मील का पत्थर साबित होगा मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज : बन्ना गुप्ता

24 नवंबर को उच्च न्यायालय पर सबकी निगाहें

जमशेदपुर 15 नवंबर : मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा कल किए गए निरीक्षण में वहां की डीन डा. पूर्णिमा बालिगा बी एवं कानूनी सलाहकार जयप्रकाश ने बताया कि प्रथम वर्ष के लिए 150 सीटों पर शिक्षण की सारी व्यवस्था पूरी कर ली गयी है जबकि द्वितीय चरण के लिए मास्टर प्लॉन पर काम शुरू हो रहा है. कॉलेज में एमसीआई के गाइडलाइन के अनुसार सारे मानक पूरे हो रहे हैं.
विदित हो कि कॉलेज का वही परिसर है जो पहले एडीएम टीवी अस्पताल का था जो मर्सी अस्पताल से सटा है. 20 एकड़ क्षेत्रफल में वनों से आच्छादित इस मनोहारी परिसर में पुरातन भवनों एवं नए लेक्चर हालों से इसे सजाया गया है. 20 हजार वर्गफीट क्षेत्रफल में नया एडमिन ब्लॉक बन रहा है. यहां एनाटामी में 150 बच्चों के लिए 15 डिसेक्शन टेबुल की असाधारण व्यवस्था है जहां एक साथ 15 टेबुलों पर 15 शवों को रखकर 10-10 बच्चों के बैठने की व्यवस्था की गयी है. इस तरह बायोकेमिस्ट्री समेत अन्य विभागों के लिए प्रयोगशालाएं बनाई गयी हैं. डीन ने बताया कि कॉलेज में 17 शव लाए गए हैं. आमतौर पर एक साथ इतने शवों के साथ सभी विद्यार्थियों को पढ़ाने की सुविधा नहीं होती. मानव अंगों एवं अन्य शारीरिक प्रक्रियाओं का प्रदर्श करने वाले उपकरणों की खूबसूरती देखने लायक है. यहां प्रथम वर्ष के बच्चों के लिए 3500 पुस्तकों की लाइब्रेरी बनायी गयी है जहां ई लाइब्रेरी विश्व स्तरीय आनलाइन जर्नल आदि की सुविधा होगी. फैकल्टी की जहां तक बात है, मणिपाल एकेडमी द्वारा पर्याप्त से अधिक संख्या में नियुक्ति करके रखी गयी है. सबसे बड़ी बात है कि इस कॉलेज में लगभग 985 शैय्यावाला टीएमएच टीचिंग अस्पताल मिला है जहां मरीजों का इतना फ्लो रहता है जो सरकारी अस्पतालों को भी नसीब नहीं होता. बच्चों के लिए टाटा स्टील का बारीडीह स्थित जीटी हास्टल के परिसर को कॉलेज हास्टल बनाया गया है.
कानूनी सलाहकार जयप्रकाश ने बताया कि पहले राउंड में नामांकन पर रोक मामले में उच्च न्यायालय द्वारा 24 नवंबर को अगली सुनवाई निर्धारित है. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया उस दिन हमें न्याय मिलेगा और 26 दिसंबर तक चलने वाली काउंसिलिंग प्रक्रिया में इस कॉलेज में नामांकन जरूर होगा.
अदालत में कॉलेज प्रबंधन एवं अन्य द्वारा दायर याचिका के अनुसार प्रथम द्रष्टया यही लगता है कि मेडिकल शिक्षण सुविधाओं की कमी का यहां कोई मामला नहीं है अलबता ‘इंस्टीट्यूशन्स ऑफ इमिनेंस डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटीÓ (जो मणिपाल एकेडमी आफ हायर एजुकेशन को प्राप्त हुआ है) पर यूजीसी का कौन रूल-रेगुलेशन प्रभावी होगा, इस तकनीकी पहलू पर कॉलेज को काउंसलिंग से बाहर किया गया. इस ढंग से नामांकन रोकना आम लोगों के मन में सवाल पैदा करता है कि एक ओर प्रधानमंत्री नियमों के सरलीकरण की बात करते हैं तो फिर ऐसे कम्पलेक्स और उलझन वाले नियमों के आधार पर सरकार का तंत्र कैसे किसी जनहित और शिक्षाहित के कार्यों को बाधित करता है. कॉलेज की ओर से देश के सुविख्यात अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अदालत में अपना पक्ष जोरदार ढंग से उठाया है जिस पर अदालत ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय तथा नेशनल मेडिकल काउंसिल को हर हाल में अपना प्रतिवादी शपथनामा 24 नवंबर के  पहले समर्पित करने का निर्देश दिया है, ताकि मामले की गंभीरता और समयबद्धता को देखते हुए उस दिन सुनवाई की जाए.

स्वास्थ्य मंत्री ने किया मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण
नामांकन रोका जाना बताया केन्द्र सरकार का सौतेला व्यवहार
जमशेदपुर, 15 नवंबर (रिपोर्टर): राज्य के स्वास्थ्यमंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि केन्द्र सरकार को आदिवासी बहुल पिछड़े झारखंड राज्य को प्रोत्साहित करना चाहिए, न कि छोटी-मोटी त्रुटियों और कमियों का नुक्स निकालकर आगे बढऩे का मार्ग अवरूद्ध करना चाहिए. स्वास्थ्य मंत्री ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा झारखंड के नवसृजित तीन मेडिकल कॉलेजों और जमशेदपुर में पीपी मोड पर स्थापित मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज (एमटीएमसी) में नीट परीक्षा में सफल मेडिकल शिक्षा अभ्यार्थियों के नामांकन पर लगायी गयी रोक की प्रतिक्रिया में उक्त बातें कहीं जब कल वे बारीडीह स्थित एमटीएमसी का स्वयं निरीक्षण करने आए थे.
श्री गुप्ता एमटीएमसी को देखकर काफी प्रभावित हुए और कहा कि यह कॉलेज झारखंड के मेडिकल छात्रों के लिए मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने कॉलेज के आधारभूत संरचना समेत विभिन्न विभागों और भवनों का निरीक्षण किया. उनके साथ मणिपाल एकेडमी ऑफ  हायर एजुकेशन (माहे) के कानूनी सलाहकार जय प्रकाश थे. कॉलेज की डीन एवं अन्य पदाधिकारियों  ने उन्हें विभिन्न जानकारियां दीं. पत्रकारों को भी सभी व्यवस्था दिखाई गई.
एमटीएमसी में 150 छात्रों की सीटों पर नामांकन होना है, लेकिन ऐन वक्त पर 6 नवंबर को काउंसलिंग की सीट मैट्रिक्स प्रक्रिया से बाहर कर सबको भौंचक कर दिया गया. इसी तरह पलामू, दुमका एवं हजारीबाग के नवसृजित तीन मेडिकल कॉलेजों में 100-100 सीटों पर इस साल नामांकन रोक दिया गया जिससे 450 अभ्यार्थियों को पहले से ही सीटों की मारामारी में एडमिशन का मौका हाथ से निकलता दिख रहा है.
स्वास्थ्य मंत्री श्री गुप्ता ने कहा कि अगर यही झारखंड में भी भाजपा की सरकार होती तो क्या केन्द्र की एनडीए सरकार ऐसी रोक लगाती? स्वास्थ्य मंत्री ने व्यंग्य किया कि नलकूपी, टोटी या ट्यूटर की कमिया बताकर नामांकन रोकना कहां तक न्यायसंगत है? उन्होंने कहा बहुत छोटे-छोटे कारणों से भारत सरकार ने यहां के बच्चों की मेडिकल शिक्षा के मार्ग को अवरूद्ध किया है. मंत्री ने कहा मुख्यमंत्री इस हालत पर बहुत चिंतित है, उन्होंने पत्राचार किया है. वे स्वयं स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन एवं राज्य मंत्री अश्विनी चौबे से बात कर निवेदन करेंगे कि छोटी-छोटी भूलों के कारण मेडिकल शिक्षा से इस प्रकार खेलवाड़ न हो और जितनी जल्द हो पुनर्विचार करते हुए नामांकन हेतु मान्यता बहाल की जाए.
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि राज्य के उक्त तीन सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमसीआई की गाइड लाइन के अनुसार निश्चित रूप से चिकित्सकों एवं पारा मेडिकल कर्मियों की कमी है जिन्हें दूर करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के माध्यम से अनुबंध पर चिकित्सकों एवं कर्मियों की नियुक्ति की जा रही है. डाक्टरों के लिए अर्बन एवं रूरल बेस पर नया बढ़ा हुआ वेतनमान भी तय किया गया है. कहा जाता है कि पे स्केल कम होने के कारण राज्य डाक्टर नियुक्ति नहीं चाहते. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य में संसाधनों का अभाव है, ऊपर से पूर्ववर्ती सरकार 5 हजार करोड़ का डीवीसी का बकााया कर्ज के रूप में लाद गयी है जिसे केन्द्र सरकार एकतरफा एकरारनामा के तहत मनमाने ढंग से काटकर हमें पंगु बनाकर रखना चाहती है. जीएसटी एवं अन्य रायल्टी  के  बकाए का भी भुगतान नहीं किया जा रहा है. कम संसाधनों और कोविड-19 की मार के वावजूद राज्य सरकार पूरी लगन से काम कर रही है इसमें केंद्र सरकार को हमें प्रोत्साहन देना चाहिए. सरकार को विरासत में जो व्यवस्था मिली है उसमें रातोरात सुधार कैसे संभव है जबकि हमारे संसाधनों के भुगतान पर केंद्र सरकार अडंगा डाल रही है. अतैव कम से कम मेडिकल शिक्षा जो छात्रों के भविष्य के साथ जुड़ा है उसके साथ ऐसा रवैया नहीं अपनाया जाए.

‘सरकारी मेडिकल कॉलेजों की दशा भी सुधारिए मंत्री जीÓ
बन्ना गुप्ता के ट्वीट पर जमकर प्रतिक्रियाएं
जमशेदपुर, 15 नवंबर (रिपोर्टर): स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता द्वारा बारीडीह  मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज के निरीक्षण पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं हुई हैं. स्वास्थ्य मंत्री ने कल उक्त कॉलेज के निरीक्षण पर ट्वीट कर कहा है कि यह झारखंड के मेडिकल छात्रों के लिए मील का पत्थर साबित होगा.
थामस शेल्बी ने मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को लिखा उन तीन सरकारी कॉलेजों की ओर भी ध्यान दें जहां 300 सीटों का सवाल है. स्पृहा स्पर्श ने लिखा है तीन कॉलेजों पलामू, दुमका एवं हजारीबाग में नामांकन शुरू कराएं जहां 100-100 सीटें हैं. विश्वजीत महतो ने लिखा है कि राज्य के 3 सरकारी मेडिकल कॉलेजों को एमसीआई ने नए एडमिशन से मना कर दिया है क्योंकि वहां सही व्यवस्था नहीं है. मंत्री प्राइवेट कॉलेज का निरीक्षण कर रहे हैं तो वे अपने विधानसभा में पडऩे वाले एमजीएम अस्पताल एवं कॉलेज का भी निरीक्षण करें. अमित राजन ने लिखा है कि स्वास्थ्य मंत्री पिछली सरकार के कामों का क्रेडिट ले रहे हैं. अपूर्व ने लिखा है कि आपकी जरूरत प्राइवेट नहीं, सरकारी कॉलेजों में है थोड़ा उन पर भी ध्यान दें जहां की सरकारी व्यवस्था सरकार के हाथों में है. लापरवाही की वजह से इस साल कई प्रतिभावान छात्रों को झटका लगा है. कुमार हर्षवर्धन ने नवसृजित 3 सरकारी मेडिकल कॉलेजों के 300 सीटों पर नामांकन बहाल कराने की सलाह दी है. शिव शंकर ने लिखा है आप बताएं सरकारी कॉलेजों में खामियां को दूर करने के लिए आपने क्या किया, बताएं ताकि केन्द्र सरकार को जिम्मेवार ठहराया जाए. ऐसी अनेक प्रतिक्रियाएं आ रही हैं जिनका लब्बो लुआब है कि केंद्र और राज्य सभी सरकारें मेडिकल सीटों और इसकी शिक्षा को लेकर लापरवाह है जिससे प्राइवेट कॉलेजों में विद्यार्थियों का जमकर दोहन होता है जहां नामांकन साधारण एवं मेधावी बच्चों के लिए संभव भी नहीं होता.

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