20 करोड़ के पार हो जाएगा इस साल बेरोजगारों का आंकड़ा,श्रम संगठन की रिपोर्ट में चौंकाने वाले दावे, भारत में 5.3 करोड़ बेरोजगार

जिनेवा : कोरोनावायरस महामारी के बीच दुनियाभर में छोटे व्यापारों के बंद होने का सिलसिला जारी रहा है। इसका असर यह हुआ है कि लगभग सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में बेरोजगारी की दर तेजी से बढ़ी है। अब अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की रिपोर्ट में भविष्य को लेकर कुछ और डराने वाली बातें सामने आई हैं। इसमें कहा गया है कि बेरोजगारी की यह मार 2023 तक जारी रह सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी कम से कम दो और साल यानी 2023 तक रोजगारों का आंकड़ा कोरोना महामारी के पहले के स्तर पर नहीं लौट पाएगा। यानी बेरोजगारी अभी इसी स्तर पर बनी रहेगी। आईएलओ के मुताबिक, 2022 में दुनियाभर में बेरोजगारों का आंकड़ा 20 करोड़ 70 लाख के करीब होगा। यह संख्या 2019 के 18 करोड़ 60 लाख बेरोजगारों के मुकाबले दो करोड़ 10 लाख ज्यादा है।
भारत में 5.3 करोड़ लोग हैं बेरोजगार, महिलाओं की भी बड़ी संख्या
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी ने कहा कि भारत में दिसंबर, 2021 तक 5.3 करोड़ लोग बेरोजगार थे और इसमें महिलाओं की संख्या खासी ज्यादा है। सीएमआईई ने कहा, इनमें 3.5 करोड़ लोग सक्रियता के नौकरी खोज रहे हैं, वहीं 1.7 करोड़ लोग काम करने के लिए इच्छुक तो हैं लेकिन सक्रिय रूप से खोज नहीं कर रहे हैं।
7.9 फीसदी लोगों को रोजगार की जरूरत
सीएमआईई ने अपने वीकली एनालिसिस में कहा, भारत को तत्काल 7.9 फीसदी लोगों को रोजगार देने की जरूरत है जो अनइम्प्लॉयमेंट रेट में आते हैं या दिसंबर, 2021 में 3.5 करोड़ लोगों को रोजगार देने की जरूरत है जो सक्रियता से नौकरी खोज रहे हैं।
इसमें कहा गया, उतनी ही बड़ी चुनौती अतिरिक्त 1.7 करोड़ लोगों को नौकरी उपलब्ध कराना है, जिनके पास नौकरी भी नहीं है और अगर नौकरी मिले तो काम करना चाहते हैं। हालांकि, वे सक्रियता के साथ नौकरी नहीं खोज रहे हैं।
निष्क्रिय बेरोजगारों में महिलाओं की बड़ी संख्या
सीएमआईई के मुताबिक, दिसंबर 2021 में सक्रियता के साथ नौकरी खोज रहे 3.5 करोड़ लोगों में 80 लाख महिलाएं थीं। वहीं, 1.7 करोड़ निष्क्रिय बेरोजगारों में से 53 फीसदी या 90 लाख महिलाएं काम करना चाहती हैं, लेकिन वे सक्रिय रूप से काम नहीं खोज रही हैं।
उन्होंने दलील दी, यह जांच का विषय है कि इतनी बड़ी संख्या में महिलाएं काम करने की इच्छुक तो हैं, लेकिन क्यों काम के लिए अप्लाई नहीं कर रही हैं या काम खोजने के लिए दूसरे प्रयास कर रही हैं। यह जॉब की उपलब्धता की कमी है या लेबर फोर्स के साथ जुडऩे के लिए महिलाओं को सोशल सपोर्ट की कमी है।
रोजगार दर है अहम समस्या
सीएमआईई ने कहा, भारत की बेरोजगारी की समस्या बेरोजगारी दर से जाहिर नहीं हो रही है। यह कम रोजगार दर की समस्या है और यह युवा फीमेल लेबर फोर्स को हतोत्साहित करती है। सीएमआईई के मुताबिक, भारत की संपन्नता का रास्ता लगभग 60 फीसदी आबादी के लिए रोजगार की खोज से गुजरता है।

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