संकट में मानवता, कालाबाजारियों पर फर्क नहीं

सम्पादकीय : जय प्रकाश राय
देखा गया है कि जब कभी संकट का दौर आता है जमाखोरी और काला बाजारी बढ़ जाती है। कोरोना वायरस को लेकर पूरे देश में तालाबंदी है और इसके साथ ही कालाबाजारी भी बढ़ गई है। लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही आलू-प्याज की कीमते दूनी हो गई। बाजार में सब्जियों के दाम बढ़ गये। आटा की भी कीमत आसमान छूने लगी है। गनीमत है कि इस दौरान आवश्यक सेवायें जारी है। खाने पीने की चीजों को लेकर भी घबराने की जरूरत नहीं। सरकार दावा कर रही है कि अनाज का भरपूर भंडार हमारे पास है। फूड कारपोरेशन आफ इंडिया के अनुसार 19 लाख टन अनाज अभी भी गोदामों में पड़ा है। तालाबंदी के बाद रेल सेवा बंद है। ट्रांसपोर्ट में भी ताला लगा है। विमान सेवा भी रोक दी गई है। लोग इन हालात से निपटने के लिये अब काफी हद तक तैयार भी हो गये है। लेकिन खाने-पीने का तो इंतजाम करना ही होगा। लोग इसी कारण हड़बड़ाहट में है।
झारखण्ड सहित पूरे देश में तालाबंदी की घोषणा के साथ ही राशन दुकानों में भारी भीड़ उमडऩे लगे। आधी रात तक लोग राशन खरीदते नजर आये। कालाबाजार करने वाले ऐसे हालात पर गिद्द दृष्टि लगाये बैठे रहते है। पूरी मानवता आज खतरे में है। करोड़ों लोगों का एक झटके में रोजगार छिन गया है। रोज कमाने खाने वालों के सामने गंभीर संकट पैदा हो गया है। सरकार की ओर से कुछ राहत दिये जाने की बात हो रही है। कई सामाजिक संगठन परेशान लोगों की सेवा में आगे आ रहे हैं। जमशेदपुर में रेलवे स्टेशन एवं बस स्टैण्ड में फंसे दूसरे शहरों के यात्रियों की सहायता के लिये कई संगठन आगे आये। अपने-अपने घरों से भोजन तैयार कर उनकी भूख मिटाई गई। ऐसे लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने में उन्होंने पूरी मदद की।
समाज ऐसे ही लोगों से चलता है। देश के दूसरे हिस्सों से भी ऐसी ही खबरे आ रही है। जो जहां है मदद के लिये तैयार है। ऐसे में जब यह खबर आती है कि कालाबाजारी करने वाले सक्रिय हैं तो आक्रोश का उबलना स्वाभाविक है। इस गंभीर संकट के समय डाक्टर, नर्स, पुलिस कर्मी, प्रशासनिक अधिकारी, जरूरी सेवाओं से जुड़े लोगक मीडियाकर्मी खुद की चिंता किये बगैर अपनी जिम्मेदारी बिछाने में लगे है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ऐसे लोगों की जमकर तारीफ कर रहे है। जनता कफ्र्यू के दिन ऐसे लोगों के लिये प्रधानमंत्री ने ताली बजाने का आह्वान भी किया था। समाज ऐसी ही सोच रखने वालों की बदौलत चलता है। आज जब देश का बड़ा हिस्सा घरों में कैद है। इन सेवाओं से जुड़े लोग अपनी-अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह कर रहे है। ऐसे में जब कालाबाजार करने वालों की खबर आती है तो काफी ठेस पहुंचती है। ऐसे में जमशेदपुर के कुछ सब्जी विक्रेताओं की तारीफ करनी होगी जिन्होंने सामूहिक रूप से शपथ ली वे कालाबाजारी नहीं करेंगे।

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