्ट में हाजिरी दिखाकर झूठा बिल बनाये हैं. श्री राय ने ऐसे सभी पदाधिकारियों की कार्यशैली और उनसे संबंधित मामलों के बारे में और संपत्ति की जांच कर कार्रवाई की मांग की है. श्री राय ने जमशेदपुुुर में 86 बस्तियों के मालिकाना हक की मांग की और कहा कि प्रधानमंत्री ने दिल्ली में जिस तरह 1731 बस्तियों को मालिकाना हक दे दिया उसी तरह झारखंड विधानसभा में ऐसा प्रस्ताव लाकर जमशेदपुर की 86 बस्तियों सहित अन्य क्षेत्रों की बस्तियों को भी मालिकाना हक देने की उन्होंने मांग की. श्री राय ने कहा कि सरकार लोगों से जमीन का शुल्क ले ले जिससे उसे राजस्व की भी प्राप्ति होगी, क्योंकि आज सरकार कह रही है कि खजाना खाली है. इससे सरकार को आय भी हो जाएगी. उन्होंने इस संबंध में यह बात भी उठायी कि पिछली सरकार ने खनन और कोयला का राजस्व सही तरीके से नहीं वसूला, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ. ऐसी लापरवाहियों पर कार्रवाई होनी चाहिए.
12 जनवरी 2018 को प्रांत में एक दिन में 26 हजार लोगों को नौकरी देने के फर्जी दावे को भी उठाते हुए उन्होंने कहा कि लिम्का बुक आफ रिकार्डस में यह आंकड़ा कैसे दर्ज हुआ, जबकि नौकरी पाने वाले लोग घूम फिर कर वापस अपने घर आ गये. स्किल डेबलपमेंट के नाम पर चल रहे और अब तक हुए गोरखधंधे को भी उन्होंने बंद करने की मांग की. सूचना जनसंपर्क विभाग में चलने वाले जनसंवाद केंद्र और एक अयोग्य एजेंसी को बहाल कर सभी विज्ञापनों को 15 प्रतिशत कट जैसे मामले को भी उन्होंने उद्धिृत करते हुए विज्ञापन जारी करने में किये गये भेदभाव और आलोचना करने वाले समाचार पत्रों के विज्ञापन बंद करने आदि के मामले भी उन्होंने उठाये.

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