देश में अगले सत्र से प्रभावी हो जाएगी नई शिक्षा नीति: डा. के कस्तूरीरंगन नई शिक्षा नीति से बच्चों के बस्ते का बोझ भी होगा कम

जमशेदपुर, 19 अक्टूबर(रिपोर्टर): इसरो के पूर्व चेयरमैन व नई शिक्षा मसौदा समिति के चेयरमैन पद्म विभूषण डा. के कस्तुरीरंगन ने कहा देश में नई शिक्षा नीति अगले सत्र से लागू हो जाएगी. नई शिक्षा नीति के शुरू होने के बाद बच्चों के पीठ से बस्ते का बोझ भी कम होगा और दिमागी विकास होगा. सरकार को नई शिक्षा नीति पर ड्राफ्ट तैयार कर मई महीने में ही सौंप दी गई है.
शनिनवार को टाटा एजुकेशन प्रोग्राम के तहत जुस्को स्कूल कदमा के कुडी मोहंती आडिटोरियम में व लोयला स्कूल ऑडिटोरियम में टीईईपी जे जे ईरानी एक्सीलेंस अवार्ड कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर मुख्य अतिथि इसरो के पूर्व चेयरमैन व नई शिक्षा मसौदा नीति के चेयरमैन पद्म विभूषण डा. के कस्तुरीरंगन ने कहा कि देश में करीब पांच करोड़ लोग अशिक्षित हैं. देश में जब तक नई शिक्षा नीति लागू नहीं होती है देश में अशिक्षितों की संख्या बढ़ती जाएगी. उन्होंने कहा कि जब नई शिक्षा नीति को लेकर मसौदा तैयार करने के लिए उन्हें समिति का चेयरमैन बनाया गया तो ड्राफ्ट करना बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य था. टीम ने इसके लिए बहुत सोच समझ कर ड्राफ्ट को तैयार किया. सरकार को मई, 2019 में नई शिक्षा नीति को लेकर ड्राफ्ट सौंप दिया. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति स्कूलों की वर्तमान मूलभू सुविधा, फीस में बढ़ोतरी, बच्चों के समग्र विकास, उन पर पडऩे वाले पढ़ाई के बोझ समेत अलग-अलग विषयों को ध्यान में रख कर ड्राफ्ट तैयार किया है. उन्होंने कहा कि देश में अगले सत्र से नई शिक्षा नीति लागू हो सकती है. उन्होंने बच्चों की शिक्षा को चार श्रेणियों में रेखांकित किया. उन्होंने कहा नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा को भी क्रिएटिव होने की जरूरत है. शिक्षकों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की जरूरत है जिससे वे बच्चों हो प्रत्येक विषय की जानकारी दे सके. उन्होंने शिक्षकों के लिए नियमित पढ़ाई की भी व्यवस्था पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि हम बच्चों के पीठ से बस्ते का बोझ व दिमाग से पढ़ाई का दबाव कम करना चाहते है. साथ ही नई शिक्षा नीति को ऐसा बनाना चाहते हैं जिससे बच्चे वैश्विक स्तर पर मिलने वाली प्रतियोगिता से बेहतर तरीके से सामना कर सके. उनके लिए रोजगार के नए रास्ते खुल सके. उन्होंने कहा कि अभी अशिक्षितों का आंकड़ा करीब पांच करोड़ है. नई शिक्षा नीति को जल्द लागू नहीं किया गया तो यह आंकड़ा बढ़ कर दस करोड़ हो जाएगा. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में कॉरपोरेट घराने, ट्रस्ट, इंस्टीट्यूट, प्रबुद्ध लोगों के सहयोग मिले. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति को लेकर जो ड्राफ्ट तैयार कर दिया गया है उसमें फीस बढ़ोतरी पर भी सुझाव दिया गया है.
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नई शिक्षा नीति से स्कूलों की मनमानी होगी खत्म
कस्तूरीरंगन की नई शिक्षा नीति के तहत स्कूलों की मनमानी पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी. उन्हें राज्य सरकार से अनुमति लेकर ही तीन वर्षो में एक बार फीस में बढ़ोतरी कर पाएंगे। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि शिक्षा का व्यवसाय या उससे कमाई नहीं हो सकती, हालांकि डीबीएमएस स्कूल प्रबंध कमेटी के सदस्य चंद्रशेखरन ने अपनी बात रखते हुए कहा कि देश में महंगाई हर दिन बढ़ रही है तो स्कूल के संचालन में संकट आएगा. वहीं, उन्होंने कहा कि नई नीति से स्कूलों पर कई तरह के नियमों को मानने का दबाव बढ़ेगा. इस पर कस्तूरीरंगन ने कहा कि जो स्कूल सरकार के तय मानकों को पूरा करेंगे, उन्हीं का संचालन होगा.
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छ: वर्ष तक के बच्चे को शिक्षा अनिवार्य
इसरो के पूर्व चेयरमैन डा. के कस्तुरीरंगन ने कहा कि छ: वर्ष तक बच्चों के लिए शिक्षा जरूरी है. 2025 तक केन्द्र व राज्य सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि बच्चों के दिमाग का 85 प्रतिशत भाग का विकास छ: वर्षों तक होता है. अर्ली चाइल्ड केयर एजुकेशन सिस्टम बनाने की जरूरत है. इसे 2025 तक लागू किया जाना चाहिए.

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