जयपुर ब्लास्ट में चारों आतंकियों को फांसी की सजा 11 साल पहले हुए 8 ब्लास्ट में 71 लोग मारे गए थे

जयपुर ,20 दिसंबर (ईएमएस): परकोटा इलाके में 13 मई 2008 को हुए सिलसिलेवार 8 बम धमाकों के मामले में विशेष अदालत ने शुक्रवार को चारों आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई है। इससे पहले गुरुवार को उनकी सजा पर बहस हुई। सरकारी वकील ने इसे दुर्लभतम मामला माना और मोहम्मद सैफ, सरवर आजमी, सैफुर्रहमान और मोहम्मद सलमान को फांसी की सजा सुनाने की मांग की। साढ़े ग्यारह साल पहले हुए इन धमाकों में 71 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 185 जख्मी हुए थे।
इससे पहले अदालत ने बुधवार को बम ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार 5 आरोपियों में से शहबाज को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। जबकि चारों को 8 जगहों पर सिलसिलेवार बम ब्लास्ट करने, आपराधिक षड्यंत्र और अन्य अपराध में दोषी करार दिया था। 13 मई 2008 को परकोटे में 8 जगहों पर सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। इनमें 71 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 185 जख्मी हुए थे।
कोर्ट ने कहा था- विस्फोट के पीछे जेहादी मानसिकता
कोर्ट ने सीरियल ब्लास्ट के लिए आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) को जिम्मेदार माना था। बाटला मुठभेड़ में मारे गए दोनों आतंकियों को भी कोर्ट ने दोषी करार दिया। आतिफ अमीन को ब्लास्ट का मुख्य साजिशकर्ता करार दिया था। कोर्ट ने कहा था कि विस्फोट के पीछे जेहादी मानसिकता थी। यह मानसिकता यहीं नहीं थमी। इसके बाद अहमदाबाद और दिल्ली में भी विस्फोट किए गए। कोर्ट ने मोहम्मद सैफ, सैफुर्रहमान, सरवर आजमी और मोहम्मद सलमान को हत्या, राजद्रोह और विस्फोटक अधिनियम के तहत दोषी पाया था। दो गुनहगार दिल्ली में बाटला हाउस मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं।
सजा से बचने के लिए दोषी कोर्ट में गिड़गिड़ाए थे
कोर्ट में सजा पर बहस के दौरान दोषी गिड़गिड़ाए थे। सबसे पहले मोहम्मद सैफ की सजा के ङ्क्षबदुओं पर बहस हुई थी। बचाव पक्ष के वकील ने कहा था कि दोषी युवा है। अच्छी फैमिली से है। पूरे परिवार का बेदाग बैकग्राउंड है। कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है। 11 साल जेल में बिता चुका है और उसके खिलाफ कोई सीधा साक्ष्य भी नहीं है। एमए फाइनल इयर का स्टूडेंट रहा है। वह अच्छी नौकरी कर रहा था। वह किसी गलत संगठन का सदस्य भी नहीं है, लिहाजा रियायत दी जाए।
सरवर आजमी के सजा पर चर्चा करते हुए वकील ने कहा था- 19 मई 2008 को यह बीई की परीक्षा दे रहा था, जिसका बैकग्राउंड बिल्कुल साफ है। सरवर के पिता और भाई डॉक्टर हैं। वह 11 साल जेल में बिता चुका है। इसलिए रियायत दी जाए, जिसके बाद सैफुर्रहमान की सजा पर बहस कर रियायत देने की मांग की गई।
सलमान के पक्ष में वकील ने कहा कि गिरफ्तारी के वक्त वह नाबालिग था। जुवेनाइल कोर्ट ने भी उसे नाबालिग माना था, जो फिलहाल हाइकोर्ट में पेंङ्क्षडग है। इसके जवाब में कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में उसे बालिग माना जा चुका है। सैफुर्रहमान के बचाव में दलील दी कि भाई व पिताजी डॉक्टर हैं। आपराधिक रिकार्ड नहीं है। अभी उम्र भी ज्यादा नहीं है।

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