स्वदेशी वैक्सीन को लेकर चल रही राजनीति के बीच भारत बायोटेक का बड़ा बयान

 

हैदराबाद, । भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने रविवार को दो कोरोना वैक्सीन सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी दी है, जिससे बड़े पैमाने पर टीकाकरण का रास्ता साफ हो गया। इसके बाद देश में वैक्सीन को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने वैक्सीन को लेकर सवाल खड़ा किया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि कोवैक्सीन को समय से पहले मंजूरी दे दी गई है और यह खतरनाक हो सकता है। वहीं कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए स्वास्थ्य मंत्री से स्पष्टीकरण मांगा था। भारत बायोटेक के एमडी ने वैक्सीन को तमाम सवालों को लेकर विस्तार से जानकारी दी।
वैक्सीन को मंजूरी मिलना भारत की वैज्ञानिक क्षमता के रूप में बड़ी छलांग
इस बारे में भारत बायोटेक के एमडी कृष्णा एला ने कहा है कि कोवैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की स्वीकृति मिलना भारत में इनोवेशन और वैक्सीन उत्पादन की दिशा में बड़ी छलांग है। यह देश के लिए गर्व का क्षण है। भारत की वैज्ञानिक क्षमता में महान मील का पत्थर है। यह भारत में इनोवेशन इकोसिस्टम में तेजी आएगी।
मेरा या मेरे परिवार का किसी राजनीतिक पार्टी से कोई लेना-देना नहीं
हालांकि यह वैक्सीन कोरोना महामारी के दौरान एक असमान चिकित्सा की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। हमारा लक्ष्य वैक्सीन को बड़ी आबादी तक वैश्विक पहुंच प्रदान करना है, जिकी इसे सबसे अधिक आवश्यकता है। कोवैक्सीन ने कई वायरल प्रोटीनों के लिए मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं के साथ उत्कृष्ट सुरक्षा डेटा को पैदा किया है जो अभी भी जारी है। कृष्णा एला ने कहा है कि कुछ लोगों द्वारा वैक्सीन का राजनीतिकरण किया जा रहा है, मैं यह स्पष्ट रूप से बताना चाहता हूं कि मेरे परिवार का कोई भी सदस्य किसी भी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ा है।
ब्रिटेन सहित 12 से अधिक देशों में क्लीनिकल टेस्ट किए
कृष्णा एला ने कहा कि हम भारत में सिर्फ क्लीनिकल टेस्ट नहीं कर रहे हैं। हमने ब्रिटेन सहित 12 से अधिक देशों में क्लीनिकल टेस्ट किए हैं। हम पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और अन्य देशों में क्लीनिकल टेस्ट कर रहे हैं। हम सिर्फ एक भारतीय कंपनी नहीं हैं, हम वास्तव में एक वैश्विक कंपनी हैं। उन्होंने कहा कि हम टीकों में अनुभव के बिना वाली कंपनी नहीं हैं। हमारे पास टीकों का जबरदस्त अनुभव है। हम 123 देशों के लिए काम कर रहे हैं। हम एकमात्र कंपनी हैं, जिन्हें समीक्षा पत्रिकाओं में इतना व्यापक अनुभव और व्यापक प्रकाशन मिला है।
भारत बायोटेक के एमडी ने कहा कि कई लोग कह रहे हैं कि हमारा डेटा पारदर्शी नहीं हूं। मुझे लगता है कि लोगों को इंटरनेट पर पढऩे के लिए धैर्य होना चाहिए। हमने इसे लेकर कितने लेख प्रकाशित किए हैं। 70 से अधिक लेख विभिन्न अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।
कृष्णा एला ने कहा कि बहुत से लोग वैकसीन को लेकर सिर्फ गपशप करते हैं, यह सिर्फ भारतीय कंपनियों के खिलाफ एक प्रतिक्रिया है। जो हमारे लिए सही नहीं है। हम इसके लायक नहीं हैं। मर्क के इबोला वैक्सीन ने कभी भी हयूमन क्लीनिकल ट्रायल को पूरा नहीं किया, लेकिन डब्ल्यूएचओ ने लाइबेरिया और गिनी के लिए आपातकालीन प्रयोग करने की अनुमति दी।

कृष्णा एला ने कहा कि वर्तमान में हमारे पास 20 करोड़ खुराक हैं। हम चार सेंटर में सात करोड़ खुराक क्षमता हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। इनमें से तीन हैदराबाद में और एक बेंगलुरु में है। हमें सहयोग से संबंधित सहित कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। शुरुआत में वैक्सीन की लागत थोड़ी अधिक हो सकती है। जैसे-जैसे वैक्सीन का उत्पादन का पैमाना बढ़ेगा, कीमत बाजार द्वारा नियंत्रित होगी।

कृष्णा एला ने कहा कि बहुत से लोग वैकसीन को लेकर सिर्फ गपशप करते हैं, यह सिर्फ भारतीय कंपनियों के खिलाफ एक प्रतिक्रिया है। जो हमारे लिए सही नहीं है। हम इसके लायक नहीं हैं। मर्क के इबोला वैक्सीन ने कभी भी हयूमन क्लीनिकल ट्रायल को पूरा नहीं किया, लेकिन डब्ल्यूएचओ ने लाइबेरिया और गिनी के लिए आपातकालीन प्रयोग करने की अनुमति दी।

उन्होंने कहा कि यहां तक कि अमेरिकी सरकार का कहना है कि यदि किसी कंपनी के पास अच्छा टीकाकरण डेटा है तो आपातकालीन प्रयोग के लिए अनुमति दी जा सकती है। फेज -3 टेस्ट पूरा होने से पहले ही मर्क के इबोला वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग के लिए अनुमति मिली है। जॉनसन एंड जॉनसन ने 87 लोगों पर टेस्ट किया और आपातकालीन लाइसेंस हासिल किया।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारे पास वैक्सीन की 20 करोड़ खुराक हैं। हम चार सेंटर में सात करोड़ खुराक क्षमता हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। इनमें से तीन हैदराबाद में और एक बेंगलुरु में है। हमें सहयोग से संबंधित सहित कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। शुरुआत में वैक्सीन की लागत थोड़ी अधिक हो सकती है। जैसे-जैसे वैक्सीन का उत्पादन का पैमाना बढ़ेगा, कीमत बाजार द्वारा नियंत्रित होगी।
क्लीनिकल ट्रायल मोड में आपातकालीन स्थिति में प्रतिबंधित उपयोग वाक्यांश का अर्थ समझाते हुए उन्होंने कहा कि कोई छिपा हुआ नहीं है। हम लोगों को खुले स्तर पर टीकाकरण करते हैं और फिर वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभावशीलता की निगरानी करते हैं। आपातकालीन लाइसेंस में हमारी परियोजना मोड विधि में इसका यही अर्थ है।
भारत बायोटेक के एमडी कृष्णा एला से पूछा गया कि ‘क्या कोवैक्सीन कोरेाना के नए स्ट्रेन को लेकर प्रभावी होगी तो उन्होंने कहा कि मुझे एक सप्ताह का समय दें, मैं आपको डेटा की पुष्टि करूंगा।
उन्होंने कहा कि हम जितनी जल्दी हो सके वैक्सीन को प्रयोग के लिए लाएंगे। वैक्सीन को पहले ही सरकार की परीक्षण प्रयोगशाला कसौली में भेजा जा चुका है। भारत बायोटेक के एमडी ने ऐसी टिप्पणी पर कि कोवाक्सिन एक ‘बैक-अप वैक्सीन’ है पर कहा कि यह एक टीका है। यह बैकअप नहीं है। ऐसे बयान देने से पहले लोगों को जिम्मेदार होना चाहिए।
कृष्णा एला ने कहा कि 2019 में एक अधिसूचना के जरिए सीडीसीएसओ का गठन किया गया। मैं आपसे दिशा-निर्देशों को पढऩे का अनुरोध करता हूं। उसके दिशा-निर्देश स्पष्ट रूप से बताते हैं कि यदि आपके पास एक सिद्ध रूप से प्रौद्योगिकी मंच , सुरक्षित प्रौद्योगिकी मंच और अच्छा पूर्व क्लीनिकल ट्रायल डेटा उपलब्ध है, तो आप अपने उत्पाद का आपातकालीन लाइसेंस प्राप्त कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि कोवाक्सिन दो खुराक वाली वैक्सीन है। हम टीका अभी 12 साल से अधिक उम्र का एकमात्र टीका हैं। हम प्रोटोकॉल के अनुसार भी जल्द ही बच्चों के टेस्ट करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोवाक्सिन ने 10 फीसद से कम प्रतिकूल प्रतिक्रियाएं दिखाई हैं, जबकि अन्य में 60-70 फीसद प्रतिकूल प्रतिक्रियाएं हैं। एस्ट्राज़ेनेका वालंटियर को ऐसी प्रतिक्रियाओं को दबाने के लिए चार जी पैरासिटामोल दे रहा था। हमने किसी भी वालेंटियर को को पेरासिटामोल नहीं दिया है। मैं आश्वस्त कर सकता हूं कि हमारा टीका 200 फीसद सुरक्षित है।

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