देश में मिलने वाली तीनों वैक्सीन की कीमतें तय:निजी अस्पतालों को कोवैक्सिन 1410 और स्पुतनिक-V 1145 रु. में दी जाएगी, कोवीशील्ड की दर सबसे सस्ती 780 रु.

नई दिल्ली
स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को ही 44 करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर जारी किया है। 21 जून से 18 साल से ज्यादा उम्र वालों को केंद्र की ओर से फ्री वैक्सीन लगाई जाएगी।
केंद्र सरकार ने निजी कंपनियों को दी जाने वाली वैक्सीन की कीमतें तय कर दी हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, निजी अस्पतालों को कोवीशील्ड सबसे सस्ती दरों पर मिलेगी। सरकार ने इसकी कीमत 780 रुपए तय की है। सबसे महंगी कोवैक्सिन है, जो निजी अस्पतालों को 1410 रुपए में दी जाएगी। स्पुतनिक V की कीमत 1145 रुपए होगी।
अभी यह साफ नहीं है कि केंद्र सरकार ने निजी अस्पतालों के लिए अधिकतम 150 रुपए सर्विस चार्ज की जो सीमा तय की है, वो इन कीमतों में शामिल है या नहीं।
केंद्र ने 44 करोड़ डोज का ऑर्डर दिया
राज्यों को मुफ्त वैक्सीन देने के ऐलान के अगले ही दिन केंद्र सरकार ने वैक्सीन का एक बड़ा ऑर्डर दिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को 44 करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर जारी किया। इसमें 25 करोड़ कोवीशील्ड और 19 करोड़ कोवैक्सिन शामिल हैं। सरकार ने कंपनियों को ऑर्डर की 30% रकम भी एडवांस में जारी कर दी है।
21 जून से 18 प्लस का फ्री वैक्सीनेशन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार राष्ट्र के नाम संदेश में ऐलान किया था कि 21 जून से 18 साल से ज्यादा उम्र वालों को भी फ्री वैक्सीन का फायदा मिलेगा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने वैक्सीनेशन प्रोग्राम की नई गाइडलाइंस जारी कर दी है। इसके मुताबिक केंद्र सरकार वैक्सीन निर्माता कंपनियों से 75% डोज खरीद कर राज्यों को मुफ्त में देगी, लेकिन राज्यों को वैक्सीन के डोज वेस्ट करने से बचना होगा, नहीं तो उन्हें मिलने वाली सप्लाई पर असर पड़ेगा। साथ ही कहा गया है कि प्राइवेट अस्पतालों के लिए वैक्सीन की कीमत मैन्युफैक्चरर कंपनियां ही घोषित करेंगी।
राज्य तय करेंगे वैक्सीनेशन के लिए प्रायोरिटी
केंद्र की तरफ से राज्यों को वैक्सीन के जितने डोज मिलेंगे, उनमें राज्यों को प्राथमिकता तय करनी होगी। इस प्रायोरिटी में हेल्थकेयर वर्कर्स सबसे ऊपर रहेंगे। इसके बाद 45 साल से ज्यादा उम्र के लोग और फिर उन लोगों को प्राथमिकता देनी होगी, जिनका दूसरा डोज बाकी है। इसके बाद 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों का नंबर आएगा। इनके वैक्सीनेशन के लिए राज्य सरकार अपने हिसाब से प्रायोरिटी तय कर सकेगी।

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