फिर 75 फीसदी आबादी बीपीएल में क्यों? सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली,19 मार्च: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि जब राज्यों से विकास सूचकांक बताने के लिए कहा गया तो उन्होंने प्रति व्यक्ति वृद्धि दर ऊंची दिखाई, लेकिन जब सब्सिडी की बात आई तो उन्होंने दावा किया कि उनकी 75 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) है।
अदालत ने कहा कि सब्सिडी का लाभ वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचने चाहिए। जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कहा, ‘हमारी चिंता यह है कि क्या गरीबों को मिलने वाले लाभ उन लोगों तक पहुंच रहे हैं जो इसके हकदार नहीं हैं? राशन कार्ड अब लोकप्रियता का कार्ड बन गया है। पीठ ने कहा, ‘ये राज्य सिर्फ इतना कहते हैं कि हमने इतने कार्ड जारी किए हैं। कुछ राज्य ऐसे हैं जो जब अपना विकास दिखाना चाहते हैं तो कहते हैं कि हमारी प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही है। फिर जब हम बीपीएल की बात करते हैं तो वे कहते हैं कि 75 प्रतिशत आबादी बीपीएल है। इन तथ्यों को कैसे जोड़ा जा सकता है? विरोधाभास अंतर्निहित है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लाभ वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचे।’
गरीबों तक राहत नहीं पहुंच रही- प्रशांत भूषण
मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि यह असमानता अमीर और गरीब के बीच बढ़ते अंतर के कारण है। उन्होंने आगे कहा, ‘कुछ लोग बहुत अमीर हो रहे हैं, जबकि बाकियों की हालत जस की तस बनी हुई है। प्रति व्यक्ति आय का आंकड़ा पूरे राज्य की कुल आय का औसत होता है, इसलिए असल हालात नहीं दिखते’। उन्होंने यह भी बताया कि ई-श्रम पोर्टल में दर्ज आठ करोड़ प्रवासी मजदूरों को मुफ्त राशन मिलना चाहिए।

सरकार ने क्या दिया जवाब
वहीं केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि सरकार 81.35 करोड़ लोगों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत मुफ्त राशन दे रही है और 11 करोड़ अन्य लोगों को भी इसी तरह की योजना से फायदा हो रहा है।

कोर्ट का सवाल: क्या सिर्फ टैक्स देने वाले लोग ही बचे हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी चिंता जताई थी कि अगर 81 करोड़ लोग मुफ्त राशन पर निर्भर हैं, तो क्या सिर्फ करदाता ही आत्मनिर्भर बचे हैं? कोर्ट ने केंद्र से यह भी पूछा कि क्या राशन कार्ड वितरण में कोई राजनीतिक दखल तो नहीं हो रहा? मामले में न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने कहा, ‘मैं अपनी जड़ों से जुड़ा हूं, मुझे गरीबों की हालत समझ में आती है। आज भी कई परिवार गरीबी से जूझ रहे हैं’।

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